राष्ट्रीय न्यूज़ डेस्क। WhatsApp एक ऐसा ऐप है जिसका इस्तेमाल हम लोग बातचीत करने के लिए करते हैं। यह हमारी जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा बन गया है। शादीशुदा जोड़ों Married couple में से कुछ लोग एक-दूसरे का फोन या सोशल मीडिया अकाउंट social media account देखने लगते हैं। वह ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह उनका अधिकार है, लेकिन क्या सिर्फ शादी के आधार पर कोई भी अपने साथी का फोन या सोशल मीडिया अकाउंट देख सकता है? आइए जानते हैं क्या कहता है कानून…
कानून के जानकारों का कहना है कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 Article 21 of Indian Constitution के तहत हर किसी को निजता का अधिकार Right to Privacy है। इस अधिकार के तहत कोई भी व्यक्ति अपने साथी का फोन या सोशल मीडिया अकाउंट नहीं देख सकता है। अगर कोई व्यक्ति अपने साथी के फोन या सोशल मीडिया अकाउंट को देखना चाहता है, तो उसे अपने साथी से अनुमति लेनी चाहिए।
क्या है आर्टिकल 21?
Right to Privacy एक ऐसा अधिकार है जो हमें अपनी निजी बातों को दूसरों से छिपाने का अधिकार देता है। इस अधिकार को हमारे संविधान में मौलिक अधिकार Fundamental Rights के रूप में मान्यता दी गई है। 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी।
9 जजों ने सुनाया था फैसला
इस फैसले में 9 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था। इस बेंच में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर, जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस एस.ए. बोबडे, जस्टिस आर.के. अग्रवाल, जस्टिस आर. एफ. नरीमन, जस्टिस ए.एम. सप्रे, जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल थे।
इस फैसले के बाद, भारत में Right to Privacy एक महत्वपूर्ण अधिकार बन गया है। इस अधिकार के तहत, हर व्यक्ति को अपनी निजी बातों को दूसरों से छिपाने का अधिकार है।