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IPC और CRPC की होगी छुट्टीः 1 जुलाई से लागू होंगे तीन स्वदेशी कानून, फिर नए कानून के मुताबिक होगी कार्यवाही

लखनऊ: मण्डलायुक्तों,जिलाधिकारियों एवं वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ लोकभवन में मंगलवार को बैठक करते हुए मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि 1 जुलाई से भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 से लागू होंगे। इसके बाद नए कानून के मुताबिक कार्यवाही होगी। जबकि, पूर्व दर्ज मुकदमों में पुराने कानून के आधार पर ही कार्यवाही होगी। आम लोगों में किसी तरह असमंजस की स्थिति नहीं होनी चाहिए।

तीन स्वदेशी कानून होंगे 1 जुलाई से लागू 
दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि 1 जुलाई को सभी थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, इसमें पुलिस कर्मियों के अतिरिक्त स्थानीय लोगों को आमंत्रित किया जाए और कानून के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाए। उन्होंने यह भी कहा नए कानून के बारे में पुलिस विभाग द्वारा तैयारी की गई बुकलेट का वितरण विवेचना अधिकारियों को करा दिया जाए। विवेचना अधिकारी पॉकेट बुकलेट को हमेशा अपनी पॉकेट में रखें, यह उनके लिए रिफ्रेंस का काम करेगी।

गवाहों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की भी आजादीः पुलिस महानिदेशक
पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि नए कानून में अपराध स्थल से लेकर जांच और मुकदमे तक की प्रक्रियाओं को तकनीक से जोड़ा गया है। गवाहों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की भी आजादी होगी। नई तकनीक के जरिए मामलों के निस्तारण में तेजी आएगी और न्याय जल्दी मिलेगा। उन्होंने कहा कि 1 जुलाई को प्रत्येक थाने पर विशेष कार्यक्रम होना है, इसकी सभी तैयारी पूरी कर ली जाए। कानून लागू होने के बाद जिन तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता हैं, उनका विशेष तौर पर ध्यान रखा जाए। सभी पुलिस कर्मियों की विधिवत ट्रेनिंग पूरी हो जाए।

यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर देनी होगी जांच रिपोर्ट
नए आपराधिक कानूनों से समय पर न्याय मिलेगा। इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के तीन दिन के भीतर FIR दर्ज करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देनी होगी। पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने का प्रावधान किया है। भगोड़े अपराधियों की गैर-मौजूदगी के मामलों में 90 दिनों के भीतर केस दायर करने का प्रावधान है। आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर फैसला होगा। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानून दंड-केंद्रित नहीं, न्याय केंद्रित है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर खास फोकस किया गया है।

‘महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर फोकस’
पीआईबी की महानिदेशक डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने कहा कि नए आपराधिक कानून का उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना है। ऐसे में जरूरी है कि जो कानूनी बदलाव हुए हैं, उसकी जानकारी जनता को हो। इसी मकसद को लेकर मीडियकर्मियों के साथ वार्तालाप का कार्यक्रम किया गया है। उन्होंने कहा कि 150 साल के कानून में जो नए बदलाव हुए हैं, उसे जन-जन तक पहुंचाने में मीडिया की भूमिका अहम है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य अपराधी को दंड देने के साथ-साथ पीड़ित को न्याय दिलाना है। इस कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए विशेष और त्वरित प्रावधान किए गए हैं।

नए कानून में क्या-क्या प्रावधान
सीआरपीसी में जहां कुल 484 धाराएं थीं वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। कुल 177 ऐसे प्रावधान हैं जिसमें संशोधन हुआ है। 9 नई धाराएं व कुल 39 उपधाराएं जोड़ी गई हैं। और 14 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है। बीएनएसएस, 2023 में सबूतों के मामले में ऑडियो-विडियो इलेक्ट्रॉनिक्स तरीके से जुटाए जाने वाले सबूतों को प्रमुखता दी गई है। नए कानून में किसी भी अपराध के लिए जेल में अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को उसके निजी बांड पर रिहा करने का प्रावधान रखा गया है। वहीं भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं होंगी । पहले के इंडियन एविडेंस एक्ट के तहत कुल 167 धाराएं थी। 6 धाराओं को निरस्त किया गया है और 2 नई धाराएं व 6 उप धाराओं को जोड़ा गया है। ऐसा प्रावधान किया गया है कि गवाहों की सुरक्षा के लिए कानून बनेगा।

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