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बीमारी या भूत-प्रेत… क्यों खाली हो गया आंध्र प्रदेश का ये गांव? आमावस्या पर आती हैं अजीब अवाजें

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के तेक्काली मंडल की नरसिंगपल्ली पंचायत का ‘अक्कुवरम सीतापुरम’ गांव खास है. ये एक ऐसा गांव है, जो एक दम वीरान है, यहां पर लोगों का मानना है कि भूत का साया है.इसलिए अगर इस गांव जाने के लिए कोई आसपास के गांव के लोगों से रास्ता पूछता तो वो चौंक जाते हैं. इस गांव में जाने के लिए तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली गांव से डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. एक समय पर ये गांव लोगों के घरों से भरा हुआ था.

सीतापुरम गांव में पीने के पानी और सिंचाई के पानी की कोई कमी नहीं है. यहां की जमीन काफी उपजाऊ है. इस गांव में फसल वाले खेत भी हैं. ये गांव पहाड़ियों से घिरा हुआ है और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, लेकिन हैरान कर देने वाली बात ये है कि कई साल से इस गांव में कोई नहीं रहा है. पहले इस गांव में अपने बच्चों के साथ करीब 30 परिवार रहते थे.

इस गांव में कोई नहीं रहता

लेकिन अब इस गांव में सिर्फ उपजाऊ जमीनें और पहाड़ ही बचे हैं. कोई शख्स नहीं है. इस गांव के सभी घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं और गांव जंगल में तब्दील हो गया है. इसकी वजह गांव में भूतों का डर है, जिसके चलते गांव को पूरी तरह से खाली कर दिया गया था. आज भी अगर किसी भी गांव वाले से उस गांव के बारे में पूछा जाएगा तो वे उस गांव के भूतों के बारे में कहानियां सुनाएगा.

अमावस्या पर आती हैं आवाजें

ऐसा कहा जाता है कि इस गांव से अजीब सी आवाजें आती हैं. इसके साथ ही ये भी कहा जाता है कि अमावस्या वाले दिन उस गांव से और भी तेज आवाजें सुनाई देती हैं. इसलिए आसपास के गांव वाले न खुद वहां जाते हैं और न ही मवेशियों को जाने देते हैं. बताया जाता है कि सीतापुरम गांव में कुछ लोग पेड़ से लटक कर मर गए थे.इसके बाद अलग-अलग वजहों से इस गांव के दस और लोगों की मौत हो गई थी.

गांव में बीमारी फैली थी

दूसरी तरफ कहा जाता है कि उस गांव में कोई बीमारी फैली थी, जिसकी दवाई उन्हें नहीं मिल पाई थी. ऐसे में लोग अंधविश्वास करने लगे थे. कुछ लोगों का कहना है कि उस गांव में एक महिला अपने बालों को फैलाकर कुछ अजीब सी दिखाई देती है. वहीं आवाजें भी सुनाई देती हैं और यही वजह है कि अब इस गांव में कोई भी नहीं जाता.

गांव की सच्चाई क्या है?

इसके साथ ही कहा ये भी जाता है कि कुछ जमींदारों ने भूत का आतंक फैलाने का नाटक रचाया था. हालांकि ये कोई नहीं जानता कि इस गांव की सच्चाई आखिर क्या है, लेकिन अलग-अलग बातें इस गांव के लिए सुनने को मिलती है और 30 साल पहले तक हंसता-खेलता गांव आज पूरी तरह से खत्म हो गया है और गांव एक जंगल जैसा बन गया है, जिसमें अब डर की वजह से कोई जल्दी से जाता भी नहीं है.

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