एक्सक्लूसिव खबरेंहरियाणा

Diwali 2025 को लेकर भी भारी कन्फ्यूजन, 20 और 21 अक्तूबर दो दिन हो सकती है दिवाली

Diwali 2024 को लेकर देश में भारी कन्फ्यूजन रहा है और इस साल 31 अक्तूबर और 1 नवंबर दो दिन दिवाली मनाई जा रही है लेकिन अगले साल भी गृह नक्षत्रों की ऐसी स्थिति पैदा हो रही है जिस से देश में दो दिन दिवाली मनाने की नौबत आएगी।  अगले साल दिवाली की छुट्टी 20 अक्तूबर की है और शास्त्रीय विधान के मुताबिक दिवाली 21 अक्तूबर को मनाई जानी चाहिए।

क्यों पैदा हो रहा है कन्फ्यूजन।

अगले साल कार्तिक मास  की चतुर्दशी तिथि दोपहर 3.44 बजे समाप्त हो रही है जबकि इसके बाद अमावस शुरू होगी।  अमावस की तिथि 21 अक्तूबर शाम 5 बज कर 55  मिनट तक रहेगी। इस बीच 21 अक्तूबर 2025 को सूर्य लगभग शाम 5.48 पर अस्त होगा।  इस लिहाज से अमावस्या तिथि शुरू तो 20 अक्तूबर 2025 को होगी लेकिन यह सूर्य उदय की अमावस्या नहीं होगी जबकि 21 अक्तूबर 2025 सूर्य उदय और सूर्य अस्त दोनों समय अमावस्या व्याप्त होगी और इसके बाद 7 मिनट प्रदोष काल भी व्यापत होगा।  शास्त्रीय विधान के अनुसार दुसरे दिन की अमावस्या यदि साढ़े तीन प्रहार की हो और प्रतिपदा तिथि का मान अमावस्या के मान से अधिक हो तो लक्ष्मी पूजन अगले दिन होना चाहिए।  21  अक्तूबर शाम को शुरू हो रही प्रतिपदा तिथि का मान 26 घण्टे 22 मिनट का है  जबकि अमावस्या 26 घंटे 10 मिनट की है लिहाजा अगले साल दिवाली और लक्ष्मी पूजन 21 अक्तूबर के दिन बनता है

PunjabKesari

 2024 में भी ऐसी ही स्थिति पैदा हुई

2024 Diwali  की तिथि को लेकर भी इसी तरह का कन्फ्यूजन पैदा हुआ है।  इस साल 31 अक्तूबर को दोपहर 3.53 पर अमावस्या तिथि शुरू हुई है जबकि इसका समापन 1 नवंबर को शाम 6.17 पर हो रहा है।  सूर्य अस्त का समय शाम 5.40 बजे का है और इस हिसाब से 1 नवंबर को सूर्य उदय और असत होने के समय अमावस्या तिथि तो है ही इसके साथ ही प्रदोष काल भी व्यापत है। लिहाजा इस साल भी शास्त्रीय विधान के अनुसार दिवाली 1 नवंबर की बनती है लेकिन दिवाली पर सरकारी छुट्टी 31 अक्तूबर को होने और विद्वानों में मतभेद होने के कारण कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हुई है।

PunjabKesari

पंचांग की गणना के कारण पैदा हुआ कन्फ्यूजन

दरअसल देश में 90 प्रतिशत पंचांग दृक्पक्ष के अनुसार बनते हैं जबकि वाराणसी से प्रकाशित होने वाले पंचांग सौरपक्ष के अनुसार प्रकाशित हो रहे हैं।  इन पंचांगों में अमावस्या की तिथि 1 नवंबर शाम को करीब 5.15 बजे समाप्त हुई दिखाई गई है जबकि सूर्य अस्त का समय शाम 5.40 बजे का है। ऐसे में दूसरे दिन की अमावस्या प्रदोष काल को नहीं छूती है। इसी आधार पर विद्वान बंटे हुए दिखाई दे रहे हैं जिस कारन देश में दो दिन दिवाली मनाने की स्थिति पैदा हो गई है।

Related Articles

Back to top button