दिल्ली

लोकतंत्र को खतरे में बता कर शाहिद सिद्दिकी ने दिया इस्तीफा

राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने सोमवार को यह कहते हुए अपने पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की कि संविधान और लोकतांत्रिक ढांचा खतरे में है तथा इस पर चुप रहना एक पाप है।

नई दिल्ली : राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने सोमवार को यह कहते हुए अपने पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा की कि संविधान और लोकतांत्रिक ढांचा खतरे में है तथा इस पर चुप रहना एक पाप है। सिद्दीकी ने यह कदम तब उठाया है जब रालोद कुछ दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल चुकी है।

संविधान और लोकतांत्रिक ढांचा खतरे में
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘कल, मैंने राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) की सदस्यता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत सिंह को भेज दिया। आज, जब भारत का संविधान और लोकतांत्रिक ढांचा खतरे में है तो ऐसे में खामोश रहना एक पाप है।” उन्होंने कहा, ‘‘मैं जयंत जी का आभारी हूं लेकिन मैं भारी मन से रालोद से दूरी बनाने के लिए मजबूर हूं। भारत की एकता, अखंडता, विकास और भाईचारा सभी को प्रिय है। इसे बचाना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी और धर्म है।”

तुंरत इस्तीफा नहीं देना चाहते थे
सिद्दीकी ने एक अन्य पोस्ट में अब इस्तीफा देने को लेकर कहा कि वह तुंरत इस्तीफा नहीं देना चाहते थे क्योंकि वह चौधरी चरण सिंह जी को प्रदान किए भारत रत्न का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं नहीं चाहता था कि मैं इसका विरोध करते हुए दिखूं। दूसरा, जब चुनाव की घोषणा हो गयी है तो निर्वाचित मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों पर हमला भारतीय लोकतंत्र तथा हमारे द्वारा बनाए महान संस्थानों पर हमला है।” रालोद ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में दो सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है।

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