बिहार

550 साल पुराने मंदिर की अनोखी परंपरा: पूजा होती है ज्योति की, महिलाओं का प्रवेश वर्जित

इन दिनों देश भर में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की पूजा अर्चना में भक्त लीन है. दुर्गा पूजा को लेकर लोगों के अंदर खासा उत्साह है. पूजा के लिए कहीं किसी मन्दिर में कोई पाबंदी नहीं होती है. अमूमन महिलाएं मन्दिर में प्रवेश कर पूजा अर्चना करती है, लेकिन बिहार के भागलपुर में एक ऐसा मन्दिर है जहां मन्दिर के अंदर महिलाओं के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध है. महिलाएं मंदिर के बाहर से ही पूजा अर्चना करती हैं.

यह मंदिर भागलपुर के नवगछिया के पुनामा प्रताप नगर वाली भगवती महारानी की है. यहां मंदिर 550 साल से मां भगवती महारानी की पूजा अर्चना होती है. यहां माता की प्रतिमा स्थापित नहीं होती है. इस मंदिर में नवरात्रि के नौ दिन अखंड ज्योति और कलश की पूजा होती है.

होती है अखंड ज्योति की पूजा

बताया जाता है कि चंदेल वंश के राजा प्रताप राव ने 1526 में पुनामा प्रताप नगर में दुर्गा की स्थापना की थी. उन्होंने असम के कामाख्या मंदिर से माता की अखंड ज्योति यहां लाया था, जिसके बाद यहां तांत्रिक विधि से माता की पूजा-अर्चना की जाती है. नवरात्रि के नौ दिनों में इसी अखंड ज्योति की पूजा की जाती है, जहां मूर्ति की पूजा नहीं होती है. इसके अलावा, यहां 64 योगिनियों की भी पूजा-अर्चना की जाती है.

मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित

लोग बतातें हैं कि जब यह अखंड ज्योति लायी गयी थी तभी से मंदिर के गर्भ गृह में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. तब से ही यह प्रथा चली आ रही है. हांलाकि किसी महिलाओं को इससे आपत्ति भी नहीं है. महिलाएं बखूबी परंपरा का निवर्हन करती हैं.

इस दुर्गा मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. जानकार बताते बताया जाता है कि यहां तात्रिक विधि से मात की पूजा आर्चना होती है इसके चलते मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. लोग बताते है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से माता की पूज करता है उसकी मनोकामनाएं जरूर पूर होती हैं.

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