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गलत मिट्टी चुनने का बड़ा जोखिम: न फल-फूल आएंगे, न पौधे की ग्रोथ—पूरी मेहनत बेरंग

मिट्टी से ही हमें अन्न मिलता है, जो हमें जीने की शक्ति देता है. मिट्टी पृथ्वी पर सभी के जीवन का आधार है. हमारे भोजन का 95 प्रतिशत से अधिक हिस्सा मिट्टी से आता है. पौधे अपनी जड़ें मिट्टी में फैलाकर पोषक तत्व, पानी और जरूरी मिनरल्स प्राप्त करते हैं. खेती के साथ ही घर, बर्तन, ईंटें, मूर्तियां दैनिक जीवन से जुड़े जरूरी चीजों को बनाने के लिए मिट्टी बहुत जरूरी होती है. कहा जा सकता है कि मिट्टी पृथ्वी की आधारशिला है. यह भोजन, जल संरक्षण, पर्यावरण संतुलन, जैव विविधता और सभ्यता के निर्माण में योगदान देती है. इसकी सुरक्षा और संरक्षण हम सबकी जिम्मेदारी है. क्योंकि इसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.

हेल्दी और उपजाऊ मिट्टी के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हर 5 दिसंबर को वर्ल्ड सॉइल डे मनाया जाता है. अगर मिट्टी हेल्दी होगी तो ही हमारी फसलें अच्छी होंगी. कई कारणों से वजह से मिट्टी की गुणवत्ता लगातार कम हो रही है. इसी वजह से वर्ल्ड सॉइल डे मनाकर लोगों में यह संदेश दिया जाता है कि हमें मिट्टी की गुणवत्ता सही बनाएं रखने के लिए उसकी देखभाल करनी है.

जब भी हम घर पर पौधे लगाते हैं, तो इससे पहले सही गमले और मिट्टी के चयन का चयन करना बहुत जरूरी होता है. गलत मिट्टी पौधे की ग्रोथ को खराब कर सकती है. इसलिए पौधे की जरूरत के मुताबिक ही सही मिट्टी का यूज करें. पौधे की सही ग्रोथ के लिए सबसे ज्यादा कौन सी पांच मिट्टी का उपयोग किया जाता है. जिससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है, लेकिन हर सब्जी, मौसम और प्लांट के मुताबिक अलग-अलग मिट्टी का उपयोग किया जाता है.

रेतीली मिट्टी

रेतीली मिट्टा अपने लार्ज पार्टिकल्स और जल निकाली के लिए जानी जाती है. हालांकि इसमें पोषक तत्वों को होल्ड करने की क्षमता कम होती है, फिर भी यह रूट डेवलपमेंट के लिए सूटेबल होती है. यह मिट्टी रिकरिकी और दानेदार होती है. यह भारत के हर राज्य में आसानी से मिल जाती है. जिन पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत होती है, यह मिट्टी उनके लिए सही रहती है. क्योंकि रेत पानी को अंदर सोख लेता है और सुख कर बिखर जाता है. इससे पौधे की जड़ की ग्रोथ सही होती है.

पीट मिट्टी/कोकोपीट

पीट मिट्टी पानी और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होती है. इस मिट्टी को प्लांट की ग्रोथ के लिए अच्छा माना जाता है. यह दिखने में गहरे भूरे या काले रंग की होती है. यह हाई लेवल के कम्पोस्ट ऑर्गेनिक मटेरियल और पौधों के अवशेषों से बनी होती है. पीट मिट्टी में एक्स्ट्रा पानी निकालने के लिए ड्रेनिंग सिस्टम बनाना पड़ता है. खासकर स्प्रिंग सीजन में जब तापमान गर्म होता है, जिससे ज्यादा पानी जमा होता है. इस तरह की मिट्टी को फलियां, सलाद वाली फसलें, बल्ब प्याज और आलू जैसी जड़ वाली फसलें को उगाने के लिए ज्यादा यूज किया जाता है.

चिकनी मिट्टी

चिकनी मिट्टी भूरे रंग की होती है. यह दिखने में मोटी होती है. सूखने पर यह सिकुड़ और टूट सकती है और गीले होने पर चिपचिपी हो सकती है. दूसरी मिट्टी की तुलना में ये ज्यादा पानी होल्ड करती है और उसमें जल निकासी कम होती है. जिसके कारण यह सुखी और सहनशील बनती है. गर्मी के मौसम में पौधों में इसका उपयोग किया जा सकता है. इसमें नमी सही बनी रहती है और पोषक तत्व अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं, जो पौधों और फसलों की सही ग्रोथ में मददगार होते हैं. गर्मी के कुछ फल और सब्जियों के साथ ही पेड़ों की ग्रोथ इस मिट्टी में सही होती है.

दोमट मिट्टी

ज्यादातर पौधों के लिए दोमट मिट्टी सबसे सही मानी जाती है. इसमें रेत, सिल्ट और मिट्टी का बैलेंस मात्रा में मिश्रण होता है. जो मिट्टी को एक्स्ट्रा पानी निकालते समय पोषक तत्वों को बनाए रखने में मदद करता है. दोमट मिट्टी कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होती है, जो पौधों की जड़ों को सहारा देने में मदद करती है. अगर आप घर पर अलग-अलग तरह के पौधे उगाना चाहते हैं, तो यह मिट्टी आपके लिए बेस्ट रहेगी. इसका उपयोग कई नर्सरी में भी किया जाता है.

लाल मिट्टी

यह मिट्टी हल्की, छिद्रदार और जल निकासी होती है. फूलों वाले पौधों, कुछ सब्जियों की ग्रोथ और पेड़-पौधों के लिए इसे सही माना जाता है. इसमें आयरन और पोटेशियम जैसे मिनरल्स अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं. जो प्लांट की सही ग्रोथ के लिए जरूरी होते हैं. लाल मिट्टी नॉर्मल नमी बनाए रख सकती है, जिससे सूखे मौसम के दौरान पौधों को सही पानी मिलता रहता है और नमी बनी रहती है.

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