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उतर जाएगा शराब का सारा नशा! अगर जान लिया दुनिया की पहली वाइन में क्या मिला था?

वाइन का इतिहास कई सौ साल पुराना है. आज भी दुनिया में कई हिस्सों में सदियों पुराने तरीके से वाइन बनाई जाती है. आपने टीवी और इंटरनेट पर कांच के गिलास में भरी वाइन को जरूर देखा होगा, कुछ लोगों ने तो इस ड्रिंक को पिया भी होगा. लेकिन क्या आप दुनिया की सबसे पुरानी वाइन के बारे में जानते हैं? साइंटिस्ट्स ने दुनिया की सबसे पुरानी वाइन को खोजकर आपकी मुश्किल को हल कर दिया है. ये 400-500 साल पुरानी नहीं बल्कि 2,000 साल पुरानी है.

दिलचस्प बात ये है कि 2,000 साल भी ये वाइन लिक्विड रूप में मिली है. इतने सालों बाद भी ये सूखी नहीं. ऐसे में सवाल उठता है कि 2,000 साल भी बाद भी ये वाइन लिक्विड फॉर्म में कैसे बरकरार रही. रिसर्चर्स ने अपनी खोज में इस बात का जवाब दिया है. उन्होंने एक खास चीज का जिक्र किया जो इस वाइन में मिली थी, जिसकी वजह से यह वाइन सूखी नहीं.

सबसे पुरानी वाइन में मिली ये चीज

साइंटिस्ट्स ने अपनी खोज में पाया कि दक्षिणी स्पेन में 2,000 साल पहले मरने वाले एक व्यक्ति की राख को सफेद वाइन में भिगोया गया था. शायद अंतिम संस्कार के दौरान किसी रस्म के तौर पर ऐसा किया गया. रिसर्चर्स का मानना है कि शव की राख की वजह से वाइन खराब नहीं हुई, और ये आजतक लिक्विड बनी रही. लिक्विड फॉर्म में पाई जाने वाली ये दुनिया की सबसे पुरानी वाइन है.

कलश को सबसे पहले 2019 में निकाला गया था जब कार्मोना शहर में खुदाई हुई थी. उस दौरान एक भूमिगत रोमन मकबरे से कलश मिला था, जिसके बारे में माना जाता है कि इस मकबरे को किसी अमीर परिवार के लिए बनाया गया था. मकबरे के अंदर रिसर्चर्स ने छह राख से भरे कलश खोजे, जिनमें से हरेक कलश एक अलग व्यक्ति का था.

रोमन युग की वाइन

इनमें से एक कलश में एक पुरुष व्यक्ति के अंतिम संस्कार के अवशेष थे. यह कलश लाल रंग के लिक्विड से भरा हुआ था. अंडरग्राउंड मकबरे के अंदर इनके अब तक सुरक्षित रहने की बात करें तो ढूंढे गए सारे कलश सूखे थे. जिस कलश में लिक्विड था उसके बारे में अनुमान था कि रिसाव की वजह से तरल जमा हो गया है. हालांकि, इस अनुमान को रिसर्चर्स ने तुरंत खारिज कर दिया. इसके बजाय उन्होंने अनुमान जताया कि ये रोमन युग की वाइन हो सकती है.

अपने अनुमान सही साबित करने के लिए स्टडी के रिसचर्स ने तरल की कैमिकल प्रोपर्टी का एनालिसिस किया. इसकी तुलना जेरेज, मोंटिला-मोरीलेस और सैनलुकर जैसी जगहों पर आस-पास के अंगूर के बागों से बनने वाली मॉडर्न वाइन से की. वे स्टडी में लिखते हैं, “लाल रंग के तरल का मिनरल प्रोफाइल जेरेज की मौजूदा शेरी वाइन, कोंडाडो डी ह्यूल्वा की फिनो वाइन और मोंटिला-मोरीलेस की फिनो वाइन के बराबर है. वाइन के ये सारे नाम कार्मोना से बहुत ज्यादा दूर नहीं हैं.

2,000 साल पुराने लिक्विड की असलियत की पहचान करने के लिए रिसर्चर्स ने पॉलीफेनोल नामक मेन बायोमार्कर के लिए इसकी जांच की. उन्होंने पाया कि तरल में दो सबसे ज्यादा कंसंट्रेटेड फ्लेवोनोइड क्वेरसेटिन और एपिजेनिन मौजूद थे, जो मॉडर्न वाइन के साथ अच्छी तरह मेल खाते हैं.

ऐसे साबित हुई वाइन की सच्चाई

कुल मिलाकर रिसर्चर्स ने सात पॉलीफेनॉल की पहचान की जो मोंटिला-मोरील्स, जेरेज और सैनलुकर की वाइन में भी मौजूद हैं. जबकि सिरिंजिक एसिड की गैरमौजूदगी ने संकेत दिया कि वाइन वास्तव में सफेद थी. समय से साथ ये लाल हो गई.

रिसर्चर्स अपनी खोज के दौरान इस नतीजे पर पहुंचे कि शव की राख वाले कलश में लाल रंग का तरल असल में वाइन थी जो समय के साथ सड़ गई. यह वाइन लगभग 2000 साल पुरानी है, और इसलिए आज तक मिली सबसे पुरानी वाइन है.

इस समय मकबरे के अंदर रखे गए लोगों की पहचान के बारे में बहुत कम जानकारी है. छह कलशों में से दो पर उकरे संकेतों से पता चलता है कि लंबे समय से मौत की आगोश में सोए इन लोगों में हिस्पाने और सेनिकियो नामक एक जोड़ा शामिल है. इस बीच प्राचीन शराब के लिए रिसर्चर्स बताते हैं कि कलश को दफन करने की प्रक्रिया के दौरान उस मृतक की बेहतरी के लिए कलश में वाइन को भरा गया होगा. यह अंतिम संस्कार की एक रस्म के तौर पर किया गया होगा.

स्पेन के कार्मोना में मौजूद रोमन मकबरे में एक राख वाले कलश में दाह संस्कार किए गए मानव अवशेष का मिलना, उसमें भी लाल रंग का लिक्विड मिलना अनोखी खोज है. यह लिक्विड लगभग 2000 साल से बरकरार है, और तरल बना हुआ है. इसके कैमिकल कंपोजिशन की जांच करने का एक अनूठा मौका था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह दुनिया की सबसे पुरानी शराब थी या नहीं.

लाल लिक्विड की मिनरल साल्ट कंपोजिशन पूर्व बेटिक रीजन में मौजूदा समय में बनने वाली फिनो वाइन के समान थी. कुछ कैमिकल एलिमेंट्स के बढ़े हुए कंसंट्रेशन की लाल तरल में मौजूदगी को कलश के गिलास और दाह संस्कार किए गए अवशेषों से लीचिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. इससे यह सुझाव मिलता है कि ये तरल पदार्थ सड़ी हुई वाइन हो सकती है.

प्राचीन वाइन में मिला इतना कार्बन कंटेंट

वास्तव में इसके एलिमेंटल एनालिसिस से केवल 0.46% कार्बन कंटेंट का पता चला, जो मूल ऑर्गेनिक कंपाउंड के मजबूत मिनरलाइजेशन का सुझाव देता है. मौजूदा वाइन में आम तौर पर मौजूद पॉलीफेनोल के लिए लाल लिक्विड का एनालिसिस करने से तरल पदार्थ की पहचान के बारे में और जानकारी मिली. इन नतीजों ने पक्के तौर पर पुष्टि की कि तरल पदार्थ वाइन थी, और खास तौर पर ये सफेद वाइन थी. क्योंकि बहुत कम कंसंट्रेशन में इथेनॉल की मौजूदी ऐसा होने का इशारा करती है.

हालांकि यह परिणाम स्टडी किए गए मकबरे की बहुत अच्छी कंजर्वेशन कंडीशन को दिखाती है. रोमन युग में दफनाए जाने के दौरान वाइन का इस्तेमाल करना काफी लोकप्रिय प्रथा और डॉक्यूमेंटेड है. इसलिए एक बार जब जले हुए शवों के अवशेषों को इसमें रखा गया, तो अंतिम संस्कार समारोह में एक प्रकार के परित्याग अनुष्ठान में या मृतक को बेहतर दुनिया में जाने में मदद करने के लिए अंतिम संस्कार के हिस्से के रूप में कलश को शराब से भर दिया गया होगा.

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