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जब एक ही तारीख पर पड़े मोहर्रम और रामलीला, अंग्रेज अफसर ने क्या दिया था आदेश? 156 साल पुरानी कहानी

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की रामलीला का इतिहास 450 साल से भी पुराना है. इस रामलीला को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. यह रामलीला इस बार 28 सितंबर से शुरू हो रही है, जो कि 15 अक्टूबर तक चलेगी. इस रामलीला के बारे में बड़ी रोचक कहानी है. अंग्रेजों के शासनकाल में एक बार ऐसी स्थिति आई, जिस दिन मोहर्रम था, उसी तारीख को रामलीला भी शुरू होने वाली थी. ऐसी स्थिति में अंग्रेज अफसर ने जो आदेश दिया, इसकी चर्चा आज तक होती है.

गाजीपुर गजेटियर में 1868 का एक रिकॉर्ड मिलता है, जब एक ही तिथि पर मोहर्रम और रामलीला पड़े. एक ओर मुस्लिम समाज के लोग मोहर्रम मनाने की तैयारी कर रहे थे. वहीं, शहर में रामलीला को लेकर भी धूम थी. लेकिन अंग्रेज अफसरों को डर था कि कहीं कोई उन्माद न फैल जाए.

अंग्रेज कलेक्टर ने दिया था आदेश

ऐसे में शहर में शांति व्यवस्था बनी रहे, इसके लिए तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर मुनवर ने एक निर्णय लिया. एक ही दिन रामलीला और मोहर्रम की तिथि पड़ने पर कलेक्टर ने एक आदेश जारी किया कि जिस रास्ते पर रामलीला होगी, उसी रास्ते पर मोहर्रम की ताजिया नहीं जाएगी. यह आदेश आज भी गाजीपुर में लागू है.

रामलीला का इतिहास 450 साल से भी पुराना

450 साल पुरानी इस रामलीला के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इसे तुलसीदास के सहयोगी रहे मेघाभगत ने चित्रकूट, रामनगर और गाजीपुर में एक साथ शुरू कराई थी. इस रामलीला को चलायमान रामलीला भी कहा जाता है. गाजीपुर की यह रामलीला 28 सितंबर से शुरू होकर करीब 15 दिनों तक चलेगी. गाजीपुर की इस रामलीला में करीब 10 पुतले भी बनाए जाते हैं, जो अलग-अलग दिनों में उनके किरदारों के अनुसार दहन किया जाता है.

गाजीपुर की इस रामलीला में 10 पुतले भी बनाए जाते हैं, जो अलग-अलग तिथियों में किरदारों के अनुसार उनका दहन भी किया जाता है. यह रामलीला भगवान राम के जन्म से शुरू होकर रावण वध तक चलती है. इस दौरान रामलीला के अलग-अलग प्रसंग अलग-अलग जगह पर होते हैं. इसी को लेकर गाजीपुर की रामलीला को चलायामान रामलीला कहा जाता है. 60 फीट का रावण दहन लंका मैदान में दहन होता है. इसके अलावा खर-दूषण, कुंभकरण, जटायू कच्छप, कौवा के साथ ही अन्य पुतले भी जलाए जाते हैं. इन पुतलों को छोटे लाल प्रजापति बना रहे हैं.

रामलीला 28 सितंबर से शुरू होगी

इस बार की रामलीला 28 सितंबर से शुरू होगी. इसका पहला मंचन- राम जन्म जो हरिशंकर मोहल्ले राम चबूतरे पर होगा. वहीं 3 अक्टूबर को पहाड़ खाकर पोखरे पर श्री राम केवट संवाद का मंचन है. 5 अक्टूबर को भारद्वाज आश्रम पर भरत आगमन, 6 अक्टूबर को राजा शंभू नाथ के बगीचे में जयंत नेत्र भंग माता अनुसूया संवाद होगा.

वहीं 8 अक्टूबर को लंका मैदान में सूर्पनखा का नाक कटना, खर दूषण वध और सीता हरण का मंचन होगा. 10 अक्टूबर को बाल सुग्रीव लड़ाई का मंचन होगा. 12 अक्टूबर को राम रावण युद्ध का मंचन होगा. 14 अक्टूबर को अयोध्या वापसी का मंचन होगा.19 अक्टूबर को राम के राज्य अभिषेक का मंचन राम चबूतरा पर होगा.

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