बिहार

महिला विवाद और राजनीति ने भोजपुरी स्टार पवन सिंह के लिए खड़ा किया संकट

भोजपुरी सुपर स्टार पवन सिंह के जनप्रतिनिधि बनने का सपना इस बार भी टूट गया. इस बार भी महिला से जुड़ा मामला ही उनके राजनीतिक करियर में बाधक बना. पिछले डेढ़ सालों में ऐसा दूसरी बार हुआ जब वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे थे तभी किसी न किसी महिला की वजह से राजनीतिक मैदान में जीत हासिल करने का सपना टूट गया.

पहली पत्नी को करना पड़ा सुसाइड

ऐसा नहीं है कि महिलाओं की वजह से पवन सिंह पहली बार किसी मुसीबत में फंसे हैं और आलोचकों के निशाने पर आए हैं. इस मामले से जुड़ी फेहरिस्त बहुत लंबी है. सार्वजनिक मंच पर एक्ट्रेस अंजलि राघव को गलत तरीके से छूना, अक्षरा सिंह के साथ अफेयर और उनके साथ बुरा बर्ताव करने का आरोप और पहली पत्नी के शादी के कुछ दिनों बाद ही खुदकुशी करने जैसे कई मामलों ने उन्हें हमेशा विवादों में बनाए रखा.

महिलाओं के बीच खास आकर्षण रखने वाले पवन सिंह ने 2 शादियां की हैं और दोनों ही शादी नाकाम रही. उन्होंने पहली शादी 1 दिसंबर 2014 को नीलम सिंह के साथ की. नीलम उनके भाई की साली की बहन थीं. लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही मार्च 2015 में नीलम ने खुदकुशी कर ली. मुंबई के फ्लैट में उनकी लाश मिली.

दूसरी पत्नी संग झगड़ा, कोर्ट में तलाक

नीलम की खुदकुशी के बाद पवन सिंह ने साल 2018 में ज्योति सिंह से शादी रचाई, लेकिन यह रिश्ता भी विवादों में रहा. कुछ समय ज्योति की ओर से उन पर मारपीट और घरेलू हिंसा करने का आरोप लगाया गया. बाद में ज्योति ने केस वापस ले लिया. हालांकि कुछ समय पहले दोनों के विवाद खुलकर बाहर आ गए. ज्योति ने सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट किया जिसमें उन्हें पति पवन सिंह पर आरोप लगाया कि वह उनका बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखते. पति ने अकेले छोड़ दिया है. उनके पास सुसाइड करने के अलावा अब कोई रास्त नहीं दिख रहा. फिलहाल दोनों के बीच तलाक का मामला अब कोर्ट में चल रहा है. कोर्ट के बाहर दोनों के सार्वजनिक तौर पर बहसबाजी भी जारी है.

एक्ट्रेस अंजलि राघव के साथ बैड टच

पत्नियों के साथ घरेलू विवाद में उलझने वाले पवन सिंह घर के बाहर भी विवादों में रहे. कई बार वह सार्वजनिक मंच पर महिलाओं या साथी महिला कलाकारों को गलत तरीके से छूते पाए गए. पिछले दिनों उनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें अपनी साथी हरियाणवी कलाकार अंजलि राघव को गलत तरीके से छूते नजर आए. बाद में अंजलि ने वीडियो के जरिए इस घटना को लेकर अपना दुख बयां किया.

अक्षरा सिंह के साथ रोमांस फिर मारपीट

इसके इतर पवन सिंह का नाम एक्ट्रेस अक्षरा सिंह से भी जुड़ा. दोनों की लव स्टोरी फिल्मी गलियारे में चर्चा का विषय भी रही. इस बीच यह जोड़ी भी विवादों में आ गई जब अक्षरा ने पवन गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वह उनके साथ मारपीट करते हैं. बिना किसी गलती के माफी मांगने को भी कहते हैं. यही नहीं पवन उनकी संपत्ति भी हड़पना चाहते थे. कहा जाता है कि अक्षरा सिंह को धोखा देकर पवन ने ज्योति से शादी कर ली.

महिलाओं के साथ लगातार उनके बैड टच या अश्लील हरकतों के अलावा पवन सिंह की फिल्मों और गाने में महिलाओं के खराब और अश्लील चित्रण भी उनके खिलाफ गया. यह बात तब खुलकर सामने आई और उन्हें सियासी नुकसान का सामना करना पड़ा जब 2024 में लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने आसनसोल से टिकट दिया.

बंगाली महिलाओं के प्रति ‘गंदी सोच’

पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले स्टार पवन सिंह ने सियासी पारी खेलने का फैसला लिया और बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में हिंदी भाषी खासकर भोजपुरी बोलने वालों के बीच पैठ बनाने के मकसद से आसनसोल से टिकट दे दिया. आसनसोल से टिकट दिए जाने की वजह बिहार की सीमा से लगा होना था. यहां पर बिहारियों की अच्छी-खासी आबादी भी रहती है. चूंकि यह सीट 2019 के चुनाव में बीजेपी के बाबुल सुप्रियो ने जीती थी, लेकिन बाद में साल 2021 में वो तृणमूल कांग्रेस में चले गए. ऐसे में बीजेपी यहां पर बड़े चेहरे की तलाश में थी.

बीजेपी ने पवन सिंह को यहां से टिकट दिया, लेकिन पार्टी का यह फैसला विवादों में घिर गया. क्योंकि पवन सिंह ने अपने गानों में महिलाओं खासकर बंगाली महिलाओं को लेकर काफी दोअर्थी शब्दों का इस्तेमाल किया था. राज्य में सत्तारुढ़ टीएमसी ने पवन सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला लिया और उनके कई ऐसे गाने हर ओर चलाने लग गए जिसमें महिलाओं को लेकर अपमानजनक बातें कही गई थी. कई अन्य विपक्षी दलों ने भी इसे मुद्दा बना दिया.

BJP ने काटा टिकट तो बागी हो गए

नतीजा यह हुआ कि बीजेपी से पवन सिंह से यह टिकट वापस ले लिया. टिकट कटने के बाद पवन सिंह ने बिहार के काराकाट संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार लड़ने का फैसला लिया. बागी तेवर को देखते हुए बीजेपी ने पवन सिंह को पार्टी से ही निकाल दिया. वह निर्दलीय ही मैदान में उतरे. वह चुनाव तो नहीं जीत सके लेकिन एनडीए का गणित जरूर बिगाड़ दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा काराकाट लोकसभा सीट से मैदान में उतरे और यहां से पवन सिंह भी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े.

दो की लड़ाई में तीसरा बाजी मार गया, ऐसा ही यहां पर भी हुआ. सीपीआई (एम-एल) लिबरेशन के दिग्गज प्रत्याशी राजा राम सिंह मुकाबले में जीत गए. पवन सिंह की वजह से कुशवाहा तीसरे स्थान पर चले गए. कुशवाहा के लिए यह हार बड़े झटके की तरह थी क्योंकि वह 2014 और 2019 में काराकाट से ही सांसद चुने गए थे.

बिहार चुनाव से पहले सियासी पारी पर ब्रेक

लेकिन बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले पवन सिंह ने कुशवाहा से मुलाकात कर गिले-शिकवे दूर किए और एनडीए में आने का रास्ता साफ करा लिया. फिर दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात कर बीजेपी में फिर से उनकी वापसी हो गई. अब जब चुनाव में पवन सिंह को टिकट दिए जाने की बात चल रही थी तब पत्नी ज्योति सिंह के साथ सार्वजनिक तौर पर शुरू हुई लड़ाई उनके राजनीतिक करियर के शुरू होने से पहले ही बाधक बन गई.

बीजेपी भी महिला से जुड़ा मामला होने की वजह से पशोपेश में थी, लिहाजा पवन सिंह को खुद ही सोशल मीडिया के जरिए चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करना पड़ा. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि पवन सिंह का जनप्रतिनिधि बनने का सपना इस बार भी टूट गया. उनका यह इंतजार कब खत्म होगा यह भविष्य को ही पता है.

Related Articles

Back to top button