धर्म/अध्यात्म

ऐसा मंत्र जिसका आरंभ पर अंत नहीं, जानें कौन सा है ये मंत्र और उसका रहस्य !

ओम (ॐ) के बिना शिव की भक्ति की कल्पना भी नहीं की जा सकती. शायद ही कोई पूजा हो जिसमें ओम का उच्चारण न होता हो. घर-घर में ओम का जाप होता है. ओम (ॐ) बिना तो सृष्टि की कल्पना भी नहीं हो सकती है. कहा तो ये भी जाता है कि ब्रह्माण्ड से हमेशा ॐ की ध्वनि प्रतिध्वनित होती रहती है. तो जानिए क्या है ॐ शब्द का मतलब, और उसका महत्व.

ओम शब्द का महत्व

ओम सिर्फ एक पवित्र शब्द नहीं एक असीमित और अलौकिक संसार है. ओम अनन्त शक्ति का प्रतीक है. ओम की महत्ता का जितना गुणगान किया जाए वो कम है. ओम शब्द के उच्चारण से कई शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक लाभ मिलते हैं. मात्र एक ओम शब्द के उच्चारण से आप तन और मन दोनों की शुद्धि कर सकते. सैकड़ों रोगों को दूर भगा सकते हैं. तन और मन की व्याधियों से मुक्ति पा सकते हैं.

सभी मंत्रों का केंद्र है ओम

ओम का चिह्न ॐ अद्भुत है. यह पुरे ब्रह्मांड को प्रदर्शित करता है.माना जाता है बहुत सारी आकाश गंगाएँ ओम के आकार में ही फैली हुई हैं. ओंकार ध्वनि ॐ को दुनिया में जितने भी मंत्र है उन सबका केंद्र माना गया है. ॐ शब्द के उच्चारण मात्र से शरीर में एक सकारात्मक उर्जा प्रवाहित होती है. हमारे शास्त्रों में ओंकार ध्वनि के कई मतलब समझाए गए हैं. ॐ शब्द इस दुनिया में किसी ना किसी रूप में सभी मुख्य संस्कृतियों का प्रमुख भाग है. ओंकार ध्वनि ॐ को दुनिया के सभी मंत्रों का सार कहा गया है.

क्या हैं ओम के मायने

दरअसल (ॐ) शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है. अ उ म. जिसमें अ का मतलब होता है उत्पन्न होना, उ का मतलब होता है उठना और म का मतलब होता है मौन हो जाना.अपने ब्रह्म में लीन हो जाना. ओम में पांच अवयव- अ से अकार, उ से उकार एवं म से मकार, नाद और बिंदु इन पांचों को मिलाकर ओम एकाक्षरी मंत्र बनता है. इसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं. इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं. यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है.

विज्ञान और दूसरे देशों ने भी मानी ओम की शक्ति

ॐ के उच्चारण से शरीर के अंगों मे कंपन शुरू हो जाती है जैसे की अ:- शरीर के निचले हिस्से में उ शरीर के मध्य भाग में म से शरीर के ऊपरी भाग कंपन का संचार होता है. ॐ शब्द के उच्चारण से कई शारीरिक, मानसिक, और आत्मिक लाभ मिलते हैं. इन लाभों को सिर्फ भारत ही नहीं दूसरे देश भी मान गए है. आध्यात्म ही नहीं विज्ञान भी ओम की शक्ति को नकार नहीं पाया है.

ओम का धार्मिक और अध्यात्मिक महत्व

ॐ शब्द तीन ध्वनियों का समावेश है- अ, उ, म ये तीन ध्वनियों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना गया है. ही भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोक का प्रतीक भी माना गया है. तप और ध्यान की गहन अवस्था में सुनाई देने वाली ध्वनि भी ओम ही है.एक ऐसी ध्वनि है जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर और बाहर दोनो में इसे सुनने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है.

योग और ध्यान का सार है ओम

ओकांर की ध्वनि जब शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती हैं तो ग्रंथिंयों के स्राव को नियंत्रित करती है लिहाजा इसके जाप मात्र से आप निरोगी हो सकते हैं. अगर आप तनाव में हैं. छोटी-छोटी बातों पर परेशान होते हैं या किसी मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं तो ये आप के लिए रामबाण इलाज है.

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