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फर्जी यूनिवर्सिटी से पीएचडी लेकर बनी प्रोफेसर को सजा, अब बिताने होंगे कई साल जेल में

रोहतक : महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में फर्जी दस्तावेजों पर नौकरी पाने का मामला सामने आया है। फर्जी पीएचडी डिग्री के मामले में यूनिवर्सिटी के गेस्ट फैकल्टी सुमन तंवर को तीन साल की सजा सुनाई गई है। न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी रोहतक हिमांशु आर्य की अदालत ने धोखाधड़ी, जालसाजी और जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल के मामले में सुमन को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।

एमडीयू में एक के बाद एक करके कई लोगो की डिग्री फर्जी साबित हो चुकी हैं। इसी तरह का एक और मामला सामने आया है। सुमन तंवर ने खुद को योग्य दिखाकर फर्जी डिग्री और झूठे शैक्षणिक रिकॉर्ड के आधार पर एमडीयू में गेस्ट फैकल्टी के पद पर नियुक्ति हासिल की थी।

अदालत ने सुमन को धोखाधड़ी के तहत तीन साल के साधारण कारावास और 5000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। दोषी को अधिकतम तीन साल की सजा ही काटनी होगी। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में दोषी को एक महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा।

आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. जयपाल ने बताया कि उन्होंने पहले एमडीयू में आरटीआई लगाई थी। उसके बाद छत्रपति साहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में आरटीआई लगाई थी। गेस्ट फैकल्टी सुमन ने 2013 में डिग्री पूरी की थी। आरटीआई में पता चला कि 2010 से 2014 तक कानपुर से शारीरिक शिक्षा विभाग में किसी ने भी पीएचडी नहीं की। एमडीयू में सुमन 2013-2014 में गेस्ट फैकल्टी के पद पर कार्यरत हुई थीं।

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