बिहार की सीट जहां तीन दलों ने बनाई जीत की हैट्रिक, लेकिन 20 साल से BJP अजेय; क्या इस बार टूटेगा किला?

बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. ताबड़तोड़ राजनीतिक रैलियां की जा रही हैं. सीटों के शेयरिंग को लेकर गठबंधन के घटक दलों के बीच मंथन जारी है. यहां की कई सीटें ऐसी भी हैं जिस पर सभी की नजरें बनी हुई हैं. पूर्वी चंपारण जिले में पड़ने वाली एक सीट जहां भारतीय जनता पार्टी पिछले 20 सालों से अजेय है और उसे हराने की विपक्ष की हर कोशिश नाकाम रही है. ऐसे में देखना होगा कि क्या विपक्षी दलों का महागठबंधन बीजेपी के अजेय रथ को रोक पाएगा.
बात पूर्वी चंपारण जिले की मोतिहारी सीट है जहां से बीजेपी से पहले 2 अन्य दल अपनी जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. यह सीट तब अचानक में चर्चा में आ गई जब पिछले दिनों कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और वायनाड से लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिहार में अपनी पहली रैली के लिए मोतिहारी क्षेत्र का चयन किया. खास बात यह है कि कांग्रेस को इस सीट पर जीत का स्वाद चखे 45 साल से ज्यादा का वक्त हो गया.
कांग्रेस ने लगाई पहली हैट्रिक
बिहार के 38 जिलों में से एक जिला है पूर्वी चंपारण. यहां विधानसभा की 12 सीटें आती हैं. इसी में मोतिहारी विधानसभा सीट भी शामिल है. मोतिहारी में साल 1952 में पहली बार विधानसभा चुनाव कराए गए थे. तब से लेकर 2020 के चुनाव तक कांग्रेस को यहां पर सबसे अधिक 7 बार जीत हासिल हुई. इसके बाद बीजेपी का नंबर आता है और वह 5 बार चुनाव जीत चुकी है. कम्युनिस्ट पार्टी भी यहां से 3 बार जीत हासिल कर चुकी है.
कभी इस क्षेत्र में वाम पंथ का भी दबदबा हुआ करता था. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) ने शुरुआती दौर में कांग्रेस के गढ़ वाले इलाके में सेंध लगाई और अपनी धाक जमाई. 1952 में पहली बार हुए चुनाव में कांग्रेस ने जीत का खाता खोला. फिर 1957 और 1962 के चुनाव में भी जीत की हैट्रिक लगाई. हालांकि इन 3 चुनाव में अलग-अलग 2 प्रत्याशियों को जीत मिली थी.
कांग्रेस की प्रभावती के नाम हैट्रिक
साल 1967 में भारतीय जन संघ ने कांग्रेस के कब्जे से यह सीट छीन ली. लेकिन कांग्रेस को इस सीट पर वापसी करने में ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा. 1969 में कांग्रेस को फिर से यहां पर जीत हासिल हुई. साल 1972 के चुनाव में कांग्रेस ने प्रभावती गुप्ता को पहली बार उतारा. प्रभावती ने पहली जीत हासिल करते हुए अपनी लगातार 3 जीत हासिल की और इसके साथ ही वह इस सीट पर हैट्रिक लगाने वाली पहली नेता बनीं.
प्रभावती ने 1972 वाले चुनाव में तब के विधायक और जनसंघ प्रत्याशी चंद्रिका प्रसाद यादव को हराया था. 1977 और 1980 में जीत हासिल कर प्रभावती ने अपनी हैट्रिक लगाई. लेकिन 1984 में प्रभावती गुप्ता ने लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया और कांग्रेस के टिकट पर मोतिहारी सीट से चुनाव भी लड़ा. वह सांसद चुनी गईं. लेकिन प्रभावती गुप्ता के केंद्र की राजनीति में जाने के बाद से कांग्रेस के लिए इस पर एक अदद जीत हासिल करने का सपना अभी तक अधूरा है.
CPI की हैट्रिक, और कांग्रेस की हार
कांग्रेस को 1985 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के त्रिवेणी तिवारी ने यहां से जीत हासिल की. वह 1990 और 1995 के चुनाव में भी इस सीट से विजयी रहे. साथ ही अपनी जीत की हैट्रिक भी लगाई. त्रिवेणी ने 1985 में कांग्रेस को तो 1990 और 1995 में बीजेपी के प्रत्याशी को हराया. इस बीच जनता दल के कई टुकड़े हुए और इसी में से एक पार्टी निकली राष्ट्रीय जनता दल.
राष्ट्रीय जनता दल ने साल 2000 के विधानसभा चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के जीत के रथ को रोक दिया और पार्टी की प्रत्याशी रमा देवी ने जीत हासिल की. उन्होंने बीजेपी के प्रत्याशी प्रमोद कुमार को आसान मुकाबले में 34 हजार से भी अधिक वोट से हरा दिया. लेकिन लालू की पार्टी के लिए अब तक की यह पहली और आखिरी जीत रही.
प्रमोद कुमार के नाम भी बनाई हैट्रिक
बिहार में 5 साल बाद फरवरी 2005 में जब विधानसभा चुनाव कराया गया तो खेल बदल गया. 2 बार से चुनाव हार रही बीजेपी ने इस बार जीत की राह पकड़ी. पार्टी के प्रत्याशी प्रमोद कुमार ने पिछली हार को पीछे छोड़ते हुए अपनी और पार्टी की पहली जीत दर्ज कराई. कुछ महीने बाद अक्टूबर-नवंबर 2005 में यहां फिर से चुनाव कराया गया जिसमें प्रमोद कुमार ने फिर से बाजी मार ली. इन दोनों ही मौकों पर प्रमोद ने रमा देवी को ही हराया.
2010 के चुनाव तक प्रमोद कुमार पूर्वी चंपारण की राजनीति में बड़ा चेहरा बना चुके थे. इस चुनाव में उन्होंने राजेश गुप्ता उर्फ बबलू गुप्ता को हराने के साथ ही अपनी जीत की हैट्रिक लगाई. 2015 में प्रमोद ने एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल के प्रत्याशी बिनोद कुमार श्रीवास्तव को हराया.
लालू की पार्टी के नाम लगातार 5 हार
बिहार सरकार में पर्यटन, कला,गन्ना और कानून जैसे अहम विभागों को संभालने वाले कद्दावर नेता प्रमोद कुमार ने अपनी जीत का सिलसिला 2020 के चुनाव में भी बनाए रखा. इस बार उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के नए प्रत्याशी ओम प्रकाश चौधरी को 14,645 मतों के अंतर से हरा दिया. जबकि चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल महागठबंधन का हिस्सा था और कांग्रेस ने यहां से अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे. इस तरह से देखा जाए तो लालू की पार्टी को इस सीट पर लगातार 5 बार से हार मिल रही है.
अब देखना होगा कि 2025 के चुनाव में बीजेपी मोतिहारी सीट से जीत का छक्का लगा पाती है या फिर लगातार 5 चुनाव में हार का मुंह देखने वाली लालू की पार्टी अपने सहयोगी दल कांग्रेस के भरोसे बीजेपी के किले में सेंध लगाने में कामयाब होगी. परिणाम जो भी हो, मुकाबला कांटे का रहेगा.