जनवरी से शुरू होगी वार्ड बंदी, स्लम फ्री चंडीगढ़ में बदल सकती है सियासी गणित, नेताओं की रणनीति पर पड़ेगा असर

चंडीगढ़: नगर निगम चुनाव से पहले चंडीगढ़ की सियासत एक बार फिर करवट लेने जा रही है. प्रशासन ने जनवरी से वार्ड बंदी की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है. शहर को स्लम-फ्री घोषित किए जाने के बाद अब वार्डों की सीमाएं और आरक्षण व्यवस्था नए सिरे से तय की जाएगी. इस कदम से न केवल राजनीतिक समीकरण बदलने की संभावना है, बल्कि कई मौजूदा नेताओं की रणनीतियां भी प्रभावित हो सकती हैं.
35 रहेगी कुल वार्डों की संख्या:चंडीगढ़ में पहले जो वार्ड अवैध कॉलोनियों के आधार पर तय किए गए थे, अब वे क्षेत्र पूरी तरह खाली हो चुके हैं. इन कॉलोनियों में करीब 8 से 9 हजार लोग बसते थे और वहीं से वोटिंग का बड़ा आधार तैयार होता था. इन कॉलोनियों के उजड़ने के बाद अब वार्डों के क्षेत्रफल को दोबारा चिन्हित किया जाएगा. हालांकि, कुल वार्डों की संख्या 35 ही रहेगी, लेकिन प्रत्येक वार्ड की भौगोलिक सीमाओं में बदलाव किया जाएगा.
9 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित: प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस बार महिला और आरक्षित वर्गों के लिए सीटों का आरक्षण बदलेगा. नगर निगम की सात आरक्षित सीटों के अलावा 28 में से 9 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाएंगे. यह आरक्षण ड्रॉ की प्रक्रिया से तय किया जाएगा. यानी कि इस बार सामान्य श्रेणी में आने वाले कुछ वार्ड भी महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हो सकते हैं.
बिखर सकते हैं वोट बैंक: राजनीतिक हलकों में इस फैसले को लेकर हलचल बढ़ गई है. पिछले चुनाव में जिन कॉलोनियों से पार्टियों को भारी समर्थन मिला था, वे अब खत्म हो चुकी हैं.राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन इलाकों के उजड़ने से कई दावेदारों का वोट बैंक बिखर सकता है. वहीं, कुछ नेताओं के लिए यह बदलाव नए अवसर भी लेकर आ सकता है.
मजबूत दावेदारों की पहचान के लिए काम शुरू:जानकारी के मुताबिक नगर निगम चुनाव में मजबूत दावेदारों की पहचान के लिए पार्टियों ने पहले से ही काम शुरू कर दिया है. महिला और आरक्षित सीटों पर पार्टी संगठन अपने संभावित उम्मीदवारों को चिन्हित करने में जुटे हैं. वहीं, कई नेता एक से अधिक वार्डों पर नजर बनाए हुए हैं, ताकि वार्ड बंदी के बाद वे सही क्षेत्र से चुनाव लड़ सकें.
क्या बोले नगर निगम अधिकारी:इस बारे में नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि चंडीगढ़ में बीते कुछ वर्षों में कई बड़े बदलाव हुए हैं. नई योजनाओं, विकास कार्यों और स्लम फ्री मिशन ने शहर का नक्शा ही बदल दिया है. ऐसे में वार्ड बंदी जरूरी हो गई है ताकि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष रहे. जनवरी से शुरू होने वाली यह प्रक्रिया न सिर्फ चुनाव की दिशा तय करेगी, बल्कि शहर की राजनीति की नई बुनियाद भी रखेगी.




