खाद्यान्नों में बढ़ते जहर को खत्म करने के लिए आर्गेनिक खेती है समय की पुकार : राकेश बेनिवाल
आर्गेनिक खेती करने वाले किसान व ग्राहक के बीच मजबूत कड़ी बनेगा केवाईसी

भिवानी, (ब्यूरो): भारत जो कभी सोने की चिडिय़ा कहलाता था, आज अपने ही खेतों से निकले जहर से जूझ रहा है। हर दिन हमारी थाली में परोसा जाने वाला भोजन जहरीले रसायनों, कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों से भरता जा रहा है। इसका नतीजा कैंसर, हॉर्मोनल असंतुलन, त्वचा रोग और बच्चों में विकृति जैसी घातक बीमारियों के रूप में सामने आ रहा है। ऐसे में खाद्य शुद्धता जैसी बड़ी चुनौती से निपटने के लिए आर्गेनिक खेती को अपनाना सिर्फ एक विकल्प नहीं, समय की मांग व पुकार है। यह बात किसान युवा क्लब के संस्थापक राकेश बेनिवाल, सुधीर तंवर, विनीत पिलानिया व बबीता यादव ने मंगलवार को स्थानीय बड़ चौक स्थित किसान युवा क्लब के कार्यालय में आयोजित मीटिंग को संबोधित करते हुए कही। किसान युवा क्लब के संस्थापक राकेश बेनिवाल ने कहा कि किसानों को आर्गेनिक खेती अपनाने व आमजन को आर्गेनिक खेती से उत्पन्न खाद्यान्नों को अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से किसान युवा क्लब प्रयासरत्त है ताकि किसान आर्गेनिक खेती को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के साथ-साथ देश का स्वास्थ्य भी बेहतर बना सकें। लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि किसानों को आर्गेनिक उत्पाद खरीदने वाले ग्राहक तथा ग्राहकों को आर्गेनिक उत्पाद की खेती करने वाले किसान नहीं मिल पा रहे है। उन्होंने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए किसान युवा क्लब ने अब अपने स्तर पर किसानों को मार्केटिंग करने की योजना तैयार की है। जिसके तहत किसान युवा क्लब द्वारा अपने स्तर पर किसानों को आर्गेनिक उत्पाद बेचने के लिए स्थान मुहैया करवाया जाएगा, जिसमें किसान की फोटो से लेकर नंबर तक सभी जानकारी होगी। इसका फायदा यह होगा कि ग्राहक सीधे तौर पर आर्गेनिक खेती करने वाले किसान से जुड़ेगा। उन्होंने बताया कि आर्गेनिक खेती करने वाले किसानों की यह मार्केटिंग प्रत्येक शहर, कस्बा व गांव स्तर पर जोर-शोर से की जाएगी।
बेनिवाल ने कहा कि कहा कि रासायनिक खेती धीरे-धीरे ज़हर बनकर हमारी मिट्टी, जल और शरीर को नुकसान पहुंचा रहे है। इससे ना केवल मिट्टी की उर्वरकता खत्म हो रही है, बल्कि भूजल में रसायन घुलकर पीने के पानी को विषैला बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि आर्गेनिक खेती का मतलब रसायन मुक्त, प्रकृति के अनुकूल खेती है। इससे मिट्टी की सेहत सुधरती है, भूजल शुद्ध रहता है, उपज में पोषण और स्वाद अधिक होता है तथा बाजार में मांग और मूल्य दोनों बढ़ते हैं।