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कैथल का अनोखा गांव: यहां केवल 3 वोटर, आज तक किसी को नहीं दिया वोट…फिर भी बड़े-बड़े नेता झुकाते हैं शीश

कैथल : आपने अक्सर कई गांव के अनोखे किस्से सुने होंगे, लेकिन आज आपको जिस गांव के बारे में बताने जा रहे हैं। उसके बारे में सुनकर आप भी चौंक जाओगे। ये कहानी है कैथल जिले के खडालवा गांव की, जो हरियाणा ही नहीं बल्कि पुरे देश का एक ऐसा मात्र गांव है जिसमें केवल तीन मतदाता होने पर भी इसे पूर्ण गांव का दर्जा मिला है।

इससे भी हैरानी की बात तो ये है कि गांव में एक भी घर नहीं, फिर भी तीन व्यक्तियों के वोट बने हैं। जिन्होंने आज तक अपने मत का उपयोग नहीं किया, फिर भी यहां बड़े-बड़े नेता अपना शीश झुकाते हैं। इस गांव में कभी भी सरपंची का चुनाव भी नहीं हुआ। इसका अस्तित्व भगवान शिव मंदिर से जुड़ा है। यहां के पुजारी महंत रघुनाथ गिरी उनके शिष्य लाल गिरी व आत्मा गिरी सहित मात्र तीन वोट है। मंदिर और स्कूल बेचिराग गांव खडालवा के नाम पर है। लेकिन कोई आबादी नहीं है।

इस गांव के नाम 16 एकड़ कृषि और गैर कृषि भूमि है। ज्यादातर भूमि को गायों के लिए चारे के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मंदिर के भंडारे और धर्मशाला के लिए गेहूं व धान की फसल भी बाई होती है। गांव में बनी धर्मशाला में बाहर से आया कोई व्यक्ति तीन दिन तक निशुल्क ठहर सकता है। इससे ज्यादा दिन रुकने के लिए मंदिर के पुजारी की अनुमति लेनी होती है। गांव में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, सहकारी बैंक, अस्थायी बस स्टैंड, गोशाला, दो सड़कें, गलियां इसी गांव की जमीन पर बनी हुई है। राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार पूरे गांव की विरासत मंदिर के नाम है और भगवान शिव ही इस गांव के सरंपच व पंच हैं।

मंदिर के मुख्य महंत रघुनाथ गिरी ने बताया कि इस गांव का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। यह श्रीराम यानी रघुवंश के पूर्वजों से जुड़ा हुआ है। इस धरा पर शिव शंभू को पातालेश्वर और खट्वांगेश्वर के नाम से जाना जाता है। किसी समय में यहां विकसित संस्कृति थी। उसके बाद शकों और हूणों के हमलों ने इस गांव को तबाह कर दिया। इसके बाद यह दोबारा कभी आबाद नहीं हुआ। खुदाई के दौरान आज भी पुरानी दीवारों के अवशेष, मिट्टी के बर्तन, औजार, मिट्टी की चूड़ियां और मानवीय जन जीवन से जुड़ी वस्तुओं के अवशेष मिलते हैं। पांच हजार वर्ष से इस भूखंड पर प्राचीन शिव मंदिर स्थित है।

गांव में बना 12वीं तक का स्कूल, दूसरे गांव से पढ़ने आते हैं बच्चे

गांव में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बना हुआ है, जिसमें इस गांव के नहीं बल्कि दूसरे गांव के बच्चे पढ़ने आते हैं। स्कूल में आवश्यकता अनुसार अध्यापक भी उपलब्ध हैं, जिनके कड़े परिश्रम की बदौलत स्कूल का रिजल्ट आसपास के स्कूलों से बेहतर रहता है। चार एकड़ से ज्यादा भूमि पर बने स्कूल में बिल्डिंग के साथ बच्चों के खेलने के लिए ग्राउंड भी है। इसलिए शायद यह भी पहले प्रदेश का पहला ऐसा स्कूल होगा जिसमें इस गांव का एक भी बच्चा नहीं पढ़ता।
बिना आबादी वाले गांव का नंबरदार और पटवारी भी अलग

यहां के महंत रघुनाथ गिरी बताते हैं कि उनके गांव को सरकारी रिकॉर्ड में पूर्ण गांव का दर्जा मिला हुआ है। इसलिए और गांव की तरह उनके गांव के भी अलग पटवारी और नंबरदार है। गांव में कोई भी सरपंच व पंच नहीं है फिर भी जब उनको नंबरदार की जरूरत पड़ती है तो जिला प्रशासन द्वारा उनके पास के गांव मटौर के नंबरदार को इसकी जिम्मेवारी दी हुई है। इसलिए उनको आज तक प्रशासनिक कार्यों में किसी प्रकार की समस्या नहीं आई। वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पासबुक सहित उनके सभी दस्तावेज बने हुए हैं, परंतु उन्होंने आज तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं लिया।

 

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