धर्म/अध्यात्म

इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत के दिन लगेगा चंद ग्रहण, क्या पड़ेगा असर?

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की तरह हमारे पूर्वज यानी पितर भी आराधना की जाती है. कहते हैं कि व्यक्ति जीवन के सुख, शांति और मंगल कार्यों में पितर अहम भूमिका निभाते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितरों का वास पितृलोक में होता है और श्राद्ध पक्ष के दौरान 15 दिनों के लिए वे धरती पर आते हैं. इन दिनों में पितरों के निमित्त श्रद्धा, तर्पण, अर्पण और दान आदि किया जाता है. कहते हैं कि पितृ पक्ष में पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध आदि करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत पर ग्रहण का संयोग बन रहा है. आइए जानते हैं कि इसका क्या असर पड़ेगा.

पितृ पक्ष की शुरुआत और ग्रहण का संयोग

पंचांग के मुताबिक, इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर 2025 को पूर्णिमा तिथि से हो रही है. वहीं, 21 सितंबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा. 7 सितंबर को जिस दिन पितृ पक्ष शुरू हो रहा है, उसी दिन साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी लगेगा. खास बात यह है कि साल का आखिरी चंद्र भारत में दिखाई देने वाला है.

कब लगेगा साल का दूसरा चंद्र ग्रहण?

इंडियन टाइम के मुताबिक, साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को रात 9:58 बजे शुरू होगी. वहीं, 8 सितंबर को तड़के रात 1:26 मिनट पर यह ग्रहण समाप्त होगा. ऐसे में इस ग्रहण का असर 3 घंटे 29 मिनट तक रहने वाला है.

यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जो भारत सहित दुनिया के कई देशों में दिखाई देगा. 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण का सूतक काल 6 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से शुरू जाएगा और ग्रहण की समाप्ति तक मान्य रहेगा. ऐसे में पूर्णिमा श्राद्ध के दिन खास सावधानी बरतने की जरूरत होगी.

ग्रहण में श्राद्ध करना चाहिए या नहीं?

ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण के दौरान नकारात्मक शक्तियां ज्यादा प्रभावी हो जाती हैं, इसलिए इस समय श्राद्ध कर्म करना अशुभ माना जाता है. अगर आप ग्रहण के दौरान श्राद्ध करने को लेकर चिंतित हैं, तो आप ग्रहण का सूतक काल समाप्त होने के बाद शुभ मुहूर्त में श्राद्ध कर्म कर सकते हैं. आप ग्रहण के दौरान श्राद्ध करने के लिए किसी योग्य पंडित से सलाह भी ले सकते हैं.

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