1975 में लगी इमरजेंसी प्रजातंत्र के लिए थी घातक- राव इंद्रजीत

गुड़गांव: देश में तीन इमरजेंसी लागू हुई थी। 1975 में लगी इमरजेंसी प्रजातंत्र के लिए काफी घातक रही हैं। आज की युवा पीड़ी को इस इमरजेंसी के दंश के बारे में जानकारी नहीं है। यही कारण है कि आज इमरजेंसी लागू हुए 50 वर्ष पूरे होने के बाद अब हम लोगों के बीच जाकर उन्हें इमरजेंसी के दंश के बारे में बता रहे हैं। यह बात आज केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत ने कही। वे आज गुड़गांव स्थित भाजपा के गुरुकमल कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।
राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि 1971 में चुनाव होने के बाद यह इमरजेंसी लगी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर सरकारी तंत्रों का प्रयोग करने का आरोप लगा था जिसके बाद उन पर छह साल चुनाव लड़ने के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस चुनाव को इंदिरा गांधी हार चुकी हैं। हाई कोर्ट के इस फैसले को इंदिरा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें प्रधानमंत्री बने रहने के लिए तो कह दिया, लेकिन साल 1971 से 1975 के बीच देश में काफी अफरा तफरी का माहौल रहा।
उस वक्त जयप्रकाश नारायण काफी कद्दावर नेता था और वह दूसरे गांधी भी कहलाए थे। उन्होंने जनता को प्रेरित किया कि वह सरकार की बात न मानें तो देश में अफरातफरी हुई और इंदिरा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में इमरजेंसी लागू कर दी। इमरजेंसी के दौरान एक कराेड़ से ज्यादा लोगों की नसबंदी की गई। 26 हजार नेताओं को जेल भेजा गया। नेताओं के सहयोगियों को भी जेल भेजा गया। उस वक्त पूरे देश में 1 लाख 88 हजार कैदियों की जेलों में क्षमता थी, लेकिन दो लाख से भी अधिक लोगों को जेल भेजा गया।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिन नेताओं और लोगों ने प्रजातंत्र को बचाने का प्रयास किया उन्हें जेल में भेज दिया गया। दो साल बाद जब चुनाव हुए तो उसमें कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। इस इमरजेंसी के क्षण को आज की पीढ़ी को अवगत कराने के लिए ही आज वह जनता के बीच आए हैं। ताकि देश में दोबारा इस तरह का माहौल कभी न बने।