उत्तर प्रदेश

भदोही संसदीय सीट: बीजेपी सांसद की बगावत से बदला समीकरण, मुकाबला हुआ रोचक

भदोही संसदीय सीट पर भाजपा को जीत की हैट्रिक लगाने के लिए कड़ा संघर्ष करना होगा। टिकट कटने से नाराज चल रहे सांसद रमेश चंद्र बिंद के सपा में जाने की वजह से यहां का समीकरण बदल गया है।

लखनऊः भदोही संसदीय सीट पर भाजपा को जीत की हैट्रिक लगाने के लिए कड़ा संघर्ष करना होगा। टिकट कटने से नाराज चल रहे सांसद रमेश चंद्र बिंद के सपा में जाने की वजह से यहां का समीकरण बदल गया है। भाजपा ने भले ही वहां से मझ्या सीट से निषाद पार्टी के विधायक विनोद कुमार बिंद को मैदान में उत्तारकर निषाद बोटों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है लेकिन अब यहां लड़ाई दिलचस्प मोड़ पर आ गई है। रमेशचंद्र बिंद जहां खुद को अपमानित किए जाने का आरोप लगा रहे हैं। रमेश को सपा ने मिजीपुर संसदीय सीट से उम्मीदवार बना दिया है। वे भले ही वहां चुनाव प्रचार में व्यस्त हो गए हैं पर उनकी टीम भदोही में सपा की जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते दिख रही हैं।

2008 के परिसीमन में हुआ था भदोही संसदीय सीट का गठन 
भदोही संसदीय सीट का गठन 2008 के परिसीमन में हुआ था। 2009 में हुए लोकसभा के चुनाव में इस सीट पर बसपा गोरखनाथ पांडेय जीते थे। 2014 की मोदी लहर में भाजपा ने यहां से किसान नेता वीरेंद्र सिंह मस्त को उतारा था तो उन्होंने बसपा के राकेशधर त्रिपाठी को हराया था। इस चुनाव में वीरेंद्र सिंह मस्त को 4,03,693 मत मिले थे तो राकेशधर को 2,45,554 वोटों से संतोष करना पड़ा था। इस तरह 1.56 लाख वोटों से वीरेंद्र मस्त को यहां जीत मिली थी। 2019 में वीरेंद्र सिंह के स्थान पर रमेश बिंद चुनाव लड़े थे। तब उनके सामने सपा-बसपा के गठजोड़ की चुनौती थी। तब बसपा ने यहां से राकेश धर त्रिपाठी को उतारा था। राकेश को हराकर रमेश बिंद सांसद बने थे। हालांकि उनकी जीत का अंतर मात्र 43,615 वोटों का था। इस चुनाव में भाजपा को लग रहा था कि वह आसानी से मैदान मार लेगी क्योंकि उसके सामने सपा-बसपा जैसा मजबूत गठबंधन नहीं है। सपा के साथ कांग्रेस का गठजोड़ है। सपा ने इस सीट को तृणमूल कांग्रेस को दिया है।

तृणमूल कांग्रेस का यहां कोई जनाधार नहीं
तृणमूल कांग्रेस का यहां कोई पार्टी ने जनाधार नहीं है। हां ललितेश पति त्रिपाठी को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बनाने का प्रयास जरूर किया है। बसपा से यहां हरिशंकर मैदान में हैं पर मुकाबला ललितेश और विनोद कुमार के बीच ही दिख रहा है । हरिशंकर जरूर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में लगे हैं। रमेश बिंद के सपा में जाने के बाद भाजपा को यहां अपनी रणनीति बदलनी पड़ी है। पार्टी के बड़े नेता जल्द ही यहां रैलियां करेंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का खाररा प्रभाव माना जाता है। उनकी रैली तो होगी ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तीन से चार सभाएं कराने की योजना पर चर्चा की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का आना तय माना जा रहा है।

कुर्मी मतदाताओं पर भी भाजपा की नजर
यहां निषाद वोटों के साथ ही कुर्मी मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। यही वजह है कि पार्टी कैबिनेट मंत्री राकेश सचान, जल संसाधन मंत्री स्वतंत्र देव सिंह समेत कई अन्य बड़े कुर्मी नेताओं को यहां लगाएगी ताकि इस जाति के पाले में कोई सेंधमारी न कर सके।

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