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गर्मी ने सताया, अब मानसून से मिलेगी राहत… पढ़ें- कैसे अल नीनो और ला नीना कराएंगे अच्छी बारिश

इस बार तपती गर्मी और हीटवेव ने पूरे भारत में तबाही मचा रखी है. आलम ये है कि रोज लू की चपेट में आकर कई मौत हो रही हैं. लोगों को इंतजार है तो बस मानसून (Monsoon) का. दिल्ली-NCR समेत उत्तरी भारत में बुधवार रात को बारिश ने जब दस्तक दी तो लोगों के चेहरे खिल गए. सुबह से ही आसमान में बादल डेरा जमाए बैठे थे. हल्की-बूंदाबांदी भी हुई. मौसम विभाग ने कहा कि कुछ ही घंटों में और ज्यादा बारिश (Rain) होने का अनुमान है. इससे लगने लगा है कि प्री मानसून की एंट्री हो ही गई है. IMD के मुताबिक, कुछ दिन बाद यानि जुलाई में मानसून भी पूरी तरह दस्तक दे देगा.

पिछले सालों की तुलना में इस बार गर्मी ज्यादा हुई है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जितनी तेज गर्मी इस बार पड़ी है. मॉनसून उतना ही अच्छा होने की उम्मीद है. क्योंकि हवाएं जब गर्म होकर ऊपर उठती हैं तो उस खाली जगह को भरने के लिए मॉनसूनी हवाएं तेजी के साथ आती हैं. फिर वह झमाझम बारिश करती हैं.

इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) मानसून को काफी हद तक प्रभावित करता है. आईओडी का मतलब होता है कि वायुमंडल से समुद्र और सतह के तापमान में अंतर होने से होने वाला इफेक्ट. हिंद महासागर में होने वाली गतिविधियों से तय होता है कि मानसून कैसा रहेगा. अभी यहां आईओडी न्यूट्रल है. आईओडी के जल्द ही पॉजिटिव होने की संभावना है. जो कि ज्यादा बारिश का संकेत है.

पिछली बार से ज्यादा होगी बारिश

इससे पहले आईओडी के पॉजिटिव होने पर वर्ष 1983, 1994 और 1997 में भारत में सामान्य से अधिक बारिश हुई थी. वहीं निगेटिव होने पर वर्ष 1992 में बहुत कम बारिश हुई थी. मानसून के लिए अल नीनो और ला नीना (El Nino And La Nina) दो सबसे अहम फैक्टर हैं. अल नीनो में समंदर का तापमान 3 से 4 डिग्री बढ़ जाता है. भारत में अल नीनो के कारण मानसून अक्सर कमजोर होता है. अभी की बात करें तो अल नीनो प्रशांत महासागर में कमजोर है. अल नीनो इफेक्ट की न्यूट्रल कंडीशन चल रही है. मौसम विभाग के वैज्ञानिकों की मानें तो अल नीनो जुलाई में ला नीना में परिवर्तित हो जाएगा. इससे मानसून में अच्छी बारिश होने की संभावना है. पिछले मानसून से इस बार ज्यादा बारिश (Heavy Rain) होगी.

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