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मुस्लिमों को वक्फ कानून के फायदे बताने में क्यों जुटी है बीजेपी? समझें क्या है सियासी मकसद?

वक्फ संशोधन कानून को लेकर बीजेपी और मुस्लिम संगठनों के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है. मुस्लिम संगठनों ने वक्फ कानून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और अलग-अलग राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर रही है. मुस्लिम संगठन वक्फ कानून की खामियां गिना रहे हैं तो बीजेपी मुसलमानों को कानून के फायदे गिनाने के लिए ‘वक्फ जागरण अभियान’ शुरू कर रही है, जिसको मुस्लिमों के संदेह को दूर कर उनके विश्वास को जीतने की रणनीति मानी जा रही.

बीजेपी ने ‘वक्फ जागरण अभियान’ के लिए अपने नेताओं की एक टीम गठित की है. गुरुवार को बीजेपी ने अपने मुस्लिम नेताओं और कार्यकर्ताओं को वर्कशॉप के जरिए वक्फ संशोधन कानून की बारीकियां बताने का काम किया है. इस तरह से बीजेपी के प्रशिक्षित कार्यकर्ता मुस्लिम समुदाय के बीच जाकर वक्फ संशोधन कानून पर मुस्लिम समुदाय के सवालों के जवाब देंगे. इस तरह से बीजेपी मुस्लिम समाज के मन में वक्फ कानून के भ्रम को दूर करने की कोशिश करेंगे. ऐसे में यह सवाल उठता है कि बीजेपी को वक्फ कानून के फायदे बताने की जरूरत क्यों पड़ी है और उसके पीछे सियासी मकसद क्या है.

बीजेपी ने कैसे मुस्लिमों का दूर किया संदेह

बीजेपी ने मुस्लिम समुदाय के बीच वक्फ जागरण अभियान चलाने के लिए देश भर में हर प्रदेश के संयोजक और सह संयोजक बनाए हैं. इन सभी संयोजक और सह संयोजक की गुरुवार को वर्कशॉप आयोजित की, जिसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरण रिजिजू सहित पार्टी के अहम नेता शामिल हुए. बीजेपी नेताओं ने अल्पसंख्यक नेताओं के बताया कि कैसे उन्हें लोगों तक अपनी बात पहुंचानी है. मुस्लिम नेताओं को जेपी नड्डा ने बताया कि वक्फ संशोधन कानून कैसे मुस्लिम समाज के हित में है और साथ ही बताया कि किस तरह कानून को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा, जिसे काउंटर करना है और मुस्लिम समुदाय को सच्चाई बतानी है.

बीजेपी के अल्पसंख्यक नेता मुस्लिम समाज के बीच जाकर बताएंगे कि नए कानून का असर पुरानी वक्फ प्रॉपर्टी पर नहीं पड़ेगा और न ही वक्फ संपत्ति के डॉक्यूमेंट मांगे जाएंगे. नए कानून से वक्फ प्रॉपर्टी का लाभ मुसलमानों के चंद लोगों के बजाय सभी को मिल सकेगा. खासकर मुस्लिम महिलाओं और पसमांदा मुसलमानों को भी वक्फ का लाभ मिलेगा, जो अभी तक नहीं मिल रहा था. बीजेपी नेता ने बताया कि हमारे कार्यकर्ता मुस्लिम गांव और मुहल्ले में जाकर लोगों को बताएंगे कि वक्फ का कानून के चलते कोई भ्रष्टाचार नहीं हो पाएगा और अब कैसे यह कानून सभी के हित में है, उन्हें बताएंगे. ये अभियान एक महीने तक चलाया जाएगा.

बीजेपी की वर्कशॉप में शामिल रहे यूपी बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी बासित अली ने बताया कि वक्फ कानून को लेकर पार्टी अभियान शुरू कर रही है, जिसमें पार्टी के तमाम नेता और कार्यकर्ता गांव-गांव और मुहल्ले-मुहल्ले चलाएंगे. इस अभियान के जरिए मुस्लिम समुदाय को बताएंगे कि कैसे वक्फ कानून के जरिए पारदर्शिता आएगी और सामाजिक न्याय के रूप में कैसे हितकारी है. इस कानून में पिछड़े वर्ग के मुस्लिम, गरीब मुसलमान और मुस्लिम महिलाओं को पहली बार उनका हक मिल सकेगा. इस तरह वक्फ कानून के खिलाफ बना रहे माहौल को खत्म करने का काम करेंगे.

बीजेपी को क्यों बताना पड़ रहा फायदा

वक्फ कानून आने के बाद से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमियत उलेमा ए हिंद, जमात-ए-इस्लामी हिंद जैसे तमाम मुस्लिम संगठनों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. मुस्लिम संगठन वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं और अलग-अलग राज्यों में आंदोलन चला रहे हैं. इस दौरान मुस्लिम संगठन मुस्लिमों को यह बता रहे हैं कि नए कानून से वक्फ संपत्ति को सरकार छीन लेगी. सरकार हमारी शरियत में दखल कर रही है और इस्लाम के सिद्धांतों को खत्म कर हिंदुत्व की विचारधारा को सौंपना चाहती है. इस तरह से मोदी सरकार के खिलाफ बन रहे माहौल को देखते हुए बीजेपी ने काउंटर करने और मुस्लिमों को संदेह को दूर करने के लिए वक्फ जागरण अभियान चलाने का फैसला किया है.

बीजेपी के सहयोगी दलों में बेचैनी

वक्फ कानून आने के बाद से बीजेपी को भले ही सीधे प्रभाव न पड़ रहा हो, लेकिन बीजेपी के सहयोगी दलों के खिलाफ मुस्लिमों की नाराजगी बढ़ती जा रही. जेडीयू से लेकर एलजेपी और आरएलडी से मुस्लिम नेताओं के छोड़ने का सिलसिला लगातार जारी है. इसीलिए बीजेपी ने वक्फ कानून को लेकर मुस्लिम मतदाताओं को यह समझाने के लिए एक आउटरीच अभियान शुरू करने का फैसला किया है कि यह कानून गरीबों, पसमांदा मुसलमानों और अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के लाभ के लिए है. इस तरह बीजेपी अपने समर्थन में सियासी माहौल बनाएगी और इस तरह बीजेपी की विपक्ष को धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक विरोधी कठघरे में खड़े करने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है. इस तरह वक्फ कानून को लेकर एनडीए के घटक दलों के खिलाफ बन रहे माहौल को काउंटर करने की स्ट्रैटेजी भी मानी जा रही.

सीएए की तरह न खड़ा हो आंदोलन

सीएए-एनआरसी के दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग सड़क पर उतर गए थे. दिल्ली के शाहीन बाग से शुरू हुआ आंदोलन देश भर में फैल गया था, जिसके चलते ही मोदी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था. मोदी सरकार ने सफाई दी थी कि देश में एनआरसी लागू नहीं होगी. वक्फ कानून को लेकर मुस्लिम संगठन और विपक्ष माहौल बनाने में जुटे हैं और आंदोलन तेज कर दिए हैं. ऐसे में बीजेपी ने तय किया है कि वक्फ कानून पर अभियान चलाकर मुस्लिम समुदाय को समझाया जाए कैसे ये कानून उनके हित में हैं और विपक्ष के बरगलाने में न आएं. सरकार वक्फ कानून के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं खड़े होने देना चाहती है.

मोदी का सऊदी अरब दौरा

पीएम मोदी अप्रैल महीने में सऊदी अरब की यात्रा पर जाने वाले हैं, जहां वे व्यापार, निवेश, ऊर्जा और रक्षा सहयोग पर चर्चा करेंगे. यह यात्रा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) पर भी केंद्रित होगी. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत हुए हैं और व्यापार में लगातार वृद्धि देखी गई है. पीएम मोदी का सऊदी अरब दौरा कई मायने में अहम माना जा रहा है. ऐसे में मोदी सरकार और बीजेपी नहीं चाहती है कि प्रधानमंत्री जिस समय सऊदी अरब में हों, उस समय भारत में मुस्लिम वक्फ को लेकर प्रदर्शन करें. इस लिहाज से भी सरकार चाहती है कि मुस्लिम संगठनों के जरिए किए जा रहे आंदोलन को मुस्लिम समाज का समर्थन न मिले.

बीते कुछ सालों में भारत और सऊदी अरब के बीच संबंध बेहद मजबूत हुए हैं. खाड़ी देश में करीब 26 लाख भारतीय रहते हैं और इसे दोनों देशों के बीच संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है. अप्रैल 2016 में पीएम मोदी की रियाद यात्रा को भारत-सऊदी अरब संबंधों में एक नया अध्याय खोलने के लिए महत्वपूर्ण माना गया था. इस तरह वक्फ कानून के बाद पीएम मोदी का सऊदी अरब दौरा सियासी तौर पर काफी अहम माना जा रहा.

चुनावी राज्यों को साधने की कवायद

साल 2025 के आखिर में बिहार विधानसभा चुनाव है जबकि 2026 में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, उसमें पश्चिम बंगाल, केरल और असम में मुस्लिम समुदाय की आबादी अच्छी खासी है. बिहार में 18 फीसदी, केरल में 27, असम में 30 और पश्चिम बंगाल में 32 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. बीजेपी वक्फ के नए कानून के जरिए मुस्लिम समुदाय को यह बताने की कवायद में है कि कैसे यह उनके हित में है. संसद में बिल पर चर्चा के दौरान बीजेपी सांसदों ने बताने की कोशिश की थी कि नए वक्फ कानून के जरिए आम मुस्लिमों को कैसे लाभ मिलेगा.

बीजेपी का फोकस पसमांदा और मुस्लिम महिलाओं पर है. वक्फ कानून को इन्हीं दोनों के हित में मोदी सरकार बता रही है. असम, बिहार, केरल व पश्चिम बंगाल में मुसलमानों में बड़ी आबादी पसमांदा मुस्लिमों की है. इस तरह सरकार पसमांदा मुसलमान और मुस्लिम महिलाओं के हित में वक्फ कानून को बताकर उन्हें अपने साथ जोड़ने की कवायद करना चाहती है.

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