निमिषा को फांसी से बचाने के लिए आगे आने वाले मुस्लिम धर्मगुरु कौन हैं?

यमन की जेल में बंद निमिषा को फांसी पर चढ़ाए जाने में 24 घंटो से भी कम का समय बचा है. सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनके पास निमिषा की फांसी रोकने के लिए सीमित विकल्प हैं, जिसमें एक पीड़ित परिवार का ब्लड मनी स्वीकार करना ही है. इस बीच भारत के ग्रांड मुफ्ति कंठपुरम एपी अबूबकर मुसलियार आगे आए हैं और निमिषा को बचाने के लिए अपनी कोशिशें तेज की हैं.
ग्रांड मुफ्ती के अनुरोध पर यमन में निमिषा को माफी देने पर विचार-विमर्श चल रहा है. जिसका नेतृत्व यमन के प्रसिद्ध सूफी विद्वान शेख हबीब उमर कर रहे हैं. शेख हबीब के प्रतिनिधि हबीब अब्दुर्रहमान अली मशहूर ने उत्तरी यमन में सोमवार को यमनी सरकार के प्रतिनिधि, आपराधिक न्यायालय के सर्वोच्च न्यायाधीश, तलाल के भाई और आदिवासी नेताओं से मुलाकात की है. जिसके बाद हर कोई जनना चाह रहा है कि ग्रांड मुफ्ति कंठपुरम एपी अबूबकर मुसलियार कौन हैं?… आइये जानके हैं.
कौन हैं भारत के ग्रांड मुफ्ती अबूबकर?
शेख अबूबकर अहमद, जिन्हें कंठपुरम एपी अबूबकर मुसलियार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के दसवें ग्रांड मुफ्ती हैं, जो भारत में सुन्नी मुस्लिम समुदाय के एक प्रमुख लोगों में से एक हैं. अबूबकर अहमद का जन्म केरल के कोझिकोड में 22 मार्च, 1931 को हुआ था. उन्हें 24 फरवरी, 2019 को अखिल भारतीय तंज़ीम उलेमाए इस्लाम की ओर से नई दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित गरीब नवाज़ शांति सम्मेलन में ग्रांड मुफ्ती चुना गया. उन्होंने ये पद जुलाई 2018 में 9वें ग्रांड मुफ्ती, मुहम्मद अख्तर रजा खान कादरी के निधन के बाद ग्रहण है. वह इस पद के लिए दक्षिण भारत से आने वाले पहले मौलवी हैं.
क्या काम करते हैं भारत के ग्रांड मुफ्ती?
भारत के ग्रांड मुफ्ती देश ही नहीं बल्कि दुनिया में एक खास अहमियत रखते हैं. उनकी भूमिका फतवे (इस्लामी कानूनी राय) जारी करने और धार्मिक एवं सामाजिक मामलों पर मार्गदर्शन प्रदान करने से संबंधित है. शेख अबू बक्र शांति के मुखर समर्थक रहे हैं, उन्होंने 2014 में ISIS के खिलाफ शुरुआती फतवे जारी किए थे और भारत के विविध समाज में सेक्यूलर भावना को बढ़ावा देते रहे हैं.
दुनिया भर में बनाई है पहचान
अबूबकर अहमद ने अरबी, उर्दू और मलयालम में 60 से ज़्यादा किताबें लिखी हैं और 12 हजार से ज़्यादा प्राथमिक विद्यालयों, 11 हजार माध्यमिक विद्यालयों और 638 कॉलेजों सहित कई शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों का संचालन किया है.
उन्हें सामजित काम के लिए 2021 में UAE के गोल्डन वीजा, 2023 में मलेशिया के तोकोह माल हिजरा पुरस्कार और 2008 में सऊदी अरब के इस्लामिक हेरिटेज पुरस्कार जैसे पुरस्कार से नवाजा गया है. वह दुनिया के 500 इंफ्यूलेंसर मुस्लिम की सूची में भी रह चुके हैं. साथ ही उन्होंने कई वैश्विक सम्मेलनों में भारतीय मुसलमानों का प्रतिनिधित्व किया है, जिनमें पोप फ्रांसिस जैसी हस्तियों के साथ बैठकें और शेख जायद अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन जैसे कार्यक्रम शामिल हैं. जिससे उनके कद का अंदाजा लगाया जा सकता है.




