कौन हैं ‘बंदी सिंह’ जिनकी रिहाई के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी ने केंद्र सरकार को दिया नवंबर तक का समय

सोमवार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) की कार्यकारी समिति ने एक प्रस्ताव पारित किया. जिसमें नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहादत दिवस पर केंद्र सरकार से ‘बंदी सिंहों’ को रिहा करने की अपील की गई है. बंदी सिंह उन सिख कैदियों को कहा जाता है जिन्हें पंजाब के उग्रवाद में शामिल होने के लिए दोषी ठराहया गया था. इनके बारे में शिरोमणि अकाली दल और अन्य सिख संगठनों का दावा है कि ये अपनी सजा को पूरी करने के बाद भी जेल में कैद हैं.
SGPC के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी के एक बयान के मुताबिक, 2019 में भारत सरकार ने गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश गुरुपर्व समारोह के दौरान कुछ सिख कैदियों की रिहाई और भाई बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा को कम करने के संबंध में एक अधिसूचना जारी की थी.पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या के मामले में राजोआना को मौत की सजा का दोषी है. इसपर SGPC प्रमुख ने कहा कि उस अधिसूचना को अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है. और अब केंद्र के पास गुरु तेग बहादुर की 350वीं शहीदी वर्षगांठ पर अपने उस फैसले को लागू करने का एक ऐतिहासिक अवसर है. मानवाधिकारों की रक्षा के लिए जिस गुरु ने अपनी कुर्बान दी ये उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
श्री गुरु तेग बहादुर चेयर की स्थापना को मंजूरी
SGPC ने गुरु ग्रंथ साहिब विश्व विश्वविद्यालय फतेहगढ़ साहिब में श्री गुरु तेग बहादुर चेयर की स्थापना को भी मंजूरी दी. ये पीठ नौवें गुरु के जीवन से जुड़ी यात्राओं और शहादत पर रिसर्च करेगी. इसके अवाला दिव्य गुरबानी (श्लोक) पर दार्शनिक स्टडी की तरफ ध्यान देगी. SGPC शिक्षा निदेशालय के जरिए NDA के प्रवेश परीक्षा की तैयारियों में मदद करेगी. चुने हुए चयनित छात्रों को निश्चय प्रशासनिक सेवा तैयारी अकादमी और निश्चय न्यायिक अकादमी के कार्यक्रमों में फ्री ग्रजुएशन की पढ़ाई और इसके साथ ही हर महीने स्टाइपेंड भी दिया जाएगा.
SGPC के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने करतारपुर कॉरिडोर को देबारा खोलने की मांग की है. ये 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद 7 मई से बंद है.