Blog

लोकसभा अध्यक्ष का पद इतना अहम क्यों है ? क्या है ताकत कि इस बार आ गई चुनाव की नौबत

नई दिल्ली : आज 18वीं लोकसभा सत्र का दूसरा दिन है। लोकसभा स्पीकर के पद को लेकर काफी चर्चाएं चल रही है। अभी तक NDA और INDIA गठबंधन के बीच सहमति नहीं बन पाई है। एनडीए ने कोटा से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे सासंद ओम बिरला को उम्मीदवार बनाया है। वहीं विपक्ष ने केरल की मवेलीकरा सीट से जीतकर आए सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को मैदान में उतारा हैं। आइए जानते हैं कि स्पीकर का पद कितना अहम है ?

इस 18वीं लोकसभा के सत्र मे स्पीकर के पद को लेकर इसलिए चर्चा ज्यादा हो रही है, क्योंकि इस बार हर बार की तरह सर्वसम्मति से स्पीकर नहीं चुना गया है इस साल चुनाव के जरिए इसका फैसला किया जाएगा। लोकसभा स्पीकर पद को लेकर हो रही हलचलों के बीच यह जानते हैं कि यह पद अहम होने के साथ कितना ज्यादा पावरफूल है। साथ ही यह भी जानते हैं कि लोकसभा स्पीकर का क्या काम होता है और क्या उन्हें सुविधाएं भी दूसरे सांसदों से अलग मिलती है।

आपको बता दें कि लोकसभा स्पीकर कोई बाहर का आदमी नहीं होता, वह जीते हुए सांसदों में से ही एक होता है। इसका कामकाज सदन को सुचारु रुप से संचालित करना होता है। यह सदन का संवैधानिक और औपचारिक प्रमुख होता है। संविधान के अनुच्छेद 93 के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है और अध्यक्ष का चुनाव सदन शुरू होने के बाद “जितनी जल्दी हो सके” किया जाना चाहिए। हालांकि, इसके चयन के लिए कोई तय सीमा नहीं है।

दरअसल इस बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव चर्चा का विषय इसलिए बना हुआ हैं कि अभी तक यह  परपंरा रही है कि सत्ता पक्ष एक सांसद का नाम ऐलान करता है और उस पर सहमति बन जाती है और वह लोकसभा स्पीकर बन जाता है। लेकिन, इस बार वोट के जरिए स्पीकर का चुनाव होना है। ऐसे में जिस उम्मीदवार को उस दिन लोकसभा में मौजूद आधे से ज्यादा सांसद वोट देते हैं, वह लोकसभा अध्यक्ष बनता है।

लोकसभा स्पीकर सदन में चल रही किसी भी विषय पर अपनी राय नहीं देते। लोकसभा स्पीकर वोटिंग की स्थिति में वोट भी नहीं देते हैं, लेकिन अगर वोट बराबर हो तो वे निर्णायक वोट देते हैं। स्पीकर का मुख्य काम संसद को अच्छे से संचालन करना और सदन के कामकाज को अच्छे से संचालित करना होता हैं। अगर हम लोकसभा स्पीकर के शक्तियों की बात करें तो जब भी सदन में कोई बिल पेश होता है तो इस पर स्पीकर ही फैसला लेते हैं कि वो मनी बिल है या नहीं। सदन में स्थगन, अविश्वास और निंदा प्रस्ताव को लेकर भी स्पीकर ही अनुमति देता है। यदि उन्हें किसी सांसद का व्यवहार सदन के अनुकूल नहीं लगता है तो वो उसे निलंबित कर सकते हैं।

साथ ही वो किसी भी सांसद पर सदन के नियमों के हिसाब से दंडात्मक कार्रवाई कर सकते हैं। यह फैसला भी स्पीकर के पास ही होता है कि कौन सांसद कहां बैठेगा। दरअसल वे सीट अरेंजमेंट को लेकर फैसला लेते हैं। यदि किसी भी कारण से सदन में कोरम पूरा नहीं है, तो लोकसभा अध्यक्ष जरूरी उपस्थिति पूरी होने तक बैठक स्थगित कर देगा।

Related Articles

Back to top button