उत्तर प्रदेश

घोसी लोकसभाः त्रिकोणीय मुकाबले के बीच वोटर दिख रहे साइलेंट, किसका पलड़ा भारी कह पाना मुश्किल

घोसी संसदीय सीट पर मुकाबला तो सपा के राजीव राय और भाजपा की सहयोगी सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर के बीच है। बसपा के बालकृष्ण चौहान मुकाबले को त्रिकोणीय बनाना तो चाह रहे हैं पर कितना सफल होते हैं अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

मऊ: घोसी संसदीय सीट पर मुकाबला तो सपा के राजीव राय और भाजपा की सहयोगी सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर के बीच है। बसपा के बालकृष्ण चौहान मुकाबले को त्रिकोणीय बनाना तो चाह रहे हैं पर कितना सफल होते हैं अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। बसपा से यह सीट छीनने को सपा और सुभासपा के उम्मीदवार आतुर तो दिख रहे हैं पर मतदाताओं की चुप्पी से ये समझाना कठिन हो गया है कि किसका पलड़ा भारी होगा। यहां सुभासपा और भाजपा भले ही एक साथ आ गए हैं पर धरातल पर दल के साथ दिल का मिलन होता नहीं दिख रहा है।

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक समेत पार्टी के कई बड़े नेता कर चुके हैं प्रयास
भाजपा कार्यकर्ताओं के दिल भी सुभासपा के लोगों से मिले इसके लिए उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक समेत पार्टी के कई बड़े नेता प्रयास कर चुके हैं। अरविंद राजभर पूर्व में हुई बयानबाजी को लेकर माफी भी मांग चुके हैं पर उनका ये दांव कितना सफल होगा यह मतगणना के दिन ही पता चलेगा। फिलहाल सपा की नजर भाजपा के उन पदाधिकारियों पर टिकी है जो सुभासपा से नाराज हैं और सार्वजनिक बयानबाजी तो नहीं कर रहे हैं पर प्रचार से भी परहेज कर रहे हैं। 2014 में इस सीट पर कब्जा करने वाली भाजपा को उम्मीद थी कि वह 2019 में भी जीत दर्ज करेगी पर ऐसा हुआ नहीं। पार्टी के उम्मीदवार को बसपा के अतुल राय ने हरा दिया था। हालांकि इस बार अतुल राय मैदान में नहीं हैं। पार्टी ने उनका टिकट काटकर पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को दिया है।

बसपा के परंपरागत वोटों को सहेजने में जुटे बालकृष्ण चौहान 
बालकृष्ण चौहान बसपा के परंपरागत वोटों को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि भाजपा, बसपा के वोटों में लाभार्थी परक योजनाओं के जरिए सेधमारी पहले ही कर चुकी है। अब सुनिश्चित करने में लगी है कि ये मतदाता सुभासपा के अरविंद राजभर के खाते में जाएं। यहां कांग्रेस- सपा के नेताओं का गठजोड़ धरातल पर दिखने लगा है लेकिन सुभासपा और भाजपा के नेताओं में दूरियां दिख रही हैं। हालांकि भाजपा नेतृत्व लगातार इस दूरी को पाटने की कोशिश कर रहा है। दूरी पटी तो भाजपा 2014 का इतिहास दोहरा सकती है। यह सीट सुभासपा के खाते में जा सकती है।

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