पंचकूला में उत्तर भारत का सबसे ऊंचा रावण, 180 फीट का विशाल पुतला तैयार

इस वर्ष दशहरा उत्सव को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली (ट्राइसिटी) क्षेत्र में रावण का सबसे ऊंचा पुतला हरियाणा के पंचकूला में जलाया जाएगा। शालीमार ग्राउंड में होने वाला यह आयोजन इस बार आकर्षण का मुख्य केंद्र होगा। इस पुतले की ऊंचाई न केवल रिकॉर्ड तोड़ है, बल्कि इसकी निर्माण लागत और इसे बनाने वाली टीम की लगन भी इसे खास बनाती है। पंचकूला का 180 फीट ऊंचा रावण का पुतला इस वर्ष पूरे उत्तर भारत में अपनी भव्यता के लिए चर्चा का विषय है।
पंचकूला का ऐतिहासिक दशहरा महोत्सव
पंचकूला के शालीमार ग्राउंड में दशहरा महोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं। श्री माता मनसा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट दशहरा कमेटी और आदर्श रामलीला ड्रामाटिक क्लब मिलकर इस विशाल महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं। लगभग एक दशक बाद यह पहला अवसर होगा जब शालीमार ग्राउंड में रावण के साथ-साथ कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का भी दहन किया जाएगा। पिछले कुछ वर्षों में यहां केवल रावण का पुतला जलाया जाता रहा है।
रावण का पुतला: 180 फीट ऊंचा
कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले: प्रत्येक 100 फीट ऊंचे
कुल लागत: तीनों पुतलों की निर्माण लागत लगभग ₹18 लाख है।
पानीपत में भी होगा रावण दहन
पानीपत में 6 स्थानों पर रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। सेक्टर 25 में 100 फीट ऊंचे पुतले को जलाया जाएगा। इसके अलावा, सेक्टर 13 में 80 फीट, देवी मंदिर में 65 फीट, शिवाजी स्टेडियम में 70 फीट, और सेक्टर 24 में 95 फीट ऊंचे रावण के पुतले जलाए जाएंगे।
बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है दशहरा
दशहरा या विजयादशमी हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान श्री राम ने अहंकारी रावण का वध किया था। इसलिए, रावण के पुतले का दहन करके बुराई के अंत और सत्य की विजय का संदेश समाज को दिया जाता है। इस विशाल आयोजन को देखने के लिए ट्राइसिटी क्षेत्र और आसपास से हजारों लोग पंचकूला पहुंचने की उम्मीद है।