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काम कर गई आरबीआई की ये प्लानिंग, एक साल बाद आई गुड न्यूज

भले ही साल के मिड में महंगाई के आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली, लेकिन आरबीआई ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं किया. जिसकी वजह से फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें ऊंची बनी रही. अब आरबीआई की ये प्लानिंग काम कर गई है. बेहतर ब्याज दरों की वजह से बैंकों में कुल डिपॉजिट में फिक्स्ड डिपॉजिट की हिस्सेदारी एक साल के मुकाबले 61 फीसदी से ज्यादा हो गई है. आरबीआई की एमपीसी ने फरवरी 2023 से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है.

जिसकी वजह से रेपो रेट 6.50 फीसदी हैं. ऊंचे रेपो रेट से जहां बैंकों की ओर से होम लोन और दूसरे रिटेल की ब्याज लोन की ब्याज दरों में इजाफा किया जाता है. वहीं दूसरी ओर बैंक डिपॉजिट में इजाफा करने के लिए बैंकों की ओर फिक्स्ड डिपॉजिट जैसी स्कीम्स में भी बढ़ोतरी करती हैं. ताकि महंगाई के दौर में खर्च कम और बचत ज्यादा हो. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर आरबीआई की हालिया रिपोर्ट में किस तरह की बातें सामने आई हैं.

एफडी की बढ़ी हिस्सेदारी

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार आम लोग फिक्स्ड डिपॉजिट को तरजीह दे रहे हैं. आकर्षक ब्याज के साथ फिक्स्ड डिपॉजिट की वृद्धि करंट अकाउंट और सेविंग अकाउंट (कासा) में वृद्धि को पार कर गई है. इसकी कुल डिपॉजिट में हिस्सेदारी बढ़कर इस साल सितंबर में 61.4 फीसदी हो गई जो एक साल पहले 59.8 फीसदी थी.

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