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वर्ष 2023 ने उद्योग और व्यापार जगत को नई ऊर्जा प्रदान करने का किया काम: दीपक मैनी

न्यूज़ डेस्क हरियाणा। गुरुग्राम । विवेक भाटिया ।प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) Pfti के चेयरमैन दीपक मैनी का कहना है कि औद्योगिक और व्यापारिक दृष्टि से यदि वर्ष 2023 की बात की जाए तो यह इस क्षेत्र के लिए काफी सकारात्मक रहा है। विभिन्न सेक्टरों में कई क्रांतिकारी काम हुए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर, आटोमोबाइल, स्पेस, एग्रीकल्चर से लेकर माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई ) msme की बेहतरी के लिए कई कदम उठाए गए हैं। यही कारण है कि भारत दुनिया की सबसे तेज उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। हाल ही में भारत ने चार ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल किया है। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक नीति- 2022 के अंतर्गत कई बड़े निर्णय लिए गए हैं। इन पर काम भी तेजी से चल रहा है। भारतमाला परियोजना के अंतर्गत सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी को विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना के अंतर्गत लगभग 26,000 किमी लंबे आर्थिक गलियारों के विकास का ब्लू प्रिंट तैयार किया गया है। जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और झारखंड में लीथियम का इस वर्ष जो भंडार मिला है वह भारत को बढ़ी आर्थिक ताकत बनाने में अपना आने वाले समय में क्रांतिकारी योगदान देंगी।

दीपक मैनी ने कहा कि किसी भी देश के विकास में सड़क और परिवहन संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर की सबसे बड़ी भूमिका होती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह काम पूरी दृढ़ता से हो रहा है। इससे यह सुनिश्चित होता दिख रहा है कि वर्ष 2047 तक भारत एक विकसित देश का लक्ष्य हासिल कर लेगा। भारतमाला परियोजना इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसमे माध्यम से स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारे आपस में जुड़ जाएंगे। इससे औद्योगिक और व्यापारिक माल ढुलाई आसान होगी और आर्थिक गतिविधियों में गत्यात्मकता आएगी। इससे देश की लॉजिस्टिक दक्षता भरपूर बढ़ जाएगी। आज वायु प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर ही नहीं देश के लिए बड़ा संकट बना हुआ है। इससे निपटने के लिए हरित राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारा परियोजना भी केंद्र सरकार लेकर आई थी इस साल इस पर काफी काम हुआ है। इस परियोजना में राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश से गुजरने वाले नेशनल हाइवे का कायाकल्प किया जाएगा। केंद्र सरकार की नीतियों के कारण ही इस वर्ष भारत की कच्चे इस्पात के उत्पादन की क्षमता बढ़कर 142 मीट्रिक टन हो गई है। इस मामले में भारत ने जापान को पीछे छोड़कर भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया है।
पीएफटीआई चेयरमैन ने कहा कि वर्ष 2023 डिफेंस सेक्टर के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा है। रक्षा क्षेत्र में तेजी से इस साल भारत के कदम बढ़े हैं। भारत अपनी रक्षा जरूरतों को पूरी करने के साथ-साथ इनके निर्यात पर भी फोकस कर रहा है। केंद्र सरकार ने एयरफोर्स के लिए एयरक्राफ्ट मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट की आधारशिला इसी साल रखी थी। वर्ष 2022-23 फाइनेंशियल ईयर में रक्षा उत्पादों ने नया कीर्तिमान बनाते हुए एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार किया। एमएसएमई और स्टार्टअप्स को सप्लाई चेन में शामिल करने का काम हुआ है। उद्योगों को डिफेंस लाइसेंस देने की प्रक्रिया पिछले साढे सात साल में 200 प्रतिशत तक बढ़ी है। वहीं रक्षा निर्यात के मामले में भी भारत ने नई बुलंदी छूने में सफल हुआ है। निर्यात का आंकड़ा 16000 करोड़ तक पहुंच गया। जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 3000 करोड़ रुपये अधिक है। भारत अपने स्पन यार्न निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है। जुलाई 2023 में 127.6 मिलियन किलोग्राम का निर्यात किया । जो जुलाई 2022 की तुलना में 108.4 और जून 2023 से 56.7 प्रतिशत की वृद्धि प्रदर्शित करता है।
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वदेशी लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट तेजस में उड़ान भरी। इससे स्वदेशी रक्षा उद्योग को प्रमोशन मिला है। उड़ान भर कर उन्होंने वैश्विक स्तर पर यह विश्वास दिलाया कि तेजस पूर्ण सुरक्षित है। भारतीय सशस्त्र सेनाओं के लिए एचएएल तेजस बना रहा है और उसे एक्सपोर्ट करने की भी तैयारी कर रहा है। अमेरिकी इंजन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी जीई एरोस्पेस और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड एचएएल के बीच फाइटर जेट के इंजन उत्पादन को लेकर करार हुआ। फाइटर जेट के इंजन दोनों कंपनियां मिलकर भारत में ही बनाएंगी। भारत में एयरबस और टाटा एडवांस सिस्टम मिलकर एयरक्राफ्ट बनाएंगे। इसके लिए स्पेन की कंपनी एयरबस से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होगी। इसका पहला एयरक्राफ्ट भारतीय वायु सेना को मिल चुका है। जीई एफ-414 इंजन भारतीय वायु सेना के स्वदेशी फाइटर जेट में लगाए जाएंगे। इंडियन एयरफोर्स के लिए ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट सी-295 बनाने के लिए वडोदरा में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की आधारशिला भी इसी साल रखी गई है।

मेक इन इंडिया अभियान के अंतर्गत नवाचार को बढ़ावा देने के साथ-साथ वोकल फॉर लोकल जैसी पहल से भारत अपने यहां उन उत्पादों का विनिर्माण करने लगा है जिसके लिए वह पहले चीन सहित अन्य देशों पर निर्भर था। वर्तमान में मेक इन इंडिया 2.0 के अंतर्गत 27 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इनमें से 15 विनिर्माण के क्षेत्र से संबंधित हैं। पीएफटीआई के चेयरमैन दीपक मैनी का कहना है कि उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन योजनाओं पीएलआई पर काफी काम हुआ है। भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ावा देने और निर्यात प्रोत्साहन के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम लाई गई। स्टार्टअप इंडिया के अंतर्गत भी काफी काम हुआ है। एमएसएमई की बात की जाए तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे गतिशील और जीवंत क्षेत्र है। भारत की जीडीपी का 27 प्रतिशत इसी सेक्टर से आता है। वहीं देश के कुल निर्यात में 44 प्रतिशत योगदान एमएसएमई सेक्टर का है। 11 करोड़ से अधिक लोगों को इस सेक्टर में रोजगार मिला हुआ है। कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए। टेक्निकल टैक्सटाइल में भी भाारत को सक्षम बनाने को लेकर सरकार ने वर्ष 2023 में ठोस कदम उठाए हैं। यह वर्ष भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एवं अन्वेषण की दृष्टि से उल्लेखनीय रहा है। इस वर्ष चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 जैसे महत्वपूर्ण मिशन को लांच कर अंतरिक्ष में भारत की ताकत का पूरी दुनिया में लोहा मनवा दिया है। वहीं इसरो द्वारा विदेशी सैटलाइटों को भी लांच कर देश की आर्थिक ताकत को बढ़ाने का काम कर रहा है। इससे अंतरिक्ष के क्षेत्र से संबंधित उद्योगों को भी बढ़ावा मिल रहा है। अक्षय उर्जा के क्षेत्र में भी तेजी से काम कर रहा है। हाइड्रोजन को ईधन के रूप में इस्तेमाल करने को लेकर इस साल देश में बड़े काम हुए हैं। भारत इसका निर्यातक भी बनना चाहता है।

ऑटोमोबाइल सेक्टर की बात की जाए तो एसयूवी जैसे सेगमेंट में इस साल खूब तेजी और वृद्धि देखने को मिली है। कारों और एसयूवी (सभी को मिलाकर) 2022 में संयुक्त बिक्री 3.66 मिलियन यूनिट की तुलना में 2023 के लिए 3.8-3.9 मिलियन यूनिट की हाई सिंगल डिजिट वृद्धि दर्ज करने की संभावना है। एसयूवी की ओर ग्राहकों का लगातार रुझान बढ़ रहा है। दूसरी छमाही में सेमीकंडक्टर की कमी होने और त्योहारी सीज़न की बिक्री ने चालू वर्ष में एसयूवी की मांग में उछाल लाने का काम किया है। एफएमसीजी सेक्टर के दिग्गजों ने वर्ष 2023 में डी2सी ब्रांडों का अधिग्रहण किया। इससे संबंधिक विभिन्न उत्पादों को उपभोक्ताओं को दृष्टिगत रखते हुए ई-कॉमर्स के माध्यम से अपनी बिक्री को बढ़ाने का काम किया है। अगस्त और अक्टूबर में थोड़ी फिसलन के बाद इक्विटी बाजार में इस साल तेजी का वातावरण बना हुआ है। 26 अक्टूबर को 18,857 के निचले स्तर को टच करके बाद निफ्टी 13.7 प्रतिशत चढ़कर 21,000 के मनोवैज्ञानिक बेंचमार्क का नया कीर्तिमान स्थापित किया। वहीं सेंसेक्स 71,000 के स्तर को छू चुका है। पिछले साल की तुलना में यह 17 प्रतिशत चढ़ा है। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉल कैप में 45 और 53 प्रतिशत की तेजी देखने को मिली है। इक्विटी म्युचुअल फंडों में नेट फ्लो औसतन 13,317 करोड़ रुपये रहा था जो छह माह में 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के फ्लो स्तर पर पहुंच गया है। इंफार्मेशन सेक्टर की बात की जाए तो अमेरिका और यूरोप में आर्थिक मंदी के कारण जो लक्ष्य था वह हासिल नहीं हो सका फिर भी यह सेक्टर ग्रोथ की ओर बढ़ा है।

पीएफटीआई की ओर से नव वर्ष 2024 व्यापार और उद्योगों की सफलता का नया युग लेकर आएगा ऐसी उम्मीद है। पीएफटीआई की ओर से सभी को नए वर्ष की मंगल शुभकामनाएं।

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