दिल्ली से 340 किलोमीटर दूर वो मंदिर जहां हनुमान जी खुद खाते हैं प्रसाद, लेते हैं सांस
बजरंग बली की महिमा का जितना भी गुणगान किया जाए वो कम है. अगर कोई भक्त सच्चे मन से हनुमान भगवान की पूजा करता है तो इसका उसे फल मिलता है. मंगलवार का दिन बजरंग बली का दिन माना जाता है और इस दिन हनुमान जी के मंदिर में भारी भीड़ देखने को मिलती है. दुनियाभर में बजरंगबली के कई सारे मंदिर हैं लेकिन कुछ मंदिर बहुत दुर्लभ भी है. इन्हीं में से एक मंदिर इटावा में स्थित है. इस मंदिर की मान्यता ये है कि यहां पर बजरंग बली पर जो प्रसाद चढ़ता है उसे वो खुद ग्रहण करते हैं. साथ ही इस मंदिर को लेकर और मान्यताएं भी प्रचलित हैं.
कहां है पिलुआ महावीर मंदिर
ये मंदिर उत्तर प्रदेश के इटावा से कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित है. कहा जाता है इस मंदिर में चमत्कारी प्रभाव हैं जिसकी वजह से यहां पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. यहां पर मंगलवार के दिन देशभर से भक्त आते हैं और बजरंग बली के श्रद्धालुओं का अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां पर हनुमान जी की मूर्ति लेटी हुई है. बजरंग बली की ऐसी बहुत दुर्लभ मूर्तियां ही हैं जो लेटी हुई अवस्था में नजर आती हैं.
क्या है पिलुआ महावीर मंदिर का इतिहास
पिलुआ महावीर मंदिर के इतिहास की बात करें तो इसका इतिहास करीब 300 साल पुराना है. इस मंदिर का निर्माण राजा हुक्म चंद्र प्रताप चौहान ने कराया था. कहा जाता है कि पिलुआ महावीर मंदिर में हनुमान भगवान की मूर्ती को राजा हुक्म चंत्र प्रताप ने हटाने की कोशिश की लेकिन वे उसे उस स्थान से हिला भी नहीं सके. इसके बाद से ही इस स्थान पर मंदिर बनाया गया और बजरंग बली की पूजा की जाने लगी.
Piluwa Mahavir Mandir ka Chamatkaar: पिलुआ महावीर मंदिर का चमत्कार
पिलुआ महावीर मंदिर हनुमान जी के चमत्कारी मंदिरों में से एक है. इस मंदिर को लेकर मान्यता ये है कि यहां पर भगवान को जो भी प्रसाद चढ़ाया जाता है वो उसे स्वयं ग्रहण कर लेते हैं. इसके बाद वो प्रसाद कहां जाता है ये अब तक एक रहस्य है. इसके अलावा कहा जाता है कि हनुमान भगवान की लेटी हुई मूर्ति सांसे भी लेती है और इसके आस-पास से जय सिया राम की ध्वनि भी आती रहती है. कहा जाता है कि इस मंदिर में साक्षात बजरंग बली का निवास है.