राष्ट्रीय लोक अदालत को लेकर लगाए गए हैल्प डेस्क से लोगों को मिल रही है सही जानकारी: सीजेएम अशोक कुमार
हिसार व हांसी में 8 मार्च को आयोजित की जाएगी राष्ट्रीय लोक अदालत

हिसार, (ब्यूरो): राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकारण के निर्देशानुसार एवं हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण पंचकूला के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 8 मार्च को हिसार एवं हांसी न्यायिक परिसर में किया जाएगा। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सीजेएम एवं सचिव अशोक कुमार ने बताया कि जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार मित्तल के कुशल मार्गदर्शन में इस राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत प्राधिकरण की तरफ से जिला न्यायालय परिसर में तथा जिला एडीआर सेंटर हिसार में एक हैल्प डेस्क भी स्थापित किया गया है, जिसमें कोर्ट परिसर में आने जाने वाले लोगों को राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में जागरूक किया जा रहा है और लोक अदालत के फायदे भी उन्हें बताए जा रहे हैं। इस हैल्प डेस्क में एक रिटेनर एडवोकेट व एक पैरा लीगल वालिंटियर की डयूटी लगाई गई है। प्राधिकरण द्वारा लगाए इन हैल्प डेस्क पर मिलने वाली जानकारी को आम लोगों द्वारा सराहा जा रहा है। अशोक कुमार ने बताया कि अशोक कुमार ने आह्वान किया राष्ट्रीय लोक अदालत को एक उत्सव की तरह मनाना चाहिए और इसमें अधिक से अधिक मामलों का निपटारा करवाने के लिए सभी को बढ़-चढक़र हिस्सा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए विभिन्न बैंकों, सरकारी विभागों इत्यादि के उच्च अधिकारियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया गया जिसमें आम जनता को अधिकतम छूट एवं वाहन बिजली विभाग, सिंचाई विभाग व पंचायती राज, जिससे आम जनता को लोन रिकवरी केस में अधिकतम छूट वाहन दुर्घटना मुआवजा में अधिकतम मुआवजा आपसी सहमति के आधार पर दिया जा सके। सचिव अशोक कुमार ने बताया कि लोक अदालत वैकल्पिक विवाद समाधान की एक प्रणाली है, जो भारत में बदलते समय के साथ एक प्रणाली के रूप में स्थापित हुई है। लोक अदालतें न केवल लंबित विवाद या पार्टियों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों को सुलझाती हैं, बल्कि यह सामाजिक सद्भाव को भी सुनिश्चित करती हंै, क्योंकि विवाद करने वाले पक्ष अपने मामलों को अपनी पूर्ण संतुष्टि के साथ सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाते हैं। इससे अदालतों के लंबित मामलों में कमी आती है, क्योंकि अपील और संशोधन के रूप में आगे की कार्यवाही को भी समाप्त कर पक्षों की सहमति से मामलों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जाता है और त्वरित और प्रभावी तरीके से न्याय दिलाने के लिए उन्हें उपलब्ध कराया जाता है। विवाद के निपटारे के अलावा, पक्षकारों को मामलों की उनके द्वारा भुगतान की गई अदालती फीस की वापसी का लाभ होता है।