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बीवी ने कहां खर्च किया पैसा, SEBI से बीवियों का ये सीक्रेट पूछ रहे पति

आरटीआई यानी राइट टू इंफॉर्मेशन एक ऐसा कानून जिसे बनाया गया था सरकारी सिस्टम में पारदर्शिता लाने के लिए, ताकि आम लोग जरूरी जानकारियां हासिल कर सकें. लेकिन कुछ लोग इसे अपनी घरेलू जासूसी और निजी परेशानियों का हल निकालने का जरिया बना बैठे हैं. हाल ही में मार्केट रेगुलेटर SEBI के पास ऐसी-ऐसी आरटीआई पहुंचीं, जिन्हें पढ़कर खुद अधिकारी भी हैरान रह गए और कुछ तो ठहाके मारने लगे! सोचिए, जब कोई पति सीधे SEBI से पूछता है मेरी बीवी ने कहां इन्वेस्ट किया है? तब आप समझ सकते हैं कि RTI अब कितनी “पर्सनल” होती जा रही है.

RTI का मकसद था जनता को सरकारी संस्थानों से जरूरी और उपयोगी जानकारी दिलवाना, लेकिन अब लोग इसके जरिए अपनी निजी परेशानियों का हल ढूंढने लगे हैं. ताजा मामला SEBI के पास पहुंची एक अजीबो-गरीब आरटीआई का है, जिसमें एक शख्स ने अपनी पत्नी के डिमैट अकाउंट और निवेश की पूरी जानकारी मांग ली.

इस शख्स ने SEBI से जानना चाहा कि क्या उसकी पत्नी का कोई डिमैट अकाउंट है, उसमें कितने पैसे हैं, किस-किस फंड में निवेश है, डिविडेंड और कैपिटल गेन कितना मिला है, यहां तक कि FDR की डिटेल्स तक मांगी गईं. SEBI ने इस पर साफ जवाब दिया कि ऐसी कोई व्यक्तिगत जानकारी उनके पास नहीं है. लेकिन जनाब इतने पर नहीं माने उन्होंने दोबारा अपील की, जिसे फिर से खारिज कर दिया गया.

‘RTI फ्रीक्वेंट फाइलर’ कौन होते हैं?

कुछ लोग हर हफ्ते RTI डालने की आदत बना चुके हैं किसी बार शिकायत करने, तो कभी उलझे हुए सवाल पूछने के लिए. इन्हें कहा जाता है RTI फ्रीक्वेंट फाइलर. एक और उदाहरण में किसी ने SEBI से पूछा कि किसी कर्मचारी के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत कैसे दर्ज कराई जाए. जबकि इसके लिए अलग प्रक्रिया है, RTI का मकसद ये नहीं होता.

IPO और NOC की बाढ़

एक और जनाब ने तो कई बड़ी कंपनियों के IPO के लिए SEBI से बार-बार NOC (No Objection Certificate) की जानकारी मांगी कंपनियों के नाम थे Belrise Industries, Ather Energy, HDFC AMC, Tech Mahindra जैसे बड़े ब्रांड्स. SEBI ने आखिरकार जवाब दिया हमारे पास ये जानकारी नहीं होती और ये भी जोड़ा कि इस तरह के सवाल RTI कानून का दुरुपयोग दिखाते हैं.

हर महीने हजारों सवाल

रिपोर्ट के मुताबिक SEBI को हर महीने 150 से 300 RTI आवेदन मिलते हैं, जिनमें 6,500 से 17,000 सवाल होते हैं! इसके साथ 300 से 800 अपीलें भी आती हैं. कई लोग शिकायत दर्ज करने के बजाय RTI से सब कुछ जानने की कोशिश करते हैं, जबकि SEBI इसके लिए SCORES पोर्टल का सुझाव देता है.

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त शैलेश गांधी का कहना है कि RTI जनता का अधिकार है, लेकिन इसका इस्तेमाल जिम्मेदारी से होना चाहिए. निजी मामलों में, गोपनीय या इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी से जुड़ी जानकारी मांगना गलत है और कानून इसकी इजाजत नहीं देता.

RTI विशेषज्ञों के अनुसार सही नतीजे तभी मिलते हैं जब सवाल स्पष्ट, सार्वजनिक जानकारी पर केंद्रित और संबंधित विभाग को ध्यान में रखकर पूछे जाएं.

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