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शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन के साथ भारत पुन: विश्व गुरु बनाने की ओर अग्रसर : कुलपति प्रो. राजबीर सिंह

भिवानी, (ब्यूरो): हलवासिया विद्या विहार में शिक्षकों को जागरूक करने के उद्देश्य से महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के वॉइस चांसलर प्रो. राजबीर सिंह पधारे। सर्वप्रथम माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। तदुपरांत उनके द्वारा विद्यालय में पौधारोपण किया गया। विद्यालय प्रशासक डॉ. शमशेर सिंह अहलावत, प्राचार्य विमलेश आर्य तथा विभाग प्रमुखों द्वारा उनको पुष्पगुच्छ एवं शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। अपने उद्बोधन में उप-कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने छात्रों के हित में डिजिटल कंटेंट के बारे में विस्तारपूर्वक शिक्षकों को जागरुक करते हुए बताया कि शिक्षा के माध्यम से ही आज हम छात्रों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए बेहतरीन ढंग से तैयार कर सकते हैं। आज के समय में तकनीकी शिक्षा बहुत जरूरी है इसलिए डिजिटलाइजेशन के जरिए ही छात्रों में अनेक स्किल्स विकसित हो सकती हैं। भारतीय शिक्षक यदि छात्रों के साथ मिलकर पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक शिक्षा प्रणाली को साथ लेकर आगे बढ़ते हैं तो नि:संदेह आने वाली सशक्त पीढिय़ाँ भारत को शिक्षा के क्षेत्र में विश्व गुरु बना देंगी। डिजिटल सामग्री के माध्यम से भारत वैश्विक शिक्षा का नेतृत्व करने में पूर्णरूपेण सक्षम हो सकता है। डिजिटल तकनीकियों ने शिक्षण को नई दिशा देने का कार्य किया है जहाँ पहले केवल पुस्तकें ही ज्ञान का माध्यम थी वहीं अब स्मार्ट क्लासेस, ई-लर्निंग प्लेटफॉम्र्स,वर्चुअल रियलिटी तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे अनेक उपकरणों ने शिक्षा की परिभाषा को बदल दिया है। आज की तकनीकी विद्यार्थियों की समझ के अनुसार सिलेबस को बदल सकती हैं। आज अनेक प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय कोर्सेज के व्यापक संसाधन आसानी से उपलब्ध हैं। इस प्रतिस्पर्धात्मक युग में विद्यालय स्तर पर एक शिक्षक फैसिलिटेटर के रूप में बच्चों के लिए कई अहम भूमिकाएँ निभा सकता है। शिक्षक की भूमिका अब केवल जानकारी देने वाले की नहीं, बल्कि बच्चों को सही दिशा दिखाने, उनको डिजिटल प्लेटफाम्र्स से जोडक़र सीखने के अवसर प्रदान करने, खुद से सीखने तथा समाधान करने के लिए प्रेरित करने वाले की हो गई है। कार्यक्रम में उपस्थित सभी शिक्षकों से अपील करते हुए अपने संदेश में उन्होंने बताया- अब शिक्षकों को छात्रों के साथ एक ऐसा माहौल बनाना होगा जिसमें छात्र बिना झिझक के अपनी बात कह सके, अपने विचारों को सांझा कर सके और अपनी गलतियों से सीख सकें। प्राचीन शिक्षा के माध्यम से भारतीय छात्रों ने विश्व भर में अपना योगदान दिया था यदि आज के समय में भी शिक्षक अगर गुरु की भांति बच्चों से जुड़ जाए तो पुन: विश्व पटल पर शिक्षा जगत में क्रांति आ सकती है। अंत में विद्यालय प्रशासन ने उनके द्वारा विद्यालय पधारने पर हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त किया तथा साथ ही उनके द्वारा बताई गई सभी जानकारियों को आने वाले समय में अपनाने का विश्वास दिलाया। इस अवसर पर विभाग प्रमुख अलेक्जेंडर दास, अमरेंद्र कुमार, सुवीरा गर्ग, वीणापाणि, आचार्य दीपक वशिष्ठ, सूरजभान, एवं सभी स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे।

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