उत्तर प्रदेश

टारगेट का प्रेशर, सस्पेंड करने की धमकी… क्या इन्हीं वजह से GST के डिप्टी कमिश्नर ने कर लिया सुसाइड?

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में तैनात राज्य कर विभाग के उपायुक्त संजय सिंह की सुसाइड पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहे. इस घटना को लेकर नोएडा गाजियाबाद से लेकर राजधानी लखनऊ तक हड़कंप मचा हुआ है. एक तरफ राज्य कर विभाग ने घटना की वजह बीमारी से डिप्रेशन बताया है, वहीं दूसरी ओर संजय सिंह की पत्नी ने इसे खारिज कर दिया है. उन्होंने कहा कि संजय सिंह ने टारगेट प्रेशर की वजह से यह कदम उठाया है. राज्य कर विभाग के अधिकारी भी संजय सिंह की पत्नी की बात का समर्थन करते नजर आ रहे हैं.

उनका कहना है कि टारगेट पूरा नहीं करने वाले अधिकारियों को वीडियो कांफ्रेंसिंग में हड़काया जाता था और उन्हें सस्पेंड करने की धमकी दी जाती थी. इसकी वजह से अकेले संजय सिंह ही नहीं, बल्कि प्रदेश भर के अधिकारी इन दिनों मानसिक दबाव में काम करने को मजबूर हैं. बता दें कि डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह नोएडा के सेक्टर 75 स्थित एपेक्स सोसायटी में परिवार के साथ रहते थे और यहीं पर 15वीं मंजिल से गिरने की वजह से रविवार की रात उनकी मौत हो गई थी. उनकी पत्नी ने इस घटना के लिए विभाग की मौजूदा व्यवस्था को जिम्मेदार बताया है.

कैंसर पर संजय सिंह ने पायी थी विजय

उन्होंने कहा कि संजय सिंह को कैंसर की बीमारी थी और बड़ी मुश्किल से उन्होंने इस बीमारी पर विजय हासिल की थी, लेकिन बीते कुछ दिनों से वह विभागीय के दबाव में थे. इसी दबाव की वजह से उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाया है. उधर, राज्य कर विभाग में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन यह घटना चर्चा में रही. विभाग में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों कहना था कि संजय सिंह ने भले ही कैंसर को हरा दिया, लेकिन विभाग के टारगेट के सामने वह खुद हार गए.

मीटिंग में जलील किए जाने से परेशान हैं अधिकारी

अधिकारियों के मुताबिक कुछ दिन से वह तनाव में थे. यह तनाव सरकार की ब्याज माफी स्कीम की वजह से था. इस स्कीम के तहत रोज कम से कम पांच लोगों का रजिस्ट्रेशन कराना है. अधिकारियों के मुताबिक संजय सिंह ने सुसाइड से एक घंटे पहले अपने सीनियर को फोन किया था. कहा था कि ऐसे माहौल में वह काम नहीं कर पाएंगे. विभागीय अधिकारियों के मुताबिक हर रोज शासन स्तर पर विडियो कॉन्फ्रेसिंग होती थी. इसमें टारगेट पूरा नहीं करने वाले अधिकारियों को इंसल्ट किया जाता था. यहां तक कि उन्हें सस्पेंड करने की धमकी भी दी जाती थी. इसकी वजह से विभाग में कार्यरत हरेक अधिकारी और कर्मचारी परेशान है.

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