झारखंड की वो 8 सीटें जहां बीजेपी के दांव से ही कमल को मुर्झाने निकले हेमंत सोरेन
झारखंड में लगातार कोई सरकार रिपीट नहीं हो पाती है. इसी परंपरा को तोड़ने की कवायद में हेमंत सोरेन जुटे हैं. सोरेन इसके लिए जहां झामुमो के कील-कांटे दुरुस्त कर रहे हैं. वहीं बीजेपी की ही बनाई रणनीति से उसे मात देने तैयारी भी कर रहे हैं. हेमंत का यह प्रयोग अगर सफल रहता है तो सरकार रिपीट होने के साथ-साथ पार्टी के दिग्गज नेता चुनाव में धूल चाट सकते हैं.
81 सीटों वाली झारखंड में 13 और 20 नवंबर को मतदान प्रस्तावित है. 23 नवंबर को सभी सीटों के नतीजे आएंगे.
8 सीटों पर जिताऊ की फील्डिंग
68 सीटों पर चुनाव लड़ रही बीजेपी ने 66 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. 5 साल बाद सत्ता वापसी की कोशिशों में जुटी बीजेपी ने टिकट बंटवारे में परिवारवाद और दलबदलुओं को खूब तरजीह दी है.
हेमंत ने भी इस फॉर्मूले को विधानसभा की 8 सीटों पर लागू किया है. वो भी उन सीटों पर जहां से बीजेपी के दिग्गज चुनाव लड़ रहे हैं.
1. चंदनकियारी- यहां से बीजेपी के टिकट पर नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी चुनाव लड़ रहे हैं. दलित समुदाय से आने वाले बाउरी 2014 और 2019 में इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं. 2019 में जेएमएम के प्रत्याशी चंदनकियारी में तीसरे नंबर पर रहे थे.
हेमंत ने इस बार चंदनकियारी के पूर्व विधायक उमाकांत रजक को साध लिया है. रजक आजसू पार्टी में थे और पिछली बार इस सीट पर दूसरे नंबर पर रहे थे. कहा जा रहा है कि जो सीट का समीकरण है, उससे बाउरी की मुश्किलें अब बढ़ गई है.
2. सारठ- संथाल परगना की सारठ विधानसभा सीट पर बीजेपी ने रणधीर सिंह को उम्मीदवार बनाया है. रणधीर रघुबर सरकार में मंत्री भी रहे हैं. सारठ सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा 2019 में तीसरे नंबर पर रही थी. इस बार हेमंत ने यहां रणधीर को घेरने के लिए मजबूत प्लान तैयार किया है.
हेमंत ने यहां के पूर्व विधायक उदयशंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह को अपने पाले में ले लिया है. चुन्ना सिंह अभी तक बीजेपी में थे. चुन्ना सिंह लगातार क्षेत्र में सक्रिय भी थे. कहा जा रहा है कि चुन्ना को यहां के एक दिग्गज बीजेपी नेता का भी आशीर्वाद प्राप्त है. ऐसे में रणधीर की यहां मुश्किलें बढ़ सकती है.
3. भवनाथपुर- 2019 में गढ़वा की भवनाथपुर सीट से कांग्रेस मैदान में उतरी थी और पार्टी चौथे नंबर पर खिसक गई थी. यहां से बीजेपी के भानुप्रताप शाही चुनाव जीते थे. शाही पूरे 5 साल तक हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ मुखर रहे. हेमंत ने अब शाही का खेल खराब करने की रणनीति बना लिया है.
हेमंत ने पिछले चुनाव में नंबर-2 और नंबर-3 के प्रत्याशियों को अपने पाले में ले लिया है. भवनाथपुर से झामुमो ने जहां अनंत प्रताप देव को उम्मीदवार बनाया है. वहीं पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रही सोगरा बीबी को यहां प्रचार के लिए लगाया है.
4. धनवार- यहां से बीजेपी के अघोषित सीएम फेस बाबू लाल मरांडी मैदान में हैं. मरांडी 2014 में इस सीट से माले के राज कुमार यादव से हार चुके हैं. हेमंत ने वही प्रयोग इस बार भी यहां किया है. कहा जा रहा है कि धनवार सीट पर गठबंधन की तरफ से राज कुमार यादव चुनाव लड़ेंगे.
हेमंत की इस प्लानिंग से धनवार में बाबू लाल की टेंशन बढ़नी तय है. 2017 में हिमाचल में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार रहे प्रेम धूमल विधायकी हार गए, जिसके बाद उनका पत्ता कट गया.
5. जामा- संथाल परगना की जामा हेमंत सोरेन की परंपरागत सीट रही है. हेमंत सोरेन की भाभी यहां से विधायक रही हैं. सीता सोरेन ने लोकसभा से पहले पाला बदलकर बीजेपी का दामन थाम लिया.
अब इस सीट को सुरक्षित रखने के लिए हेमंत ने बीजेपी में ही सेंध लगा दी. बीजेपी के कद्दावर नेता लुईस मरांडी को अपने पाले में ले लिया है. 2014 में लुईस ने दुमका सीट पर हेमंत को हराया था.
कहा जा रहा है कि लुईस के झारखंड मुक्ति मोर्चा में आने से जामा और दुमका को हेमंत ने सुरक्षित कर लिया है. लुईस के जामा से लड़ने की चर्चा है.
6. जमुआ- गिरिडिह की जमुआ सीट पर लंबे वक्त से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. यहां से कांग्रेस चुनाव लड़ती रही है. झामुमो ने इस बार यह सीट अपने खाते में ले लिया है. हेमंत ने पहले यहां के विधायक केदार हाजरा को अपने साथ किया और अब उन्हीं पर दांव खेलने की तैयारी में हैं.
केदार हाजरा 2014 और 2019 में यहां से जीत चुके हैं. बीजेपी ने मंजू कुमारी को उम्मीदवार बनाया है. मंजू पिछले चुनाव में कांग्रेस के सिंबल पर यहां से उतरी थी.
7. बहरगोड़ा- कोल्हान की बहरगोड़ा सीट पर पिछली बार झामुमो के समीर मोहंथी और बीजेपी के कुणाल षाडंगी के बीच मुकाबला हुआ था. समीर मोहंथी ने इस चुनाव में बाजी मार ली थी. कुणाल दूसरे नंबर पर रहे थे.
बीजेपी ने इस बार यहां से चंपई सोरेन के करीबी को टिकट दिया है. चंपई के चक्कर में कुणाल बीजेपी छोड़ झामुमो में आ गए. अब बहरगोड़ा में बीजेपी उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ गई है. वजह मोहंथी और कुणाल का मेल-मिलाप है.
8. सरायकेला- झामुमो का अभेद दुर्ग कहे जाने वाले सरायकेला सीट से चंपई सोरेन जीतते आ रहे थे. चंपई ने हाल ही में जेएमएम छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है. बीजेपी ने उन्हें यहां से उम्मीदवार भी बनाया है.
चंपई के खिलाफ यहां से चुनाव लड़ने वाले गणेश महली, बास्को बेरा और लक्ष्मण टुडु को हेमंत ने साध लिया है. तीनों मिलकर चंपई को सरायकेला में चित करने की रणनीति पर काम करेंगे.