पौष संकष्टी चतुर्थी के दिन क्या करें और क्या नहीं, जानें सही नियम और महत्व
हर साल पौष महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि अखुरथ संकष्टी चतुर्थी होती है. हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. संकष्टी चतुर्थी का दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित होता है. इन दिन भगवान गणेश का पूजन और व्रत किया जाता है. जो भी इस दिन भगवान गणेश का पूजन और व्रत करता है उसके घर में सुख-शांति बनी रहती है और उसे हर क्षेत्र में तरक्की मिलती है. अगर जीवन में कोई परेशानी है, तो इस दिन पूजन और व्रत करने से वो दूर हो जाती है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर को है. इस साल अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 6 मिनट से शुरू होगी. अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की समाप्ती 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 2 मिनट पर होगी. संकष्टी चतुर्थी का व्रत 18 नवंबर को है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जान लीजिए अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत कैसे करना चाहिए. इसके नियम क्या है.
व्रत के नियम
- संकष्टी चतुर्थी पर सुबह जल्दी स्नान करके साफ कपड़े पहनने चाहिए.
- संकष्टी चतुर्थी पर पूजा से पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
- संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करनी चाहिए.
- संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश को जल चढ़ाना चाहिए.
- संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश को फूल, दूर्वा, जनेऊ, अक्षत, कुमकुम, पान, चावल, नारियल भी चढ़ाना चाहिए.
- भगवान गणेश को मोदक, मौसमी फल, बूंदी आदि का भोग लगाना चाहिए
- भगवान गणेश को घी का दीपक और धूप जलाना चाहिए.
- इस दिन भगवान गणेश के मंत्रों का जप करना चाहिए.
- इस दिन भगवान गणेश की आरती करनी चाहिए.
- व्रत के भोजन में सेंधा नमक उपयोग करना चहिए.
क्या न करें
- इस दिन लहसुन और प्याज नहीं खाना चाहिए.
- इस दिन मांसाहार नहीं खाना चाहिए.
- इस दिन नकारात्मक विचार मन में नहीं लाने चाहिए.
- इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए.
- इस दिन किसी को दुख नहीं देना चाहिए.
संकष्टी चतुर्थी का महत्व अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने वाले भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त करते हैं. इस दिन जो भी भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान से पूज-अर्चना करता है, भगवान गणेश उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. इसके साथ ही घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.