महाकुंभ की शुरुआत नागा साधुओं के स्नान से होती है. उसी के बाद बाकी के श्रद्धालु स्नान करते हैं. नागा साधुओं का महाकुंभ में काफी महत्व है. सबसे पहले पुरुष नागा साधु शाही स्नान करते हैं फिर महिला नागा साधु. क्या आप जानते हैं कि महिला नागा साधु की जिंदगी पुरुष नागा साधुओं से भी कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण होती है. आपने यूं तो कई महिला नागा साधुओं को महाकुंभ में देखा होगा. जो सिर्फ गंती पहने शाही स्नान करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं, कुछ महिला नागा साधु गंती भी नहीं पहनतीं. यानि वो पूरी तरह निर्वस्त्र रहती हैं.
ये नागा साधु कभी भी किसी के सामने नहीं आतीं. हमेशा छुपकर रहती हैं. अपनी पूरी जिंदगी वो भगवान को समर्पित कर देती हैं. तप और साधना में ही लीन रहती हैं. उनका ठिकाना कहां है इस बारे में किसी को भी सटीक जानकारी नहीं है. लेकिन माना जाता है कि वो पहाड़ों में और गुफाओं में ही अमूमन रहती हैं. जहां, वो शांति से अपना ध्यान लगा सकें.
कुछ जानकारों का मानना है कि भारत में सिर्फ दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा ही महिला नागा साधुओं को साध्वी बनने की इजाजत देता है. अन्य अखाड़ों में पुरुषों को ही लिया जाता है. शुरुआती दौर में महिलाओं के लिए कोई अलग से अखाड़ा नहीं था. जूना अखाड़े में ही माई बाड़ा नाम से उनके लिए अलग शिविर का आयोजन किया जाता था. कुंभ में भी जूना अखाड़ा अपने बगल में माई बाड़ा शिविर का आयोजन करता था जिसमें महिला सन्यासी आती थीं. इसके बाद महिलाओं की संख्या बढ़ने लगी और 2013 में दशनामी संन्यासिनी का अखाड़ा बना. तब से महिला नागा साधु भी इसी अखाड़े के जरिए बनती हैं.
6 साल की उम्र में ब्रह्मचर्य का पालन
किसी भी महिला को नागा साधु बनने के लिए बचपन से ही कड़ी परीक्षाएं देनी होती हैं. 6 साल की उम्र से ही उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है. जब वो ऐसा कर पाने में समर्थ होती है तब उसे नागा साधु बनने की अनुमति मिलती है. इस अवधि में उसे कठोर तपस्या के साथ कई नियमों का पालन करना होता है. जैसे गुफाओं में वास, तप, नदी में स्नान, खाने-पीने से जुड़े कठोर नियम आदि.
महिला नागा गंती करती हैं धारण
महिला नागा साधु जो वस्त्र धारण करती हैं उसे गंती कहा जाता है. यह सिर्फ गेरुए रंग का ही होता है. महिला नागा साधुओं की अराधना और तपस्या देखने के साथ-साथ उनके गुरु उनके पूर्व जीवन के बारे में भी जानते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिला नागा साधु बनकर ईश्वर को अपना जीवन समर्पित कर पाएगी या नहीं. इसके साथ ही कई और नियम होते हैं. जैसे महिला नागा साधु हर वक्त सांसारिक गतिविधियों से दूर रहेंगी और केवल कुछ ही खास दिनों में वो सबके सामने आएंगी. जैसे कुंभ मेले के दौरान महिला नागा साधुओं को देखा जा सकता है.