सऊदी पहुंचे लेकिन हज नहीं कर पाएंगे बांग्लादेशी, यूनुस की आवाम के साथ हो गया अलग ही खेल

हर साल की तरह इस बार भी लाखों मुस्लिम श्रद्धालु सऊदी अरब में हज यात्रा की तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन बांग्लादेश के लिए यह धार्मिक यात्रा एक संकट में बदल गई है. 10,487 बांग्लादेशी हज यात्रियों के लिए अब तक सऊदी अरब में रहने की व्यवस्था नहीं हो पाई है. यह स्थिति तब सामने आई है जब वीजा प्रक्रिया पूरी करने की आखिरी तारीख तेजी से नजदीक आ रही है और बांग्लादेश के धार्मिक मामलों का मंत्रालय असहज स्थिति में है.
बांग्लादेश के धार्मिक मामलों के सलाहकार डॉ. एएफएम खालिद हुसैन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 81,900 निजी चैनल से हज पर जाने वाले यात्रियों में से मक्का में अब तक 74,626 और मदीना में 78,687 लोगों के लिए ही ठहरने की व्यवस्था हो पाई है. बांग्ला ट्रिब्यून के मुताबिक बाकी 10,487 यात्रियों के लिए व्यवस्था अब तक अधूरी है, जिसमें 7,274 मक्का और 3,213 मदीना में ठहरने वाले हैं.
लापरवाही के कारण संकट में बाग्लेदेशी
डॉ. खालिद के अनुसार, कुछ एजेंसियों ने सऊदी अरब की आधिकारिक ऑनलाइन व्यवस्था नुसुक मास्सार पर रहने की व्यवस्था के लिए आवेदन ही नहीं किया है. मंत्रालय ने बताया कि सोमवार को हुई ज़ूम मीटिंग में यह साफ हुआ कि मक्का के लिए 1,126 और मदीना के लिए 1,067 हज यात्रियों का आवेदन ही लंबित है. यह लापरवाही यात्रियों को संकट में डाल सकती है.
मंत्रालय लगातार एजेंसियों से निवेदन कर रहा है कि वे तुरंत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आवासीय निवेदन करें. उन एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है, जिन्होंने अब तक होटल बुकिंग पूरी नहीं की. शुरुआत में ऐसी एजेंसियों की संख्या 21 थी, जो अब घटकर 9 रह गई है. लेकिन जब तक सभी यात्रियों की बुकिंग कन्फर्म नहीं होती, तब तक संकट बना रहेगा.
सऊदी सरकार का फरमान
सऊदी सरकार ने साफ कर दिया है कि सभी यात्रियों के वीजा 18 अप्रैल तक पूरे हो जाने चाहिए. इसके तहत मंत्रालय ने एजेंसियों को पत्र भेजकर चेतावनी दी है. डॉ. खालिद ने मीडिया से कहा कि अगर किसी एक भी यात्री की हज यात्रा एजेंसी की लापरवाही के कारण रुकती है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी संबंधित एजेंसी की होगी, मंत्रालय इसकी ज़िम्मेदारी नहीं लेगा.
इस पूरे विवाद ने बांग्लादेशी मुस्लिम समुदाय में बेचैनी बढ़ा दी है. बहुत से लोग सालों की बचत से इस यात्रा की तैयारी करते हैं. अब जब समयसीमा नजदीक है और व्यवस्था पूरी नहीं है, ऐसे में सवाल उठता है. क्या इस बार हजारों बांग्लादेशी हज यात्री अपने सपने को अधूरा छोड़ देंगे? या फिर मंत्रालय और एजेंसियां समय रहते इस संकट का समाधान निकाल पाएंगी? फिलहाल तो मक्का-मदीना पहुंचने का रास्ता उलझता दिख रहा है.