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साक्षर भारत मिशन के 5000 शिक्षा प्रेरकों की भी सुने सरकार, कौशल रोजगार निगम के माध्यम से दे रोजगार
पिछले 7 साल से समायोजन की सरकार से लगा रहे है गुहार
भिवानी, (ब्यूरो): एक तरह हरियाणा सरकार हर हाथ को रोजगार देने का दावा कर रही है वही दूसरी ओर अनपढ़ ग्रामीण महिला -पुरुषो को साक्षर बनाने और सरकारी योजनाओ में बढ़ चढ़ भाग लेने वाले शिक्षा प्रेरक आज दर -दर की ठोकरे खाने पर मजबूर है | हम बात कर रहे है साक्षर भारत मिशन के तहत लगी प्रदेश की लगभग 2500 महिला शिक्षा प्रेरको सहित 5000 के करीब साक्षरता कर्मचारीओ की जो पिछले 7 साल से रोजगार बहाली की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन से लेकर नेताओं के आगे दर दर की ठोकरें खाने पर विवश हैं।
हम बात कर रहे है साक्षर भारत मिशन के तहत लगी देश की लगभग 2500 महिला शिक्षा प्रेरको सहित 5000 के करीब साक्षरता कर्मचारीओ की जो पिछले सात साल से रोजगार बहाली की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन से लेकर दर दर की ठोकरें खाने पर विवश हैं।
आपको बता दें कि यूपीए के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने देश में फैली हुई असाक्षरता को खत्म करने के लिए 08 सितम्बर 2009 को साक्षर भारत मिशन योजना को लांच किया जिसके माध्यम से देश के लोगो को असाक्षरता के अंधेरे से निकालकर डिजिटलीकरण कि ओर ले जाने व उसके बाद लोगो को एक ही जगह पर सारी सरकारी योजनाओ की जानकारी उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा गया | इसी के तहत हरियाणा के दस जिलों में जंहा महिला साक्षरता दर 50 प्रतिशत से कम थी वहा पर राष्ट्रीय साक्षरता प्राधिकरण मिशन अथॉरिटी द्वारा साक्षर भारत मिशन कार्यक्रम की शुरुवात की गई | राज्यों में साक्षर भारत मिशन को सुचारु रूप से चलाने की जिमेवारी राज्य साक्षरता प्राधिकरण मिशन अथॉरिटी को दी गई | प्रत्येक जिले में एक सरकारी कर्मचारी को मिशन कोऑर्डिनेटर की जिमेवारी सौंपी गई व एक जिला कोऑर्डिनेटर को 10000 रुपये प्रतिमाह ,एक अकाउंटेंट जिसको 7500 रुपये प्रतिमाह व एक चपरासी जिसको 6000 रुपये प्रतिमाह और ब्लॉक लेवल पर सभी ब्लॉकों में एक एक ब्लॉक कोऑर्डिनेटर जिसको 7500 रुपये प्रतिमाह के मानदेय के आधार पर नियुक्त किया गया | प्रत्येक गांव मे एक महिला और एक पुरूष की नियुक्ति शिक्षा प्रेरक पद पर की गई। हरियाणा में लगभग 2500 से ज्यादा लोक शिक्षा केंद्र खोले गए जिनके माध्यम से स्कूल छोड़ चुके या अनपढ़ महिलाओ और 15 साल से ज्यादा उम्र के अनपढ़ो को अक्षर ज्ञान दिया गया । शिक्षा प्रेरकों को दो हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया गया।
कई वर्षो तक सरकार की स्कीमों साक्षर भारत मिशन, ड्राप आउट बच्चो को स्कूल में लाने, बीएलो का कार्य, चुनाव ड्यूटी, स्वच्छ भारत मिशन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, कैशलैश आदि में प्रेरकों द्वारा सराहनीय योगदान देने के बावजूद 5 जून 2017 प्रेरको को बजट की कमी का हवाला देकर घर का रास्ता दिखा दिया | तभी से ये शिक्षा प्रेरक आंदोलन कर अपनी बहाली की मांग कर रहे हैं।
इन्ही शिक्षा प्रेरकों की बदोलत अगस्त 2015 में भारत ने बुनियादी साक्षरता परीक्षा में चीन के विश्व रिकार्ड को तोडक़र भारत को नम्बर-1 बनाया था व स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोगो को स्वच्छता के प्रति जागरूक करके सरकार के मिशन को साकार किया |
शिक्षा प्रेरकों ने कई वर्षो तक सरकार की स्कीमों साक्षर भारत मिशन, ड्राप आउट बच्चो को स्कूल में लाने, बीएलो का कार्य, चुनाव ड्यूटी, स्वच्छ भारत मिशन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, कैशलैश आदि में प्रेरकों द्वारा सराहनीय योगदान देने के बावजूद 5 जून 2017 को इन शिक्षा प्रेरकों को घर का रास्ता दिखा दिया गया।
प्रेरक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगवत कौशिक ने मुख्यमंत्री से मांग करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने हटाए गए कर्मचारियों के समायोजन के लिए कौशल रोजगार निगम का पोर्टल खोला है जिसके माध्यम से सरकारी विभाग मे एक दिन भी काम करने वाले पूर्व कर्मचारियों को आनलाईन आवेदन करने के लिए कहा गया है ताकि उनका समायोजन किया जा सके।लेकिन पांच साल तक साक्षर भारत मिशन और स्वच्छ भारत मिशन मे कार्य करने वाले शिक्षा प्रेरकों को इसमे शामिल नहीं किया जो प्रेरकों के साथ अन्याय है।कौशिक ने बताया कि देश की साक्षरता दर को बढाने मे शिक्षा प्रेरको का योगदान अतुलनीय है।लेकिन सरकार ने पांच साल कार्य करवाकर इन प्रेरकों को घर का रास्ता दिखा दिया। हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट मे हल्फनामा दायर कर कहा था कि भविष्य मे सरकार हटाए गए कर्मचारियों को लगाऐगी तो प्रेरको को वापिस लिया जाएगा।लेकिन सरकार अब अपने वायदे से मुकर रही है। शिक्षा प्रेरक सरकार से मांग करते है कि कौशल रोजगार निगम के माध्यम से शिक्षा प्रेरको को बहाल किया जाए।शिक्षा प्रेरक सरकार से बस केवल यही मांग कर रहे है की सभी को उनकी योग्यता के अनुसार कही न कही शिक्षा विभाग में समायोजित किया जाये और कम से कम न्यूनतम वेतनमान दिया जाये जिससे वे अपने परिवार की रोजी रोटी चला सके | सभी साक्षरता कर्मी सरकार की सभी योजनाओ से ट्रेनेड है :अ:त सरकार को चाहिए कि इनको पुन: सेवा में लेकर इनकी समस्याओ का समाधान किया जाये |
वहीं प्रेरक संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष कर्ण सिंह ने बताया कि शिक्षा प्रेरक दर दर की ठोंकरे खाने पर मजबूर है।हम सरकार से पुनः बहाली की मांग करते है।सरकार अन्य विभागों की तरह शिक्षा प्रेरको के भी हरियाणा कौशल रोजगार निगम के माध्यम से आनलाइन आवेदन करवाकर हमारा समायोजन करें।
हरियाणा में प्रेरकों की स्थिति
आपको बता दे कि हरियाणा के दस जिलों में जंहा महिला साक्षरता दर 50 प्रतिशत से कम थी वहा पर राज्य साक्षरता प्राधिकरण मिशन अथॉरिटी द्वारा प्रत्येक गांव मे एक महिला सहित एक पुरूष की नियुक्ति अगस्त 2012 मे शिक्षा प्रेरक पद पर की गई।लगभग हरियाणा मे 2500 शिक्षा केंद्र खोले गए जिनके माध्यम से स्कूल छोड़ चुके या अनपढ़ या बुजुर्ग बच्चों को पढ़ाया जाता है। हर केंद्र पर दो शिक्षा प्रेरकों की नियुक्ति कर उन्हें दो हजार रुपए प्रतिमाह मानदेय दिया जाता है।
हरियाणा में लगभग 4957 शिक्षा प्रेरक नियुक्त किए गए थे। भिवानी में 806, जींद में 517, फरीदबाद में 200, गुरुग्राम में 285, कैथल में 524, हिसार में 508, फतेहाबाद में 445, सिरसा में 423, महेंद्रगढ़ में 519, करनाल में 730 प्रेरक नियुक्त किए गए थे। 5 जून 2017 को इन शिक्षा प्रेरकों को बजट की कमी का तर्क देकर घर का रास्ता दिखा दिया गया। इसमें 2500 महिला शिक्षा प्रेरक शामिल हैं। शिक्षा प्रेरक तभी से आंदोलन की राह पर हैं।