हरियाणा

ट्रेड यूनियनों ने विरोध प्रदर्शन कर जलाई केंद्रीय बजट की प्रतियां

भिवानी, (ब्यूरो): राष्ट्रव्यापी विरोध आयोजित करने के लिए  आह्वान पर दनोद गेट पर केंद्रीय ट्रेड यूनियन एआईयूटीयूसी की ओर से केंद्रीय बजट 2025-26 के विरोध स्वरूप इसकी प्रतियां फूंकी गईं। एआईयूटीयूसी के राज्य उपाध्यक्ष रामफल, जिला अध्यक्ष धर्मवीर सिंह, जिला सचिव राजकुमार बासिया और आल इंडिया किसान खेत-मजदूर संगठन के जिला प्रधान रोहतास सैनी सहित कई लोग शामिल हुए, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। वक्ताओं ने कहा कि बजट 2025-2026 कॉर्पोरेट जगत के  हक में; श्रमिकों,   किसान, बेरोजगार युवा, छात्र और महिलाओं की उम्मीदें चकनाचूर करने वाला है। इसमें आवश्यक वस्तुओं की महंगाई से जनता को कोई राहत नहीं है। नौकरी के नुकसान और बेरोजग़ारी वृद्धि मुख्य दिशा है।  बजट 2025-2026 ने एक बार फिर से बड़े व्यापार व कॉरपोरेट घरानों के लाभ के लिए रास्ता खोल दिया है। यह बजट  अभूतपूर्व बेरोजगारी की स्थिति से निपटने को तवज्जो देने में पूरी तरह नाकाम है; यह कृषि संकटों को बढ़ाता है। निजीकरण की पॉलिसी की निरंतरता से अनियंत्रित मुद्रास्फीति के परिणामस्वरूप आवश्यक वस्तुओं की कीमतें और बढ़ेंगी। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सार्वजनिक सेवाओं, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कम बजट के कारण  गरीब, सीमांत, निम्न आय समूहों के साथ -साथ मध्यम वर्गों के लिए भी इन सेवाओं तक पहुंचे कठिन। बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश एफडीआई की घोषणा न केवल हमारे आम लोगों और किसानों के लिए बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी हानिकारक होगी। राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन की नीति के माध्यम से कॉरपोरेटों को सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को सौंपने की नीति आक्रामक रूप से जारी रखने की नीति है। केंद्र सरकार की नीतियों के परिणामस्वरूप असमानता बढ़ी है। यह बजट एक परम्परागत झांसा है। इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड योजनाओं की घोषणा करना है और राष्ट्र को कभी भी सूचित न करना है कि उनके कार्यान्वयन के लिए क्या हुआ था।
विशाल बहुमत हमारे समाज के धन उत्पादक वर्ग हैं श्रमिकों और किसान जो इस बजट में पूरी तरह से उपेक्षित रखे गए हैं। यह बजट अनौपचारिक अर्थव्यवस्था श्रमिकों, बेरोजगार युवाओं, गरीब और सीमांत किसानों के लिए एक और झटका है, जिन्हें नजरअंदाज किया गया है। बजट में शिक्षा के लिए अधिक आवश्यक आवंटन के लिए हमारे लोगों की जरूरतों के साथ न्याय नहीं करता (यह केवल 2.6 प्रतिशत है), स्वास्थ्य (यह केवल 1.9 प्रतिशत है)। इस बजट में पीने का पानी, गरीब, सीमांत और निम्न आय समूह के लोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। कुछ कॉस्मेटिक घोषणाएं मुख्य रूप से केवल वोटों को प्राप्त करने के लिए हैं।

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