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आज शुभ योगों में मनाई जाएगी विनायक चतुर्थी, जीवन में होगा खुशियों का आगमन

आज विनायक चतुर्थी का पर्व है। यह त्योहार हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। विनायक चतुर्थी के दिन बप्पा की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

आज विनायक चतुर्थी का पर्व है। यह त्योहार हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। विनायक चतुर्थी के दिन बप्पा की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस रोज विशेष कार्यों में सिद्धि प्राप्त करने के लिए व्रत-उपवास रखा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार आज विनायक चतुर्थी पर बहुत सारे मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर बन रहे योगों में दुर्लभ ध्रुव योग भी शामिल है। इन योगों में बप्पा की पूजा करने से कई गुणा पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं कि इस बार विनायक चतुर्थी पर कौन-कौन से योग बन रहे हैं-

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Vinayak Chaturthi Shubh Sanyog  विनायक चतुर्थी शुभ संयोग
Dhruv Yog ध्रुव योग

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर धुव्र योग का निर्माण हो रहा है। यह योग शाम 04 बजकर 48 मिनट तक है। ज्योतिषों के अनुसार, धुव्र योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। कहते हैं की इस योग में बप्पा की पूजा करने से व्यक्ति को अक्षय फल प्राप्ति होते हैं।

Sarvartha Siddhi Yog and Ravi Yog सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग
विनायक चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग भी बन रहे हैं। दोनों योगों का निर्माण सुबह 05 बजकर 23 मिनट से हो रहा है। इन योगों का समापन रात 09 बजकर 40 मिनट होगा।

Pushya Nakshatra Yog पुष्य नक्षत्र संयोग
विनायक चतुर्थी पर पुष्य नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है और बप्पा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

Ganesh Gayatri Mantra गणेश गायत्री मंत्र
गणेश जी की पूजा के दौरान ऊन के आसन पर अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर करके बैठ जाएं। सच्चे मन और श्रद्धा से गणेश जी के गायत्री मंत्र का  7 से 21 बार जाप करें। इससे आपकी एकाग्रता में सुधार होगा। ज्ञान और बुद्धिमत्ता बढ़ेगी। कठिन समय में उचित निर्णय लेने में सक्षम बनेंगे।
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

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