थम नहीं रहा जल विवाद, फिर HC पहुंची पंजाब सरकार, 6 मई के आदेश पर समीक्षा की मांग

पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर विवाद लगातार बना हुआ है. पंजाब सरकार ने अब कल सोमवार को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर 6 मई के अपने पिछले आदेश की समीक्षा या संशोधन करने की मांग की है, जिसमें केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन द्वारा 2 मई को हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने के फैसले से संबंधित आदेश भी शामिल है.
हाई कोर्ट ने 6 मई को पंजाब को केंद्रीय गृह सचिव की अगुवाई में 2 मई को हुई बैठक के फैसले का पालन करने का निर्देश दिया था. 2 मई को गृह सचिव की अगुवाई में हाई लेवल मीटिंग हुई थी, जिसमें राज्य की जल की जरूरत को देखते हुए उसे पूरा करने के लिए अगले 8 दिनों में भाखड़ा बांध से हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने के भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड के फैसले को लागू करने की सलाह दी गई थी.
‘गृह सचिव फैसला लेने की अथॉरिटी नहीं’
अपनी याचिका में पंजाब ने इस बार पर आपत्ति जताई कि केंद्रीय गृह सचिव पानी छोड़ने के बारे में फैसला लेने के लिए उपयुक्त अथॉरिटी नहीं हैं. याचिका में यह भी कहा गया, “इसके अलावा हरियाणा ने इस कोर्ट के समक्ष कार्यवाही के दौरान कहा था कि केंद्रीय गृह सचिव की ओर से 2 मई की जो बैठक बुलाई गई थी, वह कानून और व्यवस्था की स्थिति से संबंधित थी. इससे यह भी पता चलता है कि बैठक में जल आवंटन के मुद्दे पर कोई फैसला नहीं लिया जा सकता था, खासकर तब जब यह वैधानिक रूप से विद्युत मंत्रालय को संदर्भित था.”
याचिका के अनुसार, कोर्ट के समक्ष यह धारणा दी गई थी कि यह बैठक हरियाणा को अतिरिक्त 4,500 क्यूसेक पानी जारी करने के मुद्दे पर आयोजित की गई थी, जबकि वास्तविकता यह है कि बैठक के लिए कोई विशेष एजेंडा तय नहीं किया गया था.
बीबीएमबी के चेयरमैन ने दी गलत जानकारी
पंजाब सरकार का कहना है कि यह एक फैक्ट है कि गृह सचिव बीबीएमबी रूल्स के नियम 7 के तहत कोई फैसला लेने के लिए सक्षम अथॉरिटी नहीं हैं, ऐसे में पंजाब उक्त फैसले का अनुपालन करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है.
इस बीच, पंजाब सरकार ने सोमवार को यह भी बताया कि उसने बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी के खिलाफ हाई कोर्ट के समक्ष “जानबूझकर गलत तथ्य प्रस्तुत करने” को लेकर कानूनी कार्रवाई शुरू की है. सरकार के आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि पंजाब सरकार ने बीबीएमबी के चेयरमैन के अवैध हिरासत के दावों का जोरदार खंडन किया है.
प्रवक्ता ने एक आधिकारिक बयान में दावा किया, “8 मई को अदालती कार्यवाही के दौरान, मनोज त्रिपाठी ने यह स्वीकार किया था कि उन्हें सिर्फ स्थानीय नागरिकों ने घेर रखा था. पंजाब पुलिस ने उन्हें सुरक्षित निकलने में मदद की. हालांकि, 9 मई को अपने हलफनामे में उन्होंने विरोधाभासी रूप से आरोप लगाया कि उन्हें अवैध हिरासत में रखा गया था, जबकि उनका यह दावा सीधे तौर पर उनके पहले के अदालती बयान के उलट है.”
पंजाब पहले ही मना कर चुका
प्रवक्ता ने कहा, “ऐसे में पंजाब सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 की धारा 379 को लागू किया है और हाई कोर्ट से बीएनएसएस की धारा 215 के तहत अपराध की जांच शुरू करने का अनुरोध भी किया है, जो जानबूझकर गलत हलफनामा प्रस्तुत करने से संबंधित है.”
पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से पानी के बंटवारे को लेकर संघर्ष चल रहा है. पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने भाखड़ा बांध से पानी साझा करने से इनकार करते हुए कहा है कि पड़ोसी राज्य हरियाणा ने पहले ही अपने हिस्से का पानी इस्तेमाल कर लिया है. पंजाब का दावा है कि हरियाणा पहले ही अपना आवंटित हिस्सा खत्म कर चुका है, मानवीय आधार पर 4,000 क्यूसेक पानी पहले ही छोड़ा जा रहा है.