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देर रात अकेले सफर करने से महिलाएं नहीं करेंगी संकोच, अब एयरपोर्ट से पूरे एनसीआर में कैब चलाती नजर आएंगी महिलाएं और ट्रांसजेंडर 

कैब चलाने का मौका मिलने से ट्रांसपिपल काफी उत्साहित हैं। उनका कहना है कि वह किसी से कम नहीं हैं। उनके ऊपर लोग विश्वास करके देखें

न्यूज़ डेस्क हरियाणा । गुरुग्राम । जल्द ही एनसीआर की सड़कों पर ट्रांसपिपल कैब चलाते नजर आएंगे। कैब की सुविधा दिल्ली एयरपोर्ट से उपलब्ध होगी। शुरुआत 50 कैब से की जाएगी। धीरे-धीरे कैब की संख्या 300 तक की जाएगी। 50 कैब में से 40 कैब महिलाएं चलाएंगी, जबकि 10 कैब ट्रांसपिपल (ट्रांसजेंडर) चलाएंगे। कुछ महीनों के बाद एनसीआर से बाहर भी यदि लोग जाना चाहेंगे तो कैब की सुविधा उपलब्ध होगी। कैब चलाने का मौका मिलने से ट्रांसपिपल काफी उत्साहित हैं। उनका कहना है कि वह किसी से कम नहीं हैं। उनके ऊपर लोग विश्वास करके देखें। अपने व्यवहार व काम से वे लोग एनसीआर में कम से कम समय में विशेष पहचान बनाने को तैयार हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्टार्टअप कंसेप्ट से प्रभावित होकर वाईएमसीए फरीदाबाद से बीटेक कर रहीं रूमन एवं नार्थ कैप यूनिवर्सिटी गुरुग्राम से बीटेक कर रहे सूरज कुमार सिंह ने आर्बिन फियाकरे प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी बनाई है। यह ओला एवं उबर की तरह ही एप आधारित कैब सर्विस उपलब्ध कराएगी। अंतर यह होगा कि सभी चालक महिलाएं एवं ट्रांसपिपल होंगे। यही नहीं सभी कैब कंपनी की होगी। इस सप्ताह से कंपनी की सर्विस शुरू हो जाएगी। सुरक्षा को ध्यान में रखकर सभी कैब जीपीएस से लैस होगी। यही नहीं कैब में एक पैनिक बटन होगा। गलत होने की आशंका पर बटन दबाते ही सूचना कंपनी के कंट्रोल रूम में पहुंच जाएगी। कंपनी की सीईओ रूमन एवं सीओओ सूरज कुमार सिंह कहते हैं कि सर्विस शुरू करने का मुख्य उद्देश्य ट्रांसपिपल को मुख्यधारा में लाना है।

महिलाएं तो अब हर क्षेत्र में आगे आने लगी हैं, लेकिन ट्रांसपिपल को अभी भी कोई नौकरी नहीं देता है। उन्हें अलग नजरिये से देखा जाता है। फिलहाल उनके पास 100 महिलाओं एवं ट्रांसपिपल की सूची उपलब्ध है जो नौकरी करने के लिए तैयार हैं। मांग के मुताबिक कैब की संख्या बढ़ाई जाएगी।

दिल्ली एयरपोर्ट से देर रात महिलाएं एनसीआर के किसी भी इलाके में जाने में संकोच नहीं करेंगी। पुरुष चालक की वजह से महिलाएं संकोच करती हैं। सूरज कुमार सिंह कहते हैं कि सभी कैब कंपनी की होगी। ऐसे में चालकों के ऊपर सौ फीसद कंपनी का नियंत्रण होगा।जीपीएस की वजह से कैब कहां से कितने बजे चली और कितने बजे कहां तक पहुंची, पूरी जानकारी कंट्रोल रूम में अपडेट रहेगी। एप से बुकिंग की सुविधा तो रहेगी ही, एयरपोर्ट पर काउंटर से भी बुकिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। ट्रांसजेंडर चाहते हैं कि उन्हें लोग ट्रांसपिपल कहें। इसे ध्यान में रखकर कंपनी में ट्रांसजेंडर की जगह ट्रांसपिपल शब्द का प्रयोग किया जाएगा।

ट्रांसपिपल देवांश एवं कृष्णा का कहना है कि उनके भीतर प्रतिभा की कमी नहीं है। काफी संख्या में ट्रांसपिपल हर क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं। उन्हें कंपनियां मौका दें। आर्बिन फियाकरे प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने उनलोगों को मौका दिया है। वे लोगों की सेवा करने के लिए बेहतर उत्साहित हैं। वे लोग इस तरह से काम करना चाहते हैं कि अन्य ट्रांसपिपल भी बेहतर से बेहतर करने के लिए प्रेरित हों।

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