चीन सीमा के पास क्यों निशाने पर 80 मुसलमान समेत 91 ‘बाहरी’, इलाका छोड़ने का दबाव
उत्तराखंड में नेपाल-चीन सीमा के पास कई महीनों पहले शुरू हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पिथौड़ागढ़ में दूसरे राज्यों से आए अधिकतर मुस्लिम और कुछ हिंदू दुकानदारों को लंबे समय से काफी विरोध और दबाव का सामना करना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश से आकर धारचूला कस्बे में दो दशक से दुकान चलाने वाले 45 वर्षीय एक मुस्लिम दुकानदार ने मौजूदा हाल को बयां करते हुए कहा, ‘हम लोग डरे हुए हैं। वे तब तक नहीं रुकेंगे जब तक सभी मुसलमानों को यहां से भगा नहीं देते। वे पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे बिना किसी डर के ऐसा कर रहे हैं।’ वह उन 91 दुकानदारों (अधिकतर मुस्लिम) में से हैं जिनका रजिस्ट्रेशन स्थानीय व्यापार संघ ने रद्द कर दिया है और लोकल नहीं होने की वजह से कस्बे से बाहर चले जाने को कहा है।
धारचूला कस्बे में फरवरी से ही तनाव बना हुआ है, जब दो नाबालिग बच्चियों का अपहरण कथित तौर पर बरेली से आए एक शख्स ने कर लिया था। पुलिस ने बच्चियों को बरामद कर लिया था और दो लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 363 (अपहरण), 376 (यौन हमला) और पॉक्सो ऐक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया था। इस घटना के बाद स्थानीय ट्रेड यूनियन ने ‘बाहरी’ लोगों के खिलाफ प्रदर्शन किया और जुलूस निकाले। अब यूनियन ने 91 बाहरी व्यापारियों की पहचान की है और उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। उन्हें कस्बा छोड़कर चले जाने को कहा गया है।
नाम गोपनीय रखने की अपील करते हुए मुस्लिम दुकानदार ने कहा, ‘मैं 2000 से पहले धारचूला आया था। शुरुआत में 6-7 साल तक एक इलेक्ट्रॉनिक दुकान में काम किया और बाद में अपनी दुकान खोल ली। हमारे सभी दस्तावेज, वोटरकार्ड और राशन कार्ड समेत, लोकल अथॉरिटी से जारी हुए हैं। मेरे बच्चे यहां पैदा हुए और पढ़ाई की। फरवरी की घटना के बाद से मुस्लिम व्यापारियों को धमकी दी जा रही है और कई बार जाने को कह दिया गया है। नहीं तो अंजाम भुगतने की धमकी दी जाती है। कुछ दुकानदार पहले ही लौट चुके हैं। हिंदू मकान मालिक नहीं चाहते कि उनके किरायेदार छोड़कर जाएं लेकिन व्यापार संघ उन पर दबाव डाल रहा है।’
उसने आगे कहा, ‘हमने आरोपियों का कभी पक्ष नहीं लिया और ना ही सहानुभूति रखते हैं। एक अपराधी तो अपराधी होता है। जो मुसलमानों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं उनका अपना हित है और वे राजनीतिक रूप से जुड़े हुए हैं। हो सकता है कि वे राजनीतिक लाभ चाहते हैं।’ वहीं, लोकल ट्रेडर यूनियन के महासचिव महेश गरबियाल ने कहा कि वे स्थानीय लोगों की भावनाओं के मुताबिक काम कर रहे हैं और ‘बाहरी’ लोगों के खिलाफ अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक चिह्नित सभी 91 कस्बे से नहीं चले जाते।
महेश कहते हैं, ‘फरवरी में जो घटना हुई वह पहली बार नहीं था। पहले भी इस तरह की घटनाएं हुईं। बार-बार इस तरह की वारदातों की वजह से स्थानीय लोग आक्रोशित थे। यूनियन में करीब 800 व्यापारी पंजीकृत हैं। हमने 91 व्यापारियों की पहचान की और उनका रजिस्ट्रेशन रद्द किया है जो 2000 के बाद यहां आए। उनमें से अधिकतर (करीब 80) मुस्लिम हैं और अन्य हिंदू। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा इलाका सीमा के नजदीक है और स्थानीय लोग पलायन कर चुके हैं क्योंकि उनकी आजीविका बाहरी लोगों ने छीन ली है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारा अभियान तब तक नहीं रुकेगा जब तक सभी बाहरी व्यापारी कस्बा नहीं छोड़ देते हैं। हम स्थानीय लोगों की भावनाओं के मुताबिक काम कर रहे हैं। उनकी दुकानें कई दिनों तक बंद रहीं लेकिन सोमवार को प्रशासन से सुरक्षा लेकर खोली।’
करीब 15 साल पहले धारचूला में क्रोकरी बिजनेस के लिए आए एक हिंदू व्यापारी ने कहा, ‘जो लोग हमारे कस्बे की शांति बिगाड़ना चाहते हैं उनकी पहचान की जानी चाहिए और कानून के मुताबिक कार्रवाई हो।’ पिथौरागढ़ की डीएम रीना जोशी ने कहा कि इलाके में स्थिति नियंत्रण में है और भड़काऊ भाषण देने वालों, शांति भंग करने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा, ‘सभी दुकानें खुली हैं। किसी व्यापारी ने किसी दबाव में कस्बा नहीं छोड़ा है। कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पीस कमिटी की बैठक की जा चुकी है। यदि कोई कानून अपने हाथ में लेने की कोशिश करता है तो सख्त ऐक्शन लिया जाएगा।’
एसडीएम मनजीत सिंह ने कहा कि करीब 91 मुस्लिम दुकानदारों का पंजीकरण उन्हें बाहरी बताते हुए रद्द किया गया है, जिनमें अधिकतर मुस्लिम हैं। उन्होंने कहा, ‘जिला प्रशासन उन्हें पूरी सुरक्षा दे रहा है और व्यापारियों से भी बात की जा रही है कि इलाके में शांति को भंग ना करें।’ पुलिस के मुताबिक फरवरी की घटना के बाद से चार लोगों को खिलाफ केस दर्ज किया गया है जिन्होंने शांति बिगाड़ने की कोशिश की है। ताजा एफआईआर 16 मार्च को 6 नामित और 40 अज्ञात के खिलाफ दर्ज किया गया है। पिथौड़ागढ़ के सर्किल ऑफिसर परवेज अली ने कहा, ‘हमने चार एफआईआर उन लोगों के खिलाफ दर्ज की है जो इलाके में शांति भंग करना चाहते हैं। एक एफआईआर भड़काऊ भाषण को लेकर दर्ज की गई है।’ उन्होंने कहा कि इलाके में कानून व्यवस्था कायम है और यदि कोई कानून को अपने हाथ में लेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
8 मार्च को दर्ज एक एफआईआर में शिकायतकर्ता और मोबाइल दुकान चलाने वाले रिजवान अहमद ने कहा, ‘विजेंद्र नाम का एक शख्स नशे की हालत में मेरे पास आया और गाली देने लगा। फिर उसने मुस्लिम विरोधी टिप्पणी की और कहा कि वह मुझे यहां नहीं रहने देगा। उसने कहा कि यदि मैंने अपनी दुकान खोली तो वह हत्या कर देगा। उसने एक पत्थर उठाया और मेरे सिर पर मार दिया। मैं खुद को बचाने के लिए भागकर पुलिस थाने चला गया।’
पिछले साल मई-जून में उत्तरकाशी जिले में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हो गया था, जहां मुस्लिम दुकानदारों को दुकान खाली करने की धमकी देते हुए पोस्टर चिपका दिए गए थे। उत्तरकाशी में तनाव तब फैला था जब 26 मई को एक मुस्लिम आरोपी समेत दो लोगों ने एक नाबालिग बच्ची का अपहरण कर लिया। 27 मई को पुलिस ने उबेद खान (24), स्थानीय दुकानदार और जितेंद्र सैनी (23) को गिरफ्तार कर लिया था। कुछ स्थानीय लोगों और दक्षिणपंथी संगठनों ने एक खास समुदाय को इलाके में ऐसी घटनाओं को जिम्मेदार बताते हुए प्रदर्शन किया। 29 मई को प्रदर्शन के बाद कुछ मुसलमानों की दुकानों पर हमला किया गया था। 3 जून को भी बरकोट में इस तरह मुसलमानों को निशाना बनाया गया।