राष्ट्रीय

ट्रेडिंग के नाम पर रांची के डॉक्टर से 3 करोड़ की ठगी, आरोपी दीप मजूमदार निकला सीरियल फ्रॉड

झारखंड के रांची में एक डॉक्टर को साइबर ठगों ने करोड़ों का चूना लगा दिया. पश्चिम बंगाल के रहने वाले ठग ने पहले उन्हें ट्रेडिंग के जरिए मुनाफा कमाने का लालच दिया और फिर एक फर्जी ऐप पर उन्हें मुनाफा दिखाकर उनसे करोड़ों रुपये ठग लिए. डॉक्टर के साथ ठगी करने वाले अपराधी के खिलाफ पहले भी 17 शिकायतें अलग-अलग राज्यों में दर्ज हैं. अब पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

अलग-अलग बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कराए

इसके बाद पीड़ित को एक फर्जी ऐप “FYERS” डाउनलोड करने को कहा गया, जिसमें दिखाया गया कि पीड़ित ने ट्रेडिंग के दौरान करोड़ों रुपयो का मुनाफा कमाया है. जालसाजों ने नकली मुनाफा दिखा कर पहले पीड़ित का विश्वास जीता और फिर अपने झांसे में लेते हुए पीड़ित डॉक्टर से अलग-अलग बैंक खातों में लगभग 3.75 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा लिए.

जब डॉक्टर को ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने झारखंड सीआईडी के साइबर क्राइम थाने में पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद मामले की जांच शुरू की गई और झारखंड सीआईडी की टीम ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए इस मामले में शामिल एक साइबर अपराधी दीप मजूमदार को पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले के कुशमांडी थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया.

इन राज्यों में दर्ज हैं अलग-अलग शिकायतें

इसके साथ ही इस मामले में शामिल अपराधी के खिलाफ गृह मंत्रालय, भारत सरकार के संचालित National Cyber Crime Reporting Portal’ पर देशभर के आठ अलग-अलग राज्यों में कुल 17 शिकायतें दर्ज हैइनमें मध्य प्रदेश में 2 शिकायत, तमिलनाडु में 2, उत्तर प्रदेश में एक, झारखण्ड में 1, तेलंगाना में 6, दिल्ली में एक, कर्नाटक में 2 और महाराष्ट्र 02 शामिल हैं.

30 करोड़ के साइबर फ्रॉड का खुलासा

साइबर अपराध पर नकल कसने और साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इस घटना से पहले अगस्त में झारखंड सीआईडी ने इन्वेस्टमेंट के नाम पर हुए 30 करोड़ के साइबर फ्रॉड का खुलासा किया. सीआईडी की टीम ने राजधानी रांची, जामताड़ा समेत छह जिलों में छापेमारी कर कुल 7 अपराधियों को गिरफ्तार किया. इन अपराधियों के म्यूल बैंक खातों से करोड़ों रुपये बरामद हुए हैं. जांच में सामने आया है कि इनका नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैला है.

गिरफ्तार सातों साइबर अपराधियों के पास से 8 मोबाइल फोन और 12 सिम कार्ड, 9 एटीएम कार्ड, और 4 पासबुक, 9 चेक बुक, और केस से जुड़ी व्हाट्सएप चैट भी बरामद हुई. दरअसल, गृह मंत्रालय के साइबर क्राइम समन्वय केंद्र (I4C) की ओर से संचालित समन्वय पोर्टल के विश्लेषण के बाद यह बात सामने आई थी कि झारखंड के साइबर अपराधियों ने साइबर फ्रॉड से अर्जित रकम को छिपाने के लिए 15,000 म्यूल बैंक खाता का इस्तेमाल किया गया था.

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