सिद्धार्थनगर: 8 साल के मासूम को नोचते रहे आवारा कुत्ते, मां नहीं सुन पाई चीखें; मौत
मुजम्मिल की मां शहरुनिशा को इस बात का मलाल आखिरी दम तक रहेगा कि अगर वह बेटे की पहली चीख सुन पाती तो वह बच्चे को कुत्तों की झुंड से बचा लेती,भले ही खुद जख्मी हो जाती। यह सब इसलिए हुआ कि वह ऊंचा सुनती है।
सिद्धार्थनगर: मुजम्मिल की मां शहरुनिशा को इस बात का मलाल आखिरी दम तक रहेगा कि अगर वह बेटे की पहली चीख सुन पाती तो वह बच्चे को कुत्तों की झुंड से बचा लेती,भले ही खुद जख्मी हो जाती। यह सब इसलिए हुआ कि वह ऊंचा सुनती है। कुत्ते नोचते रहे और बेटा गुहार न लगाता रहा पर उसके कानों तक उसकी चीख नहीं पहुंच पा रही थी। जब उसने मुड़कर देखा तो कलेजे का टुकड़ा खून से लथपथ हो चुका था और सांसें गिन रहा था। यह दृश्य देखकर वह सकते में आ गई। फिर चीख पुकार शुरू की, लेकिन तबतक बेटा हमेशा के लिए उससे दूर जा चुका था। मौत के बाद जिला मुख्यालय के नौगढ़ डिहवा में मुहल्ले में गम का माहौल है।
गांव के लोगों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर दहशत
मुजम्मिल (8) अब्दुल मुईद का सबसे छोड़ा लड़का था। इसके अलावा उससे बड़ा शमशाद (17) और गुफरान (14) हैं। मुजम्मिल बहुत ही होशियार था और सभी का दुलारा था। बकरी पालन इसलिए करते हैं कि कुछ कमाई हो जाती है। पिता भी मेहनत मजदूरी करके बच्चों की परवरिश करता है। कल का दिन परिवार के लिए बहुत ही मनहूस रहा। मुजम्मिल जिद करके मां के साथ बकरी चराने के लिए निकला था। उसे क्या पता था कि अब वह कभी भी घर नहीं लौटेगा। मां शहरुनिशा भी बेटे की मौत से सदमे में हैं। उसे पूरी जिंदगी बेटे को खोने का मलाल रहेगा। काश वह सुन सकती और कुत्तों के आक्रमण करते ही वह बच्चे की पहले ही चीख पर जान जाती और बचा लेती। गांव के लोगों में व बच्चों की सुरक्षा को लेकर दहशत है। हमले के बाद लोग बच्चों को घरों में कैद कर रखे हैं।
पहले भी हो चुकी हैं दो घटनाएं
जिले के अलग-अलग हलकों में अप्रैल माह में कुत्तों के वहशियाना हमले में दो बच्चे मारे जा चुके हैं। इटवा थाना क्षेत्र के कहरिया सधन गांव में 9 साल के रमजान नामक बच्चे को कुत्तों ने 24 अप्रैल को नोचकर मार डाला था। दो माह पहले भी इटवा क्षेत्र में एक बच्चे को नोचकर मार दिया था। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की।