राष्ट्रीय

असली भारतीय कौन है? शिवसेना ने पूछे सवाल, राहुल गांधी का समर्थन- बीजेपी पर साधा निशाना, कहा- झूठ बोलनेवालों के दिन

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को कहा कि अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसी बातें नहीं कहेंगे. अब कोर्ट के राहुल गांधी के सच्चे भारतीय होने पर किए गए कमेंट को लेकर शिवसेना यूबीटी का बयान सामने आया है. शिवसेना ने अपने मुख पत्र में सामना में कोर्ट के इस बयान को लेकर कई सवाल उठाए हैं. पत्र में कहा गया, अदालत ने अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी की सच्ची भारतीयता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया और इसे हर तरह से गलत कहा जाना चाहिए.

पत्र में सरकार पर निशाना साधा गया है. पत्र में कहा गया, 2014 के बाद देश में यह गलत परिभाषा आम हो गई कि जो सरकार की हां में हां मिलाता है वह देशभक्त है और जो सरकार पर सवाल उठाता है वह देशद्रोही है. इसी कसौटी के आधार पर केंद्र की सत्तारूढ़ सरकार ने देशभक्ति का सर्टिफिकेट और देशद्रोही का ठप्पा मारना शुरू कर दिया है. सत्तारूढ़ दल की यह व्यापक परिभाषा कि सरकार से सवाल करने वाले भारत के नागरिक हो ही नहीं सकते, कम से कम देश की संवैधानिक संस्थाओं द्वारा खारिज कर दी जानी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा होता नहीं दिख रहा है.

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आश्चर्यजनक

सुप्रीम कोर्ट की राहुल गांधी को लेकर की गई टिप्पणी पर शिवसेना के पत्र में कहा गया, हाल ही में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बारे में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी कुछ ऐसी ही और आश्चर्यजनक है. अदालत ने अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी की सच्ची भारतीयता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया और इसे हर तरह से गलत कहा जाना चाहिए.

शिवसेना ने आगे कहा, राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान चीन सीमा पर गलवान में हुए खूनी संघर्ष और चीन द्वारा भारत में घुसपैठ को लेकर कुछ बयान दिए थे. राहुल गांधी ने उस समय कहा था, भारत जोड़ो यात्रा, अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बारे में तो सवाल पूछे जाएंगे, लेकिन चीन ने भारत की जो दो हजार वर्ग किलोमीटर जमीन हड़पी, चीन द्वारा मारे गए 20 भारतीय सैनिकों और अरुणाचल प्रदेश में सैनिकों की पिटाई के बारे में कोई एक भी सवाल नहीं पूछेगा. इस बात को लेकर एक सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था.

आगे कहा गया, राहुल गांधी ने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन हाईकोर्ट ने मामले की कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया इसलिए मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मामले पर अंतरिम रोक लगाकर राहुल गांधी को राहत दी, लेकिन साथ ही कुछ तीखी टिप्पणियां भी कीं.

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर क्या कहा?

पत्र में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को लेकर कहा गया, इन टिप्पणियों ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. जस्टिस दत्ता ने सवाल उठाया, आपको वैसे पता चला कि चीन ने भारत का 2 हजार वर्ग किलोमीटर हिस्सा निगल लिया है? क्या आप वहां मौजूद थे? आपके पास घुसपैठ के क्या सबूत हैं? और आप इस बारे में जो कहना चाहते हैं, वह संसद में क्यों नहीं कहते? जजों ने सवालों की झड़ी लगा दी. पत्र में आगे कहा गया, न्यायाधीश यहीं नहीं रुके. जस्टिस दत्ता ने राहुल गांधी को उपदेश भी दिया कोई भी सच्चा भारतीय ऐसी बातें नहीं कहेगा और अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसे बयान न दें.

राहुल गांधी का शिवसेना ने किया समर्थन

राहुल गांधी सच्चे भारतीय हैं या नहीं इस पर बात करते हुए पत्र में आगे कहा गया, दरअसल, राहुल गांधी सच्चे भारतीय हैं या नहीं, यह अदालत के सामने कोई मुद्दा ही नहीं था इसलिए राहुल गांधी कितने सच्चे भारतीय हैं या नहीं, इस पर अनावश्यक रूप से अपनी राय व्यक्त करके अदालत ने क्या हासिल किया? विपक्ष के नेता, सांसद और जनता के प्रतिनिधि होने के नाते, विपक्ष के नेता का यह कर्तव्य है कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े जनहित और राष्ट्रहित के मुद्दों पर सरकार से सवाल करें और अगर राहुल गांधी ने ऐसा किया तो इसमें क्या गलत था? वह संसद में इस मुद्दे पर क्यों नहीं बोल रहे हैं, यह जज का दूसरा सवाल है. मूल रूप से उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जाता है, यही तो राहुल गांधी की इस सरकार के बारे में मुख्य शिकायत रही है.

बीजेपी पर साधा निशाना

पत्र में राहुल गांधी का समर्थन करते हुए आगे कहा गया, 2020 के बाद, विपक्षी दलों ने कई बार संसद में चीनी घुसपैठ का मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन क्या हुआ? क्या चर्चा होने दी गई? राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को ढाल बनाकर हमेशा घुसपैठ के मामले पर पर्दा डाला गया और फिर क्या राहुल गांधी अकेले हैं, जो देश में घुसपैठ के बारे में बोलते हैं? तो ऐसा भी नहीं है. यहां तक ​​कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी भी चीनी घुसपैठ पर हमेशा अपनी ही सरकार की जहरीली भाषा में आलोचना करते रहते हैं. डॉ. स्वामी ने अक्सर चीन पर लद्दाख में 4,067 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि हड़पने का आरोप लगाया है. इस मामले में, उन्होंने सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करके सरकार से जानकारी मांगी, लेकिन सरकार ने जानकारी देने से इनकार कर दिया.

डॉ. स्वामी यह जानकारी हासिल करने के लिए अदालत भी गए. लेकिन जब डॉ. स्वामी आलोचना करते हैं तो इस मामले के याचिकाकर्ता की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचती. जब डॉ. स्वामी आरोप लगाते हैं कि चीन ने 4,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक भूमि निगल ली है, तब किसी की बदनामी नहीं होती, लेकिन जब राहुल गांधी आरोप लगाते हैं कि चीन ने 2 हजार वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि पर कब्जा कर लिया है, तब भावनाओं को ठेस पहुंचती है और बदनामी होती है, यह किस तरह की बात है?

बीजेपी पर निशाना साधते हुए पत्र में आगे कहा गया, बीजेपी के अरुणाचल प्रदेश के सांसद तापिर गाव ने 2019 में संसद में अपनी ही सरकार से चीन की घुसपैठ को लेकर सवाल भी किया था. चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 50 से 60 किलोमीटर तक घुसपैठ करके हमारे क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा हड़प लिया है. पाकिस्तान के बारे में हमारे यहां बहुत कुछ छपता है, लेकिन जब चीन अरुणाचल प्रदेश में बड़े पैमाने पर हमारी जमीन हड़प रहा है तो किसी भी मीडिया में इसकी कोई खबर नहीं आती है, यहां संसद में भी किसी भी पार्टी के नेता इस विषय पर बात नहीं करते, इस तरह का खेद बीजेपी के अरुणाचल प्रदेश के सांसद ने संसद में व्यक्त किया था. लेकिन, जब राहुल गांधी ने इसी मुद्दे को उठाया तो कितना गजब ढा गया!

सुप्रीम कोर्ट से पूछे सवाल

राहुल गांधी का समर्थन करते हुए पत्र में आगे कहा गया, राहुल गांधी बाइक से लद्दाख गए, वहां के लोगों से मिले. लद्दाख के लोगों ने भी राहुल गांधी के सामने चीनी घुसपैठ को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर कीं, लेकिन अदालत राहुल गांधी से सबूत मांग रही है. कुल मिलाकर, 2014 के बाद देश में झूठों के दिन आ गए हैं और सच बोलने और सरकार से सवाल करनेवालों को भारत-विरोधी माना जा रहा है. राहुल गांधी ने चीन पर भारत में घुसपैठ का आरोप लगाया है, अगर इस पर सुप्रीम कोर्ट के जेहन में यह सवाल उठता है कि क्या वे सच्चे भारतीय हैं? तो यह गंभीर बात है. अब इस बात का पता सुप्रीम कोर्ट को ही लगाना चाहिए. इसके लिए क्या सुप्रीम कोर्ट चीनी घुसपैठ पर एक तथ्य-खोजी समिति का गठन करेगा?

Related Articles

Back to top button