अश्लील साहित्य के लिए बच्चों का उपयोग करने पर दर्ज होगा मामला: उपायुक्त कौशिक
अधिनियम में 3 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान
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भिवानी, (ब्यूरो): उपायुक्त महावीर कौशिक ने बताया कि बाल शोषण करना अथवा करवाना लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (पोक्सो) के तहत अपराध माना गया है। उन्होंने अधिनियम के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यौन उत्पीड़न का प्रयास करना अथवा करवाना भी अपराध की श्रेणी में शामिल है। इसी प्रकार से अगर कोई व्यक्ति अश्लील साहित्य हेतु बच्चों का उपयोग करता है, तो अधिनियम के तहत उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। इसी प्रकार से बच्चों के निजी अंगों को छूना या बड़ों द्वारा निजी अंगों को छुना भी अधिनियम के तहत अपराध माना गया है।
उपायुक्त महावीर कौशिक ने बताया कि जब उपरोक्त श्रेणी के अपराध बच्चों के संरक्षक जैसे उनकी देखभाल करने वाली संस्था का कोई व्यक्ति, लोक सेवक, पुलिस बल या शैक्षणिक संस्था के व्यक्ति आदि द्वारा किया जाता है तो अपराध और भी गंभीर माना जाता है। इस स्थिति में दोषी को 3 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है और अधिनियम में आर्थिक दंड का प्रावधान भी किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को छुपाना या सूचना न देना भी अपराध की श्रेणी में माना गया है। इस स्थिति में 6 माह से 1 वर्ष तक की कैद का प्रावधान किया गया है। उपायुक्त महावीर कौशिक ने बताया कि जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा ऐसे मामलों में सुविधाएं प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा बच्चों को लैंगिक अपराध से सुरक्षा प्रदान करना विभाग का कार्य है। इसके अलावा माता-पिता की मौजूदगी में मेडिकल की सुविधा भी विभाग द्वारा प्रदान की जाती है।