सीरिया में असद सरकार को बचाने के लिए ईरान और रूस पूरी कोशिश कर रहे हैं, इस बीच ईरान ने अपने एक खास कमांडर को सीरिया भेजा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान ने IRGC के टॉप कमांडर जावेद गफ्फारी को सीरिया में तैनात किया है.
गफ्फारी 2011 में शुरू हुए गृहयुद्ध के दौरान सीरिया में तैनात होने वाले पहले IRGC कमांडरों में से एक थे. सीरिया में विद्रोही गुटों के ताजा हमलों के बीच जावेद गफ्फारी के मंगलवार को एक बार फिर दमिश्क पहुंचने की खबर है.
दमिश्क पहुंचा ‘अलेप्पो का कसाई’!
ईरान की सरकारी अल-आलम समाचार वेबसाइट ने बताया कि ईरान के विदेश मंत्री ने कहा था कि अगर असद सरकार की ओर से अनुरोध किया जाता है तो ईरानी सेना को सीरिया में तैनात किया जा सकता है, इसके कुछ घंटों बाद ही गफ्फारी के सीरिया भेजे जाने की बात सामने आई है.
ईरान की सरकारी मीडिया के मुताबिक 2017 में सीरिया के विद्रोही गुटों से अलेप्पो शहर को वापस लेने की लड़ाई का नेतृत्व किया था, इसके बाद से ही उन्हें ‘अलेप्पो का कसाई’ नाम दिया गया, क्योंकि इस संघर्ष में अलेप्पों के हजारों लोग मारे गए और घायल हुए.
गफ्फारी पर अमेरिका ने लगाया है बैन
गफ्फारी पर इसी साल सितंबर में अमेरिका ने बैन लगाया है, उन पर IRGC के खुफिया संगठन के स्पेशल यूनिट के प्रमुख के तौर पर विदेशों में ईरान के आलोचकों को निशाना बनाने का आरोप है. सीरिया में 2011 से जारी गृहयुद्ध के दौरान गफ्फारी ने सीरिया में कई साल बिताए हैं. इस दौरान उन्होंने पहले अलेप्पो में IRGC मुख्यालय की कमान संभाली और बाद में सीरिया में आईआरजीसी और बासिज फोर्स के साथ-साथ IRGC प्रॉक्सी बलों के मुख्य कमांडरों में से एक बन गए.
असद सरकार को बचाने में जुटा ईरान
टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी सैन्य सफलताओं के बावजूद गफ्फारी को 2021 में सीरिया छोड़ना पड़ा, क्योंकि उन पर अमेरिकी सेना पर हमला करने और वॉर क्राइम जैसे आरोप थे. ऐसे में एक बार फिर गफ्फारी का दमिश्क पहुंचना सीरिया में ईरान के प्रभाव और असद सरकार के संकट को दिखाता है.
सीरिया में पिछले हफ्ते हयात तहरीर अल-शाम के नेतृत्व में विद्रोही गुटों ने अचानक अलेप्पो शहर पर धावा बोल दिया, जिससे करीब चार साल पुराने युद्धविराम समझौता खत्म हो गया. विद्रोहियों ने अलेप्पो समेत आस-पास के कुछ हिस्सों और इदलिब के आसपास के इलाकों पर भी कब्जा कर लिया गया.