पशुपालन को बढ़ावा देने व पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विभाग में लगाई विशेष प्रशिक्षण शिविर राष्ट्रीय गोकुल मिशन व पशुपालन विभाग की विभिन्न योजनाओं के बारे में दी गई जानकारी
भिवानी, 27 जून : किसान व पशुपालकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से भिवानी के पशु विज्ञान केंद्र में लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा सात दिवसीय डेयरी फार्मिंग प्रशिक्षण दिया गया। इस सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान अत्याधुनिक डेयरी फार्मिंग, पशु स्वास्थ्य प्रशिक्षण, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की वैज्ञानिक विधियों बारे जिले के चुनिंदा किसानों को यह प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए पशु विज्ञान केंद्र के प्रभारी डा. आनंद प्रकाश ने बताया कि डेयरी फॉर्मिग के क्षेत्र में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने सहित गॉट फॉर्मिंग व सूअर फॉर्मिंग को लेकर समय-समय पर लुवास द्वारा इन प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करवाया जाता है। इसी के तहत यह सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम करवाया गया। जिसका लक्ष्य पशु पालकों को नवीनतम तकनीकों व वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसानों को प्रशिक्षण देना था। इस कार्यक्रम में बताया गया कि पशुपालन के लिए साहीवाल, गिर, मुर्राह जैसी नस्लों का चयन के साथ ही कृत्रिम गर्भाधान अपनाना चाहिए। पशुओं को आहार प्रबंधन की दिशा में यह बताया गया कि गर्मी के इस मौसम में पशुओं में पानी की कमी ना होने दे, पशुओं को हरा चारा, तुड़ी, खल-बिंदौलों के अलावा किसान पशुओं को प्रोटीन भी दाल के रूप में जरूर दे। तभी दूध उत्पादन सही अनुपात में बढ़ पाएगा। इस कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि इन दिनों मुंहखुर व गलघोटू के रोग व फनेला रोग से निवारण के लिए पशुपालकों को पशुओं का टीकाकरण करवानी चाहिए, खूबीनाशक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही राष्ट्रीय गोकुल मिशन व पशुपालन विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के तहत जो सब्सिडी उपलब्ध है, उसका प्रयोग पशुओं की संख्या बढ़ाने में किसान कर सकते है। पशुपालक गांव गोलागढ़ के कृष्ण व दिनोद गांव के पशुपालक दशरथ ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से उन्हे डेयरी फॉर्मिंग की आधुनिक तकनीकों का पता लगा है। उन्हे पशुओं के वैक्सीनेशन व उनकी नस्लों के बारे में बताने के साथ ही पशुओं के आहार व रख-रखाव के बारे में जानकारी दी गई है तथा उन्हे विशेष तौर पर यह बताया गया कि गाय व भैंस में मनुष्यों की तर्ज पर पसीनों की ग्रंथियां नहीं होती। ऐसे में पशुओं को गर्मी से बचने के लिए अधिक से अधिक पानी पिलाने के साथ ही गर्मी से बचने के लिए फोगर के माध्यम से फुहार का प्रयोग या तालाब में नहलाने की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे ना केवल पशु गर्मी से बचे रहेंगे, बल्कि उनके दुग्ध उत्पादन में भी गिरावट नहीं आएगी।