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मिनरल और केमिकल सनस्क्रीन में क्या है फर्क, आपके लिए कौन सी है बेस्ट?

सनस्क्रीन हमारे स्किनकेयर का एक जरूरी स्टेप है. घर से बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन अप्लाई करने की सलाह दी जाती है. ये आपको धूप से होने वाली टैनिंग और सनबर्न से बचाती है. साथ ही ये हार्मफुल यूवी रेज से भी त्वचा को प्रोटेक्ट करती है. मार्केट में इस वक्त कई तरह की सनस्क्रीन मिल रही है, जिसमें शामिल है मिनरल और केमिकल सनस्क्रीन. ये दोनों ही सनस्क्रीन त्वचा को सूरज की किरणों से बचाने में मदद करती है. हालांकि, इसके इंग्रेडिएंट्स अलग होते हैं.

मिनरल सनस्क्रीन में जिंक ऑक्साइड से लेकर टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे इंग्रिडियंट्स का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, केमिकल सनस्क्रीन में Avobenzone, Oxybenzone, Octinoxate का इस्तेमाल किया जाता है. कुछ लोगों को लगता है कि, मिनरल सनस्क्रीन में किसी भी प्रकार का केमिकल यूज नहीं किया जाता है. हालांकि, ये सच नहीं है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि मिनरल सनस्क्रीन केमिकल सनस्क्रीन से कितनी अलग है, दोनों में से आपके लिए कौन सी बेस्ट है?

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

ब्रिटेन के न्यूकैसल विश्वविद्यालय में त्वचा विज्ञान में फोटोबायोलॉजी के एमेरिटस प्रोफेसर ब्रायन डिफी कहते हैं कि, हर चीज में केमिकल होता है. ऐसे में हम ये तय नहीं कर सकते हैं कि मिनरल सनस्क्रीम पूरी तरह से केमिकल फ्री है. मिनरल सनस्क्रीन में इस्तेमाल होने वाले जिंक और टाइटेनियम डाइऑक्साइड भी एक तरह के केमिकल ही हैं.

मिनरल सनस्क्रीन क्या होती है ?

मिनरल सनस्क्रीन को ऑर्गेनिक और फिजिकल सनस्क्रीन भी कहा जाता है. इसका टेक्चसर गाढ़ा होता है. ये सनस्क्रीन मिनरल सी बनी होती है, जो सूरज से निकलने वाली उल्टावालेट लाइट से त्वता को बचाने का काम करती है. इस सनस्क्रीन में जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड जैसे इंग्रिडियंट्स मिलाए जाते हैं, जो सूरज की किरणों के लिए शील्ड का काम करते हैं. मिनरल सनस्क्रीन त्वचा पर लगाते ही अपना असर दिखाना शुरू कर देती है.

केमिकल सनस्क्रीन कैसी होती है?

केमिकल सनस्क्रीन में कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. ये त्वचा को सन प्रोटेक्शन देती है. यूवी किरणों से बचाव करती है. इसमें Avobenzone, Oxybenzone, Octinoxate जैसे केमिकल इंग्रिडियंट्स का यूज किया जाता है. इस तरह की सनसक्रीन को चेहरे पर लगाने के बाद ये जल्दी अब्जॉर्ब नहीं होते हैं और सूखने में थोड़ा समय लेती है. साथ ही कुछ देर बाद अपना असर दिखाना शुरू करती है.

मिनरल सनस्क्रीन के फायदे और नुकसान?

मिनरल सनस्क्रीन लगाने के फायदे के साथ ही कुछ नुकसान भी हैं. जैसे ये सेंसिटिव स्किन वालों के लिए बेस्ट है. इसे लगाने से इरिटेशन और एलर्जी का खतरा भी कम रहता है. इसमें हार्मफुल केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है. ऐसे में ये बच्चों के लिए भी सुटेबल है. जिन लोगों को एक्ने की समस्या है उनके लिए भी मिनरल सनस्क्रीन बेहतर है. ये ब्रेकआउट से बचाती है. इसकी सबसे खास बात ये है कि ये तुरंत अपना असर दिखाना शुरु कर देती है.

हालांकि, इसके कुछ नुकसान भी हैं. जैसे इसका टेक्सचर काफी गाढ़ा होता है ऐसे में ये आपकी स्किन पर हैवी लग सकती है. साथ ही इसे पूरे चेहरे पर फैलाने में भी दिक्कत आ सकती है. थीक होने की वजह से ये त्वता पर सफेद पन छोड़ जाती है, जिससे त्वचा पर जिंक डाइऑक्साइड और टाइटेनियम डाइऑक्साइड चेहरे पर दिख सकते हैं. खासतौर पर डार्क स्किनटोन पर.

केमिकल सनस्क्रीन के फायदे और नुकसान

केमिकल सनस्क्रीन के भी अपने फायदे और नुकसान है. इसका टेक्सचर काफी पतला होता है. ऐसे में ये स्किन पर अप्लाई करने में ईजी होती है. वहीं, ये त्वचा पर सफेदपन भी नहीं छोड़ती है. वॉटर लाइट फॉर्मुला होने की वजह से ये त्वचा पर लंबे समय तक टिकी रहती है और पसीना या पानी में बहती भी नहीं है. ऐसे में अगर आप स्विमिंग या किसी आउडोर एक्टिविटी के लिए जा रहे हैं तो उसके लिए केमिकल सनसस्क्रीन एक अच्छा ऑप्शन है.

हालांकि, इसके कुछ नुकसान भी है. केमिकल होने की वजह से ये त्वचा पर एलर्जी , रेडनेस और खुजली कर सकती है. केमिकल सनस्क्रीन को स्किन में अब्जॉर्ब होने में लगभग 20 मिनट का समय लग सकता है. ऐसे में इसे बाहर निकलने से 20 मिनट पहले अप्लाई करना होगा.

कौन सी सनस्क्रीन आपके लिए है बेहतर?

इन दोनों ही सनस्क्रीन के अपने -अपने फायदे और नुकसान है. कुछ सालों से मिनरल सनस्क्रीन को ज्यादा पसंद किया जा रहा है, क्योंकि इसमें हार्मफुल केमिकल नहीं होते हैं. 2019 की एक स्टडी से पता चलता है कि, सनस्क्रीन में मौजूद एक्टिव केमिकल इंग्रिडियंट्स ब्लडस्ट्रीम में अब्जॉर्ब हो कर रेशेज जैसी समस्या पैदा कर सकते हैं. हालांकि, कई लोगों का मानना है कि मिनरल सनसस्क्रीन बेहतर ऑप्शन है.

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